सोमवार, 27 फ़रवरी 2012

. . . तो इतिहास में शामिल हो जाएगी जबलपुर का मार्बल राक


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  72

. . . तो इतिहास में शामिल हो जाएगी जबलपुर का मार्बल राक

धवल संगमरमर पर चढ़ जाएगी राख की काली परत

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश के मशहूर दौलतमंद उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य विकास खण्ड घंसौर में स्थापित किए जाने वाले 1200 मेगावाट के कोल आधारित पावर प्लांट से न केवल पर्यावरणीय खतरा पैदा होने की आशंका है वरन् पुण्य सलिला नर्मदा के विषैले होने और खेतों की उर्वरक क्षमता कम होने की आशंकाओं के साथ ही साथ विश्व प्रसिद्ध जबलपुर के साफ्ट मार्बल पर भी खतरा मण्डाराता दिख रहा है।
गौतम थापर के स्वामित्व वाले 1200 या 1260 मेगावाट के इस पावर प्लांट में 275 मीटर की दो चिमनियां प्रस्तावित बताई जा रही हैं। इन दोनों ही चिमनियों से प्रति घंटा 285 टन राख हवा में उड़ेगी। यह बात ओर कोई नहीं वरन् मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के दो चरणों में लगने वाले कोल आधारित पावर प्लांट के कार्यकारी सारांश में संयंत्र प्रबंधन ने ही स्वीकार की है। संयंत्र प्रबंधन की इस स्पष्ट स्वीकारोक्ति के बाद भी गौतम थापर के इशारों पर अवंथा समूह की देहरी पर मुजरा करने वाले मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के कारिंदों ने इस बात को दरकिनार रख थापर के हितों को ही साधने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई है।
लगभग एक हजार फिट उंची चिमनी से उड़ने वाली राख की मारक क्षमता कितने किलोमीटर होगी यह बात तो हवा की दिशा और बहाव पर ही निर्भर करता है, किन्तु संयंत्र प्रबंधन द्वारा जो सर्वेक्षण करवाकर प्रतिवेदन मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के माध्यम से केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजा है उसमें हवा की दिशा उत्तर पूर्व और उत्तर दर्शाई गई है। इसके साथ ही साथ वायू की गति 29.8 प्रतिशत स्थिर तौर पर बताई गई है।
गौरतलब है कि संयंत्र से उत्तर पूर्व और उत्तर दिशा में ही बरगी बांध का रिजर्वेवायर क्षेत्र गाढाघाट और पायली है। अपने अंदर अकूल जल संपदा सहेजने वाले रानी अवंती बाई सागर परियोजना के बरगी बांध का सर्वाधिक जल भराव क्षेत्र इसी दिशा में है। अब सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक हजार फिट उंची चिमनी से उड़ने वाली राख बांध में क्या कहर बरपाएगी?
इतना ही नहीं हवा में राख के कण उड़कर भेड़ाघाट के इर्दगिर्द नैसर्गिक छटा बिखेरने वाले मार्बल राक को भी श्वेत धवल से स्याह रंग में तब्दील करने के लिए पर्याप्त माने जा रहे हैं। गौरतलब है कि संस्कारधानी जबलपुर के मार्बल राक्स को देखने देश विदेश से हर साल लाखों की तादाद में सैलानी आते हैं। मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा मिलकर जबलपुर से पर्यटन की संभावनाओं का गला घोंटने का ताना बाना बुना जा रहा है। अगर आलम यही रहा तो संसकारधानी की शान समझा जाने वाला संगमरमर इतिहास की वस्तु हो जाएगा।
आश्चर्य तो इस बात पर हो रहा है कि सारी स्थितियां सांसद विधायकों के सामने होने के बावजूद भी न तो कांग्रेस और न ही भाजपा के जनसेवकों के कानों में जूं रेंग रही है। कुल मिलाकर केंद्र सरकार की छटवीं अनुसूची में अधिसूचित सिवनी जिले के घंसौर विकासखण्ड के आदिवासियों, जल जंगल और जमीन को परोक्ष तौर पर दौलतमंद गौतम थापर के पास रहन रख दिया गया है और बावजूद इसके केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, जिला प्रशासन सिवनी सहित भाजपा के सांसद के.डी.देशमुख विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, एवं क्षेत्रीय विधायक जो स्वयं भी आदिवासी समुदाय से हैं श्रीमति शशि ठाकुर, कांग्रेस के क्षेत्रीय सांसद बसोरी सिंह मसराम एवं सिवनी जिले के हितचिंतक माने जाने वाले केवलारी विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर चुपचाप नियम कायदों का माखौल सरेआम उड़ते देख रहे हैं।

(क्रमशः जारी)

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