शनिवार, 25 फ़रवरी 2012

शिव को नहीं है परवाह नर्मदा की!



0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  70

शिव को नहीं है परवाह नर्मदा की!

जहरीले पानी से होगा भगवान शिव का अभिषेक



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। भगवान शिव अपनी जटाओं में माता गंगा को समेटे हुए हैं। श्र्द्धालुओं द्वारा भगवान शिव का अभिषेक पुण्य सलिला नर्मदा के पावन जल से बड़े ही भक्तिभाव से किया जाता है। मध्य प्रदेश में शिव के राज में आने वाले दिनों में पुण्य सलिला नर्मदा को जहरीला करने का ताना बाना बुना जा रहा है। आने वाले दिनों में प्रदूषित और जहरीले नर्मदा जल से अगर भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पुण्य सलिला नर्मदा के किनारे मध्य प्रदेश में चार थर्मल पावर प्लांट को भी मंजूरी मिली है। सिवनी जिले की आदिवासी बाहुल्य घंसौर (कहानापस) तहसील के गांव झाबुआ में बनने वाले प्लांट की क्षमता 600 मेगावॉट तय थी जिसे बढ़ाकर 1260 मेगावाट कर दिया गया है।
प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के सूत्रों का कहना है कि संयंत्र प्रबंधन का दावा है कि दो चरणों में लगने वाले इस संयंत्र की एक हजार फिट उंची चिमनी से प्रतिदिन 1706 टन राख जमीन पर आएगी। इस हिसाब से प्रतिघंटा जमीनी रखा की मात्रा लगभग 72 टन होगी। इसी तरह उड़ने वाली राख जो 275 मीटर उंची चिमनी से उड़ेगी उसकी तादाद दो संयंत्रों मे 6 हजार आठ सौ 32 टन होगी अर्थात प्रतिघंटा जो राख उड़ेगी की तादाद लगभग 285 टन होगी।
पीसीबी के सूत्रों की मानें तो यह आंकड़े तो मानक अवस्था के हैं, जबकि वास्तव में संयंत्र से उड़ने वाली राख की तादाद इससे डेढ़ गुनी होने की उम्मीद जताई जा रही है। इसका निस्तारण जंगल और नर्मदा किनारे किया जाएगा, जिससे पर्यावरणीय संकट पैदा होना तय है। दूसरा कोल पावर प्लांट नरसिंहपुर जिले के गाडरवाड़ा तहसील के तूमड़ा गांव में एनटीपीसी द्वारा बनाया जाएगा। 3200 मेगावॉट क्षमता के इस प्लांट से नौ गांवों के किसानों की जमीन पर संकट है।
इसके लिए करीब चार हजार हैक्टेयर जमीन ली जानी है, जबकि पास ही तेंदूखेड़ा ब्लाक में करीब 4500 एकड़ सरकारी जमीन खाली पड़ी है। इसका उपयोग नहीं किया जा रहा है। इस प्लांट की जद में आने वाले गांवों की जमीन एशिया में सबसे अच्छी दलहन उत्पादक है। तीसरा 1200 मेगावॉट क्षमता का थर्मल कोल पावर प्लांट जबलपुर जिले के शहपुरा भिटोनी में बनाया जाना है। इसका निर्माण एमपीईवी द्वारा किया जाएगा। इसका सर्वे किया जा चुका है।
इसकी जद में करीब 800 किसानों की जमीन आ रही है। चौथा थर्मल पावर प्लांट नरसिंहपुर जिले के झासीघाट में मैसर्स टुडे एनर्जी द्वारा 5400 करोड़ की लागत से किया जाएगा। 1200 मेगावॉट क्षमता वाले इस प्लांट के लिए 100 एकड़ जमीन की जरूरत है। इसमें से करीब 700 एकड़ जमीन सरकारी है। करीब 75 लोगों की 300 एकड़ जमीन ली जा चुकी है। इसका निर्माण 2014 तक पूरा किया जाना है। इनके लिए विदेशों से कोयला मंगाने की तैयारी की जा रही है।
थर्मल कोल पावर प्लांट से निकलने वाली राख आसपास की हजारों एकड़ जमीन की उत्पादन क्षमता को नष्ट कर देगी। अब तक कई अध्ययनों में इस बात का खुलासा हो चुका है। सारणी स्थित सतपुड़ा पावर प्लांट से निकलने वाली राख से हजारों पेड़ नष्ट और तवा का पानी प्रदूषित हो गया है। अगर यही स्थिति रही तो वह दिन दूर नहीं जब नर्मदा नदी भारत की सबसे अभिशप्त नदी बनकर रह जाएगी।
मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा एक के बाद एक पावर प्लांट की मंजूरी दी जा रही है ताकि राज्य के विधानसभा चुनावों ‘‘मिशन 2013‘‘ के पहले प्रदेश में बिजली की स्थिति कुछ संतोषजनक हो सके। शिव द्वारा यह सब तो किया जा रहा है पर पर्यावरण और प्रदूषण की शर्त पर। नर्मदा प्रदूषित करने का ताना बाना बुना जा रहा है और कांग्रेस खामोशी अख्तिाया किए हुए है।

(क्रमशः जारी)

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