गुरुवार, 1 मार्च 2012

अनेक रोगों में लाभकारी है जीरा


हर्बल खजाना ----------------- 34

अनेक रोगों में लाभकारी है जीरा



(डॉ दीपक आचार्य)

अहमदाबाद (साई)। भारतीय किचन में प्रमुख खाद्य पदार्थाे मे प्रयुक्त किया जाने वाला जीरा एक प्रचलित मसाला है। यह दिखने में सौंफ की तरह होता है। संस्कृत में इसे जीरक कहा जाता है, जिसका अर्थ है, अन्न के जीर्ण होने में (पचने में) सहायता करने वाला। जीरा का वानस्पतिक नाम क्युमिनम सायमिनम है।
भोजन में अरुचि, पेट फूलना, अपच आदि को दूर करने में जीरा विश्वसनीय औषधि है। भुने हुए जीरे को लगातार सूँघने से जुकाम की छीकें आना बंद हो जाती है। पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार प्रसूति के पश्चात जीरे के सेवन से गर्भाशय की सफाई हो जाती है। जीरा गरम प्रकृति का होता है अतरू इसके अधिक सेवन से उल्टी भी हो सकती है।
जीरा कृमिनाशक है ज्वरनिवारक भी होता है। अत्यधिक एसिडिटी होने पर कच्चे और बगैर भुने जीरे की फ़ाँक दिन में ५-६ बार मारने से एसिडिटी सदैव के लिये दूर हो जाती है। डाँग- गुजरात के आदिवासी जीरे व नमक को पीसकर घी व शहद में मिलाकर थोड़ा गर्म करके बिच्छू के डंक पर लगाते है, इनका मानना है कि ऐसा करने से बिच्छु का विष उतर जाता है।
मट्ठे में हींग, जीरा और सेंधा नमक डालकर पीने से गैस और बवासीर में लाभ होता है। साथ ही जीरा पानी में पीसकर बवासीर के मस्सों पर लगाएं, तो और शीघ्र लाभ होगा। थायरॉइड में एक प्याला पालक के रस के साथ एक चम्मच शहद और चौथाई चम्मच जीरे का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है। 

(साई फीचर्स)

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