रविवार, 8 अप्रैल 2012

राहुल की नजरों से उतर गए दिग्गी, कनिष्क


राहुल की नजरों से उतर गए दिग्गी, कनिष्क

यूपी में औंधे मुंह गिरने से राहुल दरबार में ग्राफ गिरा राजा का

सत्यव्रत या राहुल के हाथों होगी यूपी की कमान

 
(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। कल तक राहुल गांधी के अघोषित द्रोणाचार्य की भूमिका निभाने वाले कांग्रेस के महासचिव राजा दिग्विजय सिंह का शनि भारी होता दिख रहा है। राहुल के दरबार में अब दिग्गी राजा को ज्यादा भाव नहीं मिल रहा है। राहुल गांधी अपनी नई टीम को गढ़ने की कवायद में लगे हैं। अपने और अपनी मां श्रीमति सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र वाले उत्तर प्रदेश सूबे को जल्द ही राजा दिग्विजय सिंह के प्रभार से मुक्त कर राहुल इसका प्रभार अपने पास रखने वाले हैं।
कांग्रेस की नजरों में भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी के करीबी सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में अब कांग्रेस के प्रभारी राजा दिग्विजय सिंह के स्थान पर राहुल गांधी ही प्रभारी महासचिव होंगे। वैसे, कहा जा रहा है कि राज्यसभा सदस्य सत्यव्रत चतुर्वेदी जो राजा दिग्विजय सिंह के धुर विरोधी हैं, को यूपी की कमान देकर राजा दिग्विजय सिंह के पर कतरने की तैयारी की जा रही है।
दरअसल, राहुल गांधी को मशविरा दिया गया है कि वे उत्तर प्रदेश में सबसे पहले कांग्रेस के संगठन को खड़ा करें, वरना कांग्रेस अध्यक्ष के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल के गृह सूबे गुजरात और राहुल के अघोषित राजनैतिक गुरू राजा दिग्विजय सिंह के गृह सूबे एमपी की तरह ही उन पर अपने घर में कांग्रेस ना बचा पाने के आरोप लगने लगेंगे।
सूत्रों ने कहा कि राहुल गांधी ने पार्टी के आला नेताओं को साफ कर दिया है कि जब तक वे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत नहीं करते तब तक वे पार्टी में और कोई जिम्मेवारी नहीं लेंगे। यहां तक कि राहुल गांधी ने अपने आप को पार्टी के अहम फैसलों से भी प्रथक कर लिया है। सूत्रों के अनुसार राहुल ने उत्तर प्रदेश से इतर कहीं भी सियासी नियुक्ति से खुद को प्रथक कर रखा है।
अज्ञात बीमारी की शल्य क्रिया कराकर वापस आईं सोनिया गांधी अब राजनैतिक तौर पर पहले के मुकाबले कम ही सक्रिय नज़र आ रहीं हैं। यही कारण है कि राहुल गांधी पर सोनिया की जिम्मेदारियों का बोझ कम करने का दबाव है। बावजूद इसके राहुल ने बड़े ही सम्मान के साथ इन जवाबदारियों को लेने से इंकार कर दिया है। यहां तक कि अगामी दिनों में गुजरात और हिमाचल में विधानसभा चुनावों में भी खुद द्वारा सीमित प्रचार की बात कही है।
राहुल के करीबी सूत्रों का कहना है कि चुनाव के बाद तार तार हो चुकी कांग्रेस की इज्जत के इस हाल के लिए उस वक्त अपने सलाहकार राजा दिग्विजय सिंह और कनिष्क सिंह को बचाने के लिए भले ही राहुल ने हार की जवाबदारी अपने सर ले ली हो पर बाद में जब वास्तविकता राहुल के सामने आई तब राजा दिग्विजय सिंह और कनष्कि सिंह दोनों ही राहुल की नजरों से उतर गए हैं।

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