सोमवार, 5 नवंबर 2012

रंगराजन रिपोर्ट किसान हित में नहीं: सिंह


रंगराजन रिपोर्ट किसान हित में नहीं: सिंह

(सचिन धीमान)

मुजफ्फरनगर (साई)। रंगराजन रिपोर्ट चीनी मिल मालिकों को लाभ पहुंचाने के लिए है। 20 साल से लगातार चीनी मिले कोर्ट के आदेश के बावजूद बड़ी मुश्किलों से गन्ना किसानों का बकाया देती है। ऐसे में निरंकुश होकर तो वो किसानों का खून चूस लेंगी और 50 साल पीछे धकेल देगी। उक्त बात राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय संयोजक एवं पूर्व विधायक वी.एम. सिंह नेे जाट कालोनी स्थित विकास बालियान के आवास पर कहीं।
वीएम सिंह मुजफ्फरनगर में राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के मंडल संयोजक विकास बालियान की कुशल क्षेम पूछने के लिए आये थे। वहीं उन्होंने रंगराजन कमेटी की रिपोर्ट को किसान विरोधी बताते हुए, किसानों से उसके विरूद्ध लामबंद हो जाने का आह्नान भी किया।
वी.एम. सिंह ने कहा कि बड़े से बड़ा वकील करने के बावजूद जब चीनी मिले अपने पक्ष में कोई फैसला हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट से नहीं करा पाई और यह समझ गई के वी।एम। सिंह जिन्दा रहे या मारा जाए अब फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि अदालत के फैसले नजीर बन चुके हैं और अब किसानों का शोषण नहीं किया जा सकता। तब चीनी मिलों ने सरकार से मिलकर ये हल ढूंढा है कि मौजूदा गन्ना प्रणाली को समाप्त करा दिया जाए, ये प्रणाली समाप्त हो जाएगी तो सारे कानूनी फैसले भी अपना अस्तित्व खो देंगे। इसी सोच के चलते जैसे ही 17 जनवरी को चीनी मिले इस वर्ष अदालत में अपनी आखिरी लड़ाई भी वी।एम। सिंह के सामने हारी और उन्हें केन्द्र द्वारा तय 145 रूपये के स्थान पर राज्य सरकार द्वारा तय किया गया 240 रूपये गन्ना मुल्य देना पड़ा। तब एक साजिश रची गई और 20 जनवरी 2012 को देश में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी आर्थिक सलाहकार समिति के सदस्य रंगराजन समेत 7 व्यक्तियों की एक समिति का गठन कर दिया। इसमें भी उल्लेखनीय है 7 में से 6 तो कृषि के बारे में कुछ जानते ही नहीं।
इस कमेटी ने 5 अक्टूबर को अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री को सौंप दी, जिसे देश के केन्द्रीय खाद्य मंत्री थोमस ने स्वीकार किये जाने की बात भी कर दी। इस रिपोर्ट को वी0एम0 सिंह ने सिरे से खारिज किया। पूर्व जनरल वी।के। सिंह के साथ दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर इसे लागू ना करने की चेतावनी भी केन्द्र सरकार को दी और कहा कि ऐसा होता है तो 4 दिसम्बर को दिल्ली पारलियामेंट का घेराव किया जाएगा।
वी.एम. सिंह ने कहा कि दक्षिण के राज्यों में गन्ने की पैदावार प्रति एकड़ उत्तर के राज्यों के मुकाबले 30 प्रतिशत ज्यादा है, वहीं रिकवरी 14 प्रतिशत तक होती है, जबकि उत्तर के राज्यों में गन्ने से चीनी की रिकवरी 9 प्रतिशत तक होती है। अगर रंगराजन रिपोर्ट लागू हो जाए तो राज्य सरकार को गन्ने का मूल्य तय करने का अधिकार नहीं रहेगा। केन्द्र का रेट तय होगा वहीं किसानों को मिलेगा, अगर इस बार केन्द्र एफ।आर।पी। 170 तय करती है, तो दक्षिण के राज्यों में जहां रंगराजन रिपोर्ट के बाद गन्ना मूल्य 250 से ज्यादा रहेगा, वहीं यू।पी। के किसानों को केवल 180 रूपये तक मिलेगा। यह सरासर अन्याय है।

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