शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

श्रृमिक की मोत पावर प्रोजेक्ट का काम ठप्प!


श्रृमिक की मोत पावर प्रोजेक्ट का काम ठप्प!

(अभिषेक गीते)

खण्डवा (साई)। सिंगाजी ताप परियोजना में सोमवार को हुई एक श्रमिक की मौत के बाद एक बार फिर बुधवार परियोजना के निर्माण कार्य ठप्प हो गए। बुधवार सुबह निर्माण कंपनियों के अधिकारी कर्मचारी परियोजना स्थल तो पहुंचे किन्तु श्रमिको के नदारद रहने से वह निर्माण कार्य आरंभ नहीं करा सके। हालाकि परियोजना के मुख्य निर्माण स्थलों को छोड़ कर बाकी बाहरी कार्याे को अंजाम देने में कुछ निर्माण कम्पनिया पीछे नहीं हटी उन्होंने अपना काम मंगलवार भी जरी रखा।
प्लांट में हो रही इस तरह की दुर्घटनाओ से जहा निर्माण कार्य बाधित हो रहे है वही हुई घोषनाओ के मद्देनजर अब 2013 मे कैसे निर्माणाधीन दोनों यूनिटे बिजली का उत्पादन करने लगेगी यह एक बड़ा सवाल बन गया है। प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा इस प्रोजेक्ट के माध्यम से मध्य प्रदेश को उर्जा के क्षेत्र में स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से परियोजना के निर्माण में व्यक्तिगत रूचि दिखा कर यहाँ का उच्चाधिकारियों सहित दो बार भ्रमण भी किया गया। मुख्यमंत्री इस परियोजना के अवलोकन के लिए पहली बार 17 अप्रेल 2011 में दोंगालिया पहुंचे थे। प्रारंभिक आकार ले रही इस परियोजना के निर्माण कार्याे का निरिक्षण करने के बाद उमीद के साथ उन्होंने यह घोषणा की थी कि परियोजना की प्रथम इकाई दिसम्बर 2012 तक बिजली उगलना प्रारंभ कर देगी। किन्तु उनकी यह उमीद निर्माण कार्याे में बार-बार आ रही अड़चनो के कारण पूरी नहीं हो पाई। इसी के साथ जनवरी 2013 से समूचे मध्यप्रदेश को 24 घंटे बिजली देने की घोषणा भी अमलीजामा नहीं पहन पाई। 17 अक्तूबर 2012 को फिर वे ताप परियोजना में निर्माण कार्याे की प्रगति का जायजा लेने निर्माण स्थल पहुंचे। अपने इस भ्रमण में उन्होंने निर्माण कार्याे के पिछड़ने को लेकर चिंता जताते हुए कड़े रुख के साथ मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के अधिकारियो को परियोजना की निर्माण गति बढाने के निर्देश दिए थे। साथ आये उर्जा सचिव ने तो कुछ निर्माण कंपनियों के अधिकारियो को हुई समीक्षा बैठक में लताड़ लगाते हुए चेतावनी भरे लहेजे में ताकीद दी थी की अगर मगर कुछ नहीं काम चाहिए.....
इस भ्रमण में प्रदेश के मुखिया बोल कर गए थे की 31 मार्च परियोजना से विद्युत उत्पादन प्रारंभ होने की अंतिम तिथि तय की गयी है। किन्तु जिस तरह से परियोजना के निर्माण विभिन्न कारणों से पिछड़ रहे है उसमे प्रथम यूनिट से बिजली बनना मार्च तक भी संभव नहीं दिखता। इसी प्लांट की दूसरी इकाई से बिजली उत्पादन का लक्ष 15 अगस्त 2013 रखा गया है। निर्माण कार्याे की गति कही से कही तक इन लक्षो के आसपास नहीं है। ऐसे में समूचे मध्य प्रदेश में को 1 अप्रेल से 24 घंटे बिजली देने की मंशा को पूरा करने में सिंगाजी ताप प्रोजेक्ट अपना कितना योगदान दे पायेगा इस पर सवालिया निशान खड़े हो गए है।
परियोजना निर्माण के प्रारंभ से ही मूंदी-खंडवा एवं मूंदी सनावद मार्ग की खस्ता हालत के साथ निर्माण स्थल तक का पहुँच मार्ग जीर्ण शीर्णता के साथ आवागमन को लेकर निर्माण कार्याे को प्रभावित करता रहा है। निर्माण स्थल पर पहुँचने वाली सामग्री एवं उसमे लगने वाले उपकरणो को नियत स्थल तक पहुँचाने में प्रारंभिक अवस्था में निर्माण कम्पनियों को भरी मशक्कत करना पड़ी। ऐसे में जहा निर्माण कार्याे की गति तो प्रभावित हुई ही, वही निर्माण कम्पनीयो को भारी आर्थिक हानिया भी उठाना पड़ी। परियोजना निर्माण प्रारंभ करने के पूर्व इन सब तैय्यारियो के प्रति लापरवाही या उदासीनता क्यों बरती गयी ये बड़ा प्रश्न है।अब परियोजना के निर्माण कार्य कर्मियों एवं श्रमिको के साथ हो रही बार बार की दुर्घटनाओ से प्रभावित हो रहे है। एसे में उनसे उपजने वाले हालातो को लेकर दूर द्रष्टि के साथ कोई स्थायी हल अब तक क्यों नहीं निकल गया। आये दिन ऐसी दुर्घटनाये जंहा निर्माण स्थल पर असंतोष को जन्म दे रही है ,वही निर्माण कार्याे के बार-बार बाधित होने से परियोजना की प्रगति भी बाधित हो रही है।
कर्मियों एवं श्रमिको के साथ हुई दुर्घटना एवं उससे उपजे असंतोष के साथ श्रमिको के भुगतानों एवं उनकी मांगो को लेकर अप्रिय स्थितियों का निर्माण हुआ। हालात इतने बेकाबू हुए की निर्माण कार्याे को प्रारंभ करवाने हेतु जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा। निर्माण स्थल पर दुर्घटनाओ का सिलसिला 27 फ़रवरी 2011 से पुरनी बेक वाटर में डूबने से दो युवा इंजीनियरों काशिफ रजा एवं पी बी प्रसाद की दर्दनाक मौतों से प्रारंभ हुआ जो अब दुर्घटनाओ के रूप में आज तक जारी है। निर्माण स्थल पर 4 अक्टूबर 11 को श्रमिक कैलाश उर्फ़ गोलू की ग्रेडिंग मशीन से कुचले जाने के बाद म्रत्यु हो गयी थी। इसी तरह 25 मार्च 12 को राजदीप नाम के युवक की प्लांट के समीप ई प्वाईंट पर अज्ञात कारणों से मौत हो गयी , 03 जुलाई 12 को दो श्रमिक कश्मीर सिंह एवं मनीष प्रजापति की आकाशीय बिजली गिरने से मौत हुई , 12 अगस्त 12 को श्रमिक एस कुमार बायलर कार्य करते 30 मीटर की ऊँचाई से गिरकर मौत का शिकार बन गया , इसके तुरंत बाद इसी माह की 26 तारीख को हेल्पर धर्मेन्द्र यादव की 17 मीटर ऊँचाई से गिर कर म्रत्यु हो गयी थी, तब परियोजना के निर्माण कार्य 5 दिनों तक बंद रहे थे। प्लांट के श्रमिको ने अब अपनी सुविधाओं को लेकर लामबंध होना भी प्रारंभ कर दिया था।
प्लांट में मौतों का सिलसिला इसी तरह जरी रहा 14 सितम्बर 12 को काम के दौरान लगी चोट से बिहार निवासी चन्द्रिका प्रसाद को मौत निगल गयी, 4 अक्तुबर 12 को ऊँचाई पर काम करते हुए तबियेत बिगड़ने से वीरेंद्र सिंह की मौत हो गयी , 1 दिसंबर 12 को परियोजना स्थल से निकलने वाली हाई टेंशन लाइन का कार्य करते हुए 18 मीटर की ऊँचाई से गिर कर हरिनारायण पिता बीरसाईं ने दम तोड़ दिया।
वर्ष 2013 की शुरुवात में ही 2 जनवरी को हेप्पीसिंह निवासी पंजाब की कार्य के दौरान 25 मीटर की ऊँचाई से गिरने पर मौत हो गयी थी। जनवरी माह में ही एक सुरक्षा गार्ड सुरेश पिता पुन की संदेहास्पद मौत के बाद समूचे क्षेत्र एवं निर्माण स्थल पर कार्य करने वालो के लिए देहला देने वाले गोलीकांड ने परियोजना निर्माण कार्य को एक सप्ताह पीछे धकेल दिया। घटना में परियोजना के ही एक सुरक्षाकर्मी द्वारा एक वाहन चालक नर्मदाप्रसाद पर गोली चला दी गयी जिससे उसकी मौत हो गयी। समूची घटना प्रदेश स्तर पर सुर्खियों में रहने के साथ निर्माण स्थल पर भी सबको भयभीत कर गयी।
उक्त समूची दुर्घटनाओ से परियोजना के निर्माण कार्य तक़रीबन 45 से 60 दिनों तक कार्य बंद होने से पिछड़ गए। ऐसे में अगर भविष्य में भी परियोजना के निर्माण कार्याे के लिए जवाबदेह निर्माण एजेंसी मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कम्पनी द्वारा प्रभावी कदम नहीं उठाये गए तो सिंगाजी ताप परियोजना से समय पर विद्युत उत्पादन का लक्ष्य आसान नहीं होगा। ऐसी परिस्थितियों में मुख्यमंत्री की घोषणा अनुसार अप्रेल से 24 घंटे बिजली देने में सिंगाजी ताप परियोजना अपना योगदान कैसे दे पाएगी ,यह सरकार के लिए अब चुनोती भरा हो गया है।

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