बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

शासन व प्रशासन के कृत्य गैर संवैधानिक: हेडाऊ


शासन व प्रशासन के कृत्य गैर संवैधानिक: हेडाऊ

(अखिलेश)

सिवनी (साई)। छपारा की घटित निंदनीय घटना को लेकर प्रदेश में सत्तारूढ पार्टी के अनुशांगिक संगठनों द्वारा 06 फरवरी को प्रशासन को सूचना दिये बगैर बंद कराने का गैर संवैधानिक कदम उठाया गया। इसी माध्यम से बंद के दौरान नगर के साम्प्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ने का प्रयास किया गया तथा सार्वजनिक शांति को भंग कर भययुक्त वातावरण नगरवासियों के बीच कायम किया गया।
उक्ताशय की बात भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव हजारी लाल हेडाऊ के द्वारा आज जारी एक विज्ञप्ति में कही जाकर उल्लेख किया गया है कि जिला प्रशासन द्वारा धारा 144 द.प्र.सं. का उपयोग मात्र किया गया। इसे लगाने के बाद भी पुलिस एवं जिला प्रशासन द्वारा न तो स्थिति को भांपा गया और न ही इस दंड प्रक्रिया संहिता का प्रशासनिक तौर पर पूर्णतः पालन ही नहीं कराया गया। इसके विपरीत उपद्रवी, साम्प्रदायिक स्थिति पैदा करने वाले एवं शांति व्यवस्था भंग करने वालों के विरूद्ध प्रशासन ने त्वरित ठोस कार्यवाही भी नहीं की जिससे उनके हौंसले बुलंद होते गये और नगर में तरह-तरह की अफवाहों का दौर जारी रहा जिसने आग में घी डालने का काम किया।
श्री हेडाऊ ने कहा कि जब छपारा पुलिस ने अपराधियों को हिरासत में लेकर उनके विरूद्ध आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध कर उन्हें न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया था फिर इस तरह की कार्यवाही करने का औचित्य क्या था?
विज्ञप्ति में कहा गया कि इस वर्ष प्रदेश विधान सभा चुनाव होना है और राज्य में सत्तारूढ दल के अनुसांगिक संगठन इन चुनावों के मद्देनजर वोट बैंक के खाते साम्प्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ने हेतु किये गये कृत्य निंदनीय हैं। प्रशासन द्वारा भी उनके विरूद्ध त्वरित कोई कार्यवाही नहीं किया जाना यह चरितार्थ करता है कि सैया भये कोतवाल तो फिर डर काहे का।
कम्युनिष्ट पार्टी के जिला सचिव हजारी लाल हेडाऊ ने यह भी कहा है कि सिवनी की निजी जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है और नगर में कर्फ्यू घोषित कर बेकसूर नगरवासियों को उनके ही घरों में जेल जैसी स्थिति में रहने को बाध्य किया गया है। वैसे भी आम आदमी मंहगाई की मार झेल रहा है, उनके सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है, बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिल रहा है, भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है पर इन साम्प्रदायिक दंगाईयों को इनसे क्या लेना-देना। वास्तविक समस्याओं से आम जनों का ध्यान हटाने के लिए असंवैधानिक साम्प्रदायिकता का रंग देना ही दंगाईयों का मकसद होता है।
काम। हेडाउ ने जिला प्रशासन पर उंगली उठाते हुए कहा है कि समय रहते यदि प्रशासन इन दंगा फसादियों एवं साम्प्रदायिक रंग देने वाले लोगों के विरूद्ध ठोस व कठोर कार्यवाही करने में सक्षम होता तो कर्फ्यू जैसे हथियार को घोषित करने की उसे कतई आवश्यकता नहीं होती।
श्री हेडाऊ ने कहा कि कर्फ्यू से आज तक किसका भला हुआ है? आम आदमी भय के वातावरण में अपने ही घर में कैद था। जिला प्रशासन द्वारा राजनैतिक दलों के साथ बैठकर स्थिति एवं कार्यवाही करने का विचार विमर्श करना भी उचित नहीं समझा गया।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उक्त घटित घटनाओं की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए जिला प्रशासन से अपेक्षा करती है कि साम्प्रदायिक तत्वों से सख्ती एवं निष्पक्षता से निपटा जाये और कम्यु। पार्टी सभी जिलेवासियों से शांति बनाने की अपील भी करती है।

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