गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

कैथल में सफल रही ट्रेड यूनियनों की हड़ताल


कैथल में सफल रही ट्रेड यूनियनों की हड़ताल

(राजकुमार अग्रवाल)

कैथल (साई)। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर देश भर में की गई दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के पहले दिन कैथल में लगभग 90 प्रतिशत पूरी तरह बंद रहा। शहर के सभी कर्मचारी संगठनों ने पूरी तरह से काम ठप्प रख हड़ताल को सफल बनाया। नए बस स्टैंड पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल में भाग ले रहे सुबह कर्मचारियों पर पुलिस प्रशासन द्वारा लाठियां भांजी गई, जिसमें दर्जन भर कर्मचारी घायल हो गया। कर्मचारियों की हड़ताल के चलते नए बस स्टैंड पर दिन भर पुलिस प्रशासन भारी संख्या में मौजूद रहा, वहीं उपायुक्त चंद्रशेखर, पुलिस अधीक्षक कुलदीप सिंह, जिला राजस्व अधिकारी राजबीर धीमान, सी.आई.ए. थाना प्रभारी राजकुमार, सिटी थाना प्रभारी विष्णु प्रसाद सभी अन्य थानों के प्रभारी भी मौके पर मौजूद थे। हड़ताल के कारण पूरी तरह चक्का जाम रहा। सहकारी समितियों की बसें अपने रूटों पर चल रही थी, वहीं प्राइवेट बसों ने भी खूब चांदी कूटी। हरियाणा राज्य परिवहन की बसों का चक्का जाम होने से यात्रियों को काफी परेशानियों का भी सामना करना पड़ा। हड़ताल के चलते शहर के बैंक भी बंद रहे। बैंकों के बंद होने से करोड़ों रुपए का कार्य प्रभावित हुआ। सर्व कर्मचारी संघ के जिला प्रधान, सतबीर गोयत, हाकम सिंह खनौदा, जसबीर सिंह आदि ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने पंूजीपतियों के आदेशों पर कर्मचारियों पर लाठीचार्ज किया है। इसके वे घोर निंदा करते है। इसके अलावा कर्मचारियों ने अंबाला में हड़ताल के दौरान कर्मचारी काका सिंह की मौत पर भी कड़ी निंदा की और दो मिनट का मौन धारण किया। सुबह कर्मचारी भगत सिंह चौक, पटवार भवन से होते हुए जवाहर पार्क पहुंचे, जहां कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इसके बाद सभी कर्मचारी संगठन नए बस स्टैंड पर पहुंचे, जहां कर्मचारियों ने एकजुटता दिखाते हुए हड़ताल को सफल बनाने में योगदान दिया।
हरियाणा बिजली कर्मचारी ज्वाइंट एक्शन कमेटी, आल इंडिया यूनाईटिड ट्रेड यूनियन सैंटर, संयुक्त कर्मचारी मंच, हरियाणा कर्मचारी महासंघ, हरियाणा रोडवेज कर्मचारी ज्वाइंट एक्शन कमेटी, आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता, सहायिका यूनियन, अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन, भारतीय किसान सभा, हरियाणा ग्रामीण चौकीदार सभा, वन विभाग मजदूर यूनियननगरपालिका कर्मचारी संघ, दी रैवन्यू पटवार एवं कानूनगो एसोसिएशन, स्वास्थ्य विभाग तालमेल कमेटी, जनसंघर्ष मंच हरियाणा, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी यूनियन, स्टूडैंट्स फैडरेशन आफ इंडिया, भवन निर्माण कारीगर मजदूर यूनियन व अतिथि अध्यापक संघ सहित बैंकिंग, एल.आई.सी. सहित अन्य कर्मचारी यूनियनों ने भी हड़ताल में भाग लिया। पुलिस प्रशासन द्वारा कर्मचारियों पर किए गए लाठीचार्ज में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी रोहताश, कृष्ण, सोनू, आंगनवाड़ी वर्कर शकुंतला, ज्ञानचंद, परिचालक निरंजन, गौरव व गोपीचंद सहित अन्य तीन-चार अन्य कर्मचारी घायल हो गए। कर्मचारियों की मांगें  है कि बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी व भ्रष्टाचार पर काबू पाना, 3519 प्राइवेट परमिटों को रद्द करना, वेतन विसंगतियां दूर करना, सातवें वेतन आयोग का गठन करना, क्लैरिकल कर्मचारियों को वेतन देना, कच्चे कर्मचारियों को पक्का करना, मनरेगा के तहत कार्य करने वाले मजदूरों का मानदेय देना, ग्रामीण चौकीदारों को घोषित 500 रुपए एरियर सहित तुरंत भुगतान करना, ग्रामीण चौकीदारों को सरकारी कर्मचारी घोषित करना, वेतन पहचान पत्र के आधार पर देना, इंदिरा आवास योजना के हत गरीबों को मकान देना, चौकीदारों की मृत्यु पर उसके परिवार को एक लाख रुपए सहायता देना, मानसेर मारुति से हटाए गए कर्मचारियों को बहाल करना, खेतीहर मजदूरों व गरीबों को रिहायशी प्लाट देने, वन अधिकार कानून को समुचित ढंग से लागू करना, लोकपाल विधेयक पारित करना, खेत मजदूरों के लिए केंद्रीय कानून बनाना व खुदरा व्यापार क्षेत्र में एफ.डी.आई. पर रोक लगाना मुख्य मांगों में शामिल है। इस मौके पर उनके साथ हड़ताल में सरबत पुनिया, बाबू लाल यादव, जसबीर सिंह, पहल सिंह तंवर, शमशेर सिंह जांगड़ा, श्यालाल कल्याण, सुरेंद्र श्योकंद, शमशेर जांगड़ा, जीताराम, देवीप्रसन्न, सोमनाथ, मांगेराम, मदनलाल, बलवंत, फूला, इकबाल सिंह चंदाना, राजे सिंह रावत, सतपाल राविश, रतनलाल शर्मा, दिलबाग सैनी, कुलदीप शर्मा, जयपाल, भीम सिंह, कामरेड प्रेमचंद, सीताराम नरड़, ईश्वर बंदराना, रुस्तम सैनी, धर्मपाल माथुर, रोशनलाल, सोनिया, शकुंतला, बबीता, निर्मला, संतोष देवी सहित अन्य सैकड़ों पुरुष एवं महिला कर्मचारियों ने भी भाग लिया। दूसरी और राष्ट्रव्यापी हड़ताल का असर बाजारों व स्कूलों पर नहीं देखा गया। शहर व गांवों में स्कूल खुले थे। हर रोज की तरह बच्चे आज भी स्कूलों में पढऩे गए। इसी प्रकार शहर की मुख्य मार्किट के साथ-साथ छोटे बाजार भी खुले थे। लोगों ने हर रोज की तरह अपने काम किए। लोगों ने दुकानों पर करियाने व अन्य प्रकार के सामान खरीदे। 

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