शुक्रवार, 1 मार्च 2013

कभी भी बंद हो सकती है छिंदवाड़ा नैनपुर ट्रेन!


0 सिवनी से नहीं चल पाएगी पेंच व्हेली ट्रेन . . . 11

कभी भी बंद हो सकती है छिंदवाड़ा नैनपुर ट्रेन!

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। सिवनी वासियों के लिए यह खबर दर्दनाक हो सकती है कि लगभग 110 साल पुरानी छिंदवाड़ा से बरास्ता सिवनी, नैनपुर छुक छुक गाड़ी को कभी भी बंद किया जा सकता है। इसका कारण इस रेल खण्ड पर माल ढुलाई का ना होना है। अमूमन रेल को जो आय होती है वह माल ढुलाई से ही होती है, सालों से छिंदवाड़ा नैनपुर रेलखण्ड पर माल ढुलाई नहीं हो रही है, जिससे यह रेल खण्ड घाटे में जाकर रेल मंत्रालय के लिए सफेद हाथी बना हुआ है।
रेल मंत्रालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि भारत जब आजाद हुआ था तब रेल द्वारा माल ढुलाई 90 फीसदी से अधिक हुआ करती थी। अब यह माल ढुलाई तीस प्रतिशत से भी कम बची है। शेष 70 फीसदी माल ढुलाई अब सड़क परिहन के भरोसे ही है। रेल माल ढुलाई में कमी का सबसे बड़ा कारण यात्री रेल सुविधाएं एवं कारीडोर का अभाव ही माना जा रहा है।
इस तरह रेल्वे का मुख्य आय का स्त्रोत माल ढुलाई सिकुड रहा हैै। यही कारण है कि देश में माल ढुलाई के कारीडोर में इजाफे के साथ ही साथ रेल्वे द्वारा हर यात्री रेल में अलग से कमोबेश चार चार डिब्बे लगाए जा रहे हैं, जिससे रेल्वे की आय में इजाफा हो सके। अगर रेल्वे को माल ढुलाई से आय कम होती गई तो भारतीय रेल की अर्थव्यवस्था चरमराने में समय नहीं लगेगा।
देखा जाए तो सार्वजनिक परिवहन एक सामाजिक जिम्मेदारी है ना कि लाभ कमाने का जरिया। इस बात को आजाद भारत में रेल मंत्री रहे बिहार के सांसद डॉ.राम सुभग सिंह ने 1977 - 1967 के रेल बजट में साफ किया था। बाद में बिहार के ही सांसद रहे रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने स्वयंभू प्रबंधन गुरू बनकर इसे सामाजिक जिम्मेदारी से ज्यादा लाभ का जरिया बनाने का हर संभव प्रयास किया था।
सूत्रों ने साई न्यूज को आगे बताया कि रेल्वे बोर्ड द्वारा उन रेल खण्डों को चिन्हित करने का प्रयास किया जा रहा है जिन रेल खण्डों में माल ढुलाई शून्य है। इनमें नैनपुर छिंदवाड़ा का नेरोगेज रेल खण्ड सबसे उपर ही आ रहा है। इन परिस्थितयों में जब इस रेल खण्ड में माल गाड़ी का संचालन सालों से बंद है और इसके अमान परिवर्तन का काम मंथर गति से चल रहा है तो आने वाले समय में इस रेलखण्ड पर रेल का संचालन बंद कर दिया जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
(क्रमशः जारी)

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