गुरुवार, 4 अप्रैल 2013

प्रणव मुखर्जी ने निपटाई दया याचिकाएं


प्रणव मुखर्जी ने निपटाई दया याचिकाएं

(प्रदीप चौहान)

नई दिल्ली (साई)। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने दया याचिकाओं के मामले में तेजी लाकर अपना रूख स्पष्ट कर दिया है। श्री मुखर्जी ने अनेक दया याचिकाएं वापस भेज दी हैं। उन्होंने उनके पास पेडिंग पड़ी सभी सात दया याचिकाओं पर फैसला सुना दिया है। 5 मामलों में फांसी की सजा बरकरार रखी गई है, जबकि दो में राहत देते हुए सजा को उम्रकैद में बदला गया है। राष्ट्रपति ने जो दया याचिकाएं खारिज की हैं उनमें से एक हरियाणा के धर्मपाल का भी है। रेप में दोषी ठहराए गए हरियाणा के धर्मपाल ने परोल पर रिहा होने के बाद रेप पीड़िता परिवार के पांच सदस्यों की हत्या कर दी थी। धर्मपाल की 14 सालों से दया याचिका पेंडिंग पड़ी थी। सूत्रों के मुताबिक उसे अगले हफ्ते फांसी दी जा सकती है।
राष्ट्रपति भवन के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि प्रणव मुखर्जी के पास 7 दया याचिकाएं पेडिंग पड़ी थीं। इन सात मामलों में कुल 9 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रपति ने संविधान के आर्टिकल 72 के तहत अपनी पावर का इस्तेमाल करते हुए इन सभी दया याचिकाओं पर फैसला सुना दिया।
गौरतलब है कि गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति को भेजी गईं सात दया याचिकाओं में से 5 को खारिज करने और दो को ताउम्र कैद में बदलने की सिफारिश की थी। इसमें उम्रकैद का मतलब 14 या 20 साल की सजा नहीं, बल्कि मरने तक जेल में रहने से था। राष्ट्रपति ने गृह मंत्रालय की सिफारिश को मंजूर कर लिया।
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इनमें से एक यूपी के गुरमीत सिंह को 17 अगस्त 1986 को एक परिवार के 13 लोगों की हत्या के मामले में फांसी की सजा दी गई थी। इसके साथ ही साथ उत्तर प्रदेश के एक अन्य मामले में सुरेश और रामजी को अपने भाई के परिवार के पांच लोगों की हत्या में मौत की सजा दी गई थी।
सूत्रों ने साई न्यूज को बताया कि इनमें हरियाणा के बहुचर्चित रेलूराम पुनिया हत्याकांड में दोषी हरियाणा के पूर्व विधायक की बेटी सोनिया और उसके पति संजीव का मामला भी शामिल है। वहीं उत्तराखंड के सुंदर सिंह को दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में मौत की सजा दी गई थी।
उत्तर प्रदेश के जफर अली को 2002 में पत्नी और पांच बेटियों की हत्या के मामले में मौत की सजा दी गई थी। इसमें हरियाणा के धर्मपाल का भी मामला है। धर्मपाल ने 1993 में एक लड़की से रेप किया और जब वह बेल पर छूटा तो उसने लड़की के परिवार के 5 लोगों की हत्या कर दी थी। 1991 में धर्मपाल पर सोनीपत में एक लड़की के साथ रेप के आरोप लगे। 1993 में इसे 10 साल कैद की सजा मिली। धर्मपाल ने लड़की को कोर्ट में गवाही देने पर धमकी दी थी।
वह 1993 में पांच दिनों के लिए पैरोल पर रिहा हुआ। जब लड़की के परिवार वाले सो रहे थे तब धर्मपाल ने इन पर हमला बोल दिया। धर्मपाल ने पीड़िता के माता-पिता तले राम और कृष्णा, बहन नीलम, भाई प्रवीण और टीनू पर अंधाधुंध लाठी चलाकर हत्या कर दी।
धर्मपाल के भाई निर्मल ने इनकी हत्या करने में मदद की थी। दोनों को मौत की सजा दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने 1999 में धर्मपाल की सजा कायम रखी लेकिन निर्मल की सजा उम्र कैद में तब्दील कर दी। निर्मल 2001 में पैरोल पर रिहा हुआ तो फरार हो गया। उसे 10 साल बाद फिर से अरेस्ट किया गया।
धर्मपाल ने पहले 1999 में दया याचिका दाखिल की। अगले ही साल दया याचिका खारिज कर दी गई। उसने फिर से 2005 में दया याचिका दाखिल की लेकिन तब से पिछले साल दिसंबर तक याचिका पेंडिंग में पड़ी रही। इसके बाद गृह मंत्रालय ने धर्मपाल समेत 7 दया याचिका राष्ट्रपति के पास भेजी। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने धर्मपाल की याचिका खारिज कर दी। अब हरियाणा सरकार धर्मपाल की फांसी के लिए तैयारी कर रही है।
हरियाणा में 19 जेल हैं लेकिन अंबाला और हिसार में ही फांसी देने की सुविधा है। अंतिम फांसी 1989 में अंबाला जेल में हत्यारा गुलाब सिंह को दी गई थी। धर्मपाल फिलहाल रोहतक जेल में है। हरियाणा के पास को जल्लाद मौजूद नहीं है। हालांकि जेल सुपरिंटेंडेंट इसके लिए किसी को भी उचित समझकर जिम्मेदारी दे सकते हैं। सोनीपत ट्रायल कोर्ट से डेथ वॉरंट मिलने के बाद सरकार कुछ औपचारिकता पूरी करेगी। इसके बाद फांसी की तारीख तय हो जाएगी।

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