गुरुवार, 30 जून 2011

महत्वपूर्ण मंत्रालय से चलेगा रसूख का पता

महत्वपूर्ण मंत्रालय से चलेगा रसूख का पता

पट नहीं पा रही सत्ता और संगठन के शीर्ष पदों के बीच की दुर्लभ्य खाई

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। कांग्रेस में सत्ता और संगठन के बीच खाई पटने के बजाए और गहराती जा रही है। कभी सोनिया खेमे के तारणहार रहे प्रणव मुखर्जी अब मनमोहन सिंह के दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं। प्रणव मुखर्जी के मातहत रहे मनमोहन सिंह अब उनके बॉस की भूमिका में हैं। कभी पीएम को मनमोहन के नाम से पुकारने वाले प्रणव अब उनके अधीन वित्त मंत्री के तौर पर काम तो कर रहे हैं वे भी पीएम को सरसंबोधित करते नजर आ रहे हैं, साथ ही वे उप प्रधानमंत्री बनने आतुर भी दिख रहे हैं।

उप प्रधानमंत्री, वित्त, गृह, विदेश, मानव संसाधन, कानून, शहरी विकास, रेल जैसे अहम मंत्रालय तय करेंगे कि मनमोहन सिंह ज्यादा वजनदार हैं या फिर अभी भी सत्ता की धुरी सोनिया गांधी के हाथों में ही है। मनमोहन के लिए प्रणव मुखर्जी अब तारण हार की भूमिका में नजर आ रहे हैं। वे मनमोहन सिंह के लिए ज्यादा से ज्यादा समर्थन जुटाने की जुगत में दिख रहे हैं।

पीएम से हर मामले मंे वरिष्ठ, काबिल और अनुभवी प्रणव मुखर्जी के मुंह से आजकल वजीरे आजम के लिए सरका संबोधन भी लोगों को हैरान करने के लिए काफी है। माना जा रहा है कि सोनिया मण्डली विशेषकर महासचिव राजा दिग्विजय सिंह के सोनिया और राहुल पर एकाधिकार से आजिज आकर प्रणव मुखर्जी ने मनमोहन सिंह को मजबूत बनाने की कवायद आरंभ कर दी है। सोनिया की माला जपने वाली अंबिका सोनी के हाथों से सूचना प्रसारण मंत्रालय का प्रभार छीना जा सकता है।

प्रणव के मशविरे पर अब मनमोहन सिंह द्वारा कपिल सिब्बल, गुलाम नवी आजाद, कमल नाथ, एस.एम.कृष्णा, पवन कुमार बंसल जैसे नेताओं को अहम मंत्रालयों की कमान देकर सोनिया मण्डली को संदेश देना चाहेंगे कि आने वाले लगभग ढाई साल अब सत्ता पर सोनिया नहीं वरन् मनमोहन का राज चलेगा। सोनिया मण्डली के दबाव के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अब अपनी कमजोर और लाचारवाली छवि से निजात पाने इच्छुक दिखाई दे रहे हैं।

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