सोमवार, 26 दिसंबर 2011

रीता ही है वर्षांत में सरकारी उपलब्धियों का कलश


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 61

रीता ही है वर्षांत में सरकारी उपलब्धियों का कलश

साल भर में कोई उपलब्धि नहीं हासिल की मनमोहन सरकार ने



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। साल की समाप्ति में महज पांच दिन बचे हैं और मीडिया के पास सरकार की धनात्मक बातों के खाते का कलश पूरी तरह से खाली ही है। अमूमन साल के आखिरी पखवाड़े में साल भर का लेखा जोखा प्रस्तुत करने का रिवाज रहा है मीडिया में। पिछले दो सालों से मीडिया में इस बात को लेकर चर्चा गर्म है कि वजीरे आजम डॉक्टर मनमोहन सिंह के यूपीए टू के कार्यकाल में उपलब्धियां लगभग शून्य ही रही हैं।
इस साल प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के खाते में सिर्फ और सिर्फ एक ही बात आएगी कि उन्होंने अपनी ईमानदार छवि को बनाए रखा है और नेहरू गांधी परिवार से इतर (महात्मा गांधी नहीं) सबसे ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री रहने का रिकार्ड भी मनमोहन सिंह के नाम हो चुका है।
कांग्रेस के अंदरखाने में चल रही चर्चाओं के अनुसार यूपीए टू में मनमोहन सिंह का परफार्मेंस इतना खराब रहा है कि अब देश मनमोहन सिंह के वजीरे आजम के पद से रूखसती के लिए और अधिक प्रतीक्षा करने की स्थिति में नहीं दिख रहा है। चर्चाओं के अनुसार कांग्रेस के आला नेताओं का मानना है कि अगर मनमोहन सिंह को और अधिक समय तक प्रधानमंत्री पद पर काबिज रखा गया तो कांग्रेस का नामलेवा देश भर में भी नहीं बचेगा।
कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के दूसरे कार्यकाल में जिस तरह घपले, घोटाले, भ्रष्टाचार के महाकांड सामने आए हैं उससे कांग्रेस शर्मसार हुए बिना नहीं रही है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी और युवराज राहुल गांधी की मजबूरी है कि वे इतने महाकांड के उजागर होने के बाद भी अपना मुंह सिले हुए हैं। अगर दोनों ही ने इस मामले में कुछ बोला तो देश बरबस ही बोल उठेगा कि यही है सोनिया और राहुल की पसंद?

(क्रमशः जारी)

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