शुक्रवार, 13 जनवरी 2012

फोरलेन छीनने का षड़यंत्र


0 एनएचएआई के नक्शे से सिवनी गायब!

फोरलेन छीनने का षड़यंत्र



(संतोष श्रीवास)

सिवनी (साई)। राजग सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दो महत्वकांक्षी योजनाएं थी एक नदियों को जोड़ने की और दूसरी भारते के चारों महानगरों और चारों दिशाओं को सड़क मार्ग द्वारा जोड़ने की जिसे कि स्वर्णिम चतुर्भुज तथा उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम गलियारे का नाम दिया गया। इस चतुर्भज में उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम के महानगरों को जोड़ने के लिए कोई सीधा वैकल्पिक मार्ग न हो पाने से उत्तर दक्षिण और पूर्व पश्चिम गलियारे की परिकल्पना की गई। स्वर्णिम चतुर्भुज योजना का ही एक महत्वपूर्ण अंग उत्तर दक्षिण कारीडोर हैं जो कि श्रीनगर से आते आते नरसिंगपुर-लखनादौन-सिवनी-खवासा होते हुए नागपुर से आगे कन्याकुमारी तक जाता है।
सीमावर्ती जिला छिंदवाड़ा के सांसद और केंद्रीय मंत्री कमलनाथ बहुत पहले से चाहते थे कि छिंदवाड़ा जिले में नेशनल हाईवे का जाल बिछाया जाए। इस हेतु उन्होंने नब्बे के दशक के अंतिम वर्षों में ओबेदुल्लागंज से परासिया, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, गोंदिया होकर देवरे के मार्ग को नेशनल हाईवे में तब्दील कराने का प्रयास किया था जो परवान नहीं चढ़ सका।
इसके बाद यह बात और सामने आई कि उत्तर दक्षिण कारीडोर नरसिंहपुर से लखनादौन सिवनी होकर नागपुर जाने के स्थान पर नरसिंहपुर से हर्रई, अमरवाड़ा, छिंदवाड़ा,सौंसे होते हुए नागपुर जाए। इस योजना की हवा तब निकली जब राज्य सभा में कमल नाथ के बयान के बाद उनके संज्ञान में लाया गया कि उक्त मार्ग नेशनल के बजाए स्टेट हाईवे है अतः इस योजना को ठण्डे बस्ते के हवाले कर दिया गया। इसके उपरांत बताते हैं कि कमल नाथ ने अपने प्रभाव का उपयोग कर मध्य प्रदेश सरकार से नरसिंहपुर, अमरवाड़ा छिंदवाड़ा सौंसर नागपुर मार्ग को नेशनल हाईवे घोषित करवाने का प्रस्ताव केंद्र बुलवा लिया। चूंकि कमल नाथ स्वयं ही भूतल परिवहन मंत्री थे, अतः इस योजना को तत्काल स्वीकृति मिल गई।
कहा तो यह भी जा रहा है कि पूर्व में अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में कमलनाथ ने उनसे मुलाकात कर इस सड़क को नरसिंगपुर से डायवर्ट कर छिंदवाड़ा होते हुए बनाये जाने की मांग रखी थी तब श्री वाजपेयी ने मना कर दिया था और कहा था कि कि जो है जैसा है वैसा ही रहेगा। चूंकि यह मार्ग एरियल सर्वे के माध्यम से तय किया गया था जिसमें दूरी कम और ईंधन की बचत मूल मंत्र था अतः इसका एलाईंमेंट बदलना किसी भी कीमत पर संभव ही नहीं था।
इसके बाद जब कांग्रेसनीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार बनी और मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री बने उस समय उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय कमलनाथ के पास था। बताते हैं कि तब उन्होंने एक बार पुनः प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से इस सड़का का एलाईंमेंट बदलकर इसे नरसिंहपुर से छिंदवाड़ा होते हुए ले जाये जाने की बात कही थी तब प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि आप आपनी कान्सटेंसी ही क्यों देखते हैं पूरा देश देखकर चलिये।
आरोपित है कि इसके बाद भी कमलनाथ ये प्रयास करते रहे कि ये सड़क सिवनी न होकर छिंदवाड़ा होकर ही गुजरे और कुरई घाट से 7.8 किलोमीटर के हिस्से को लेकर वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आँफ इंडिया ने एक आवेदन लगा दिया। चूंकि यह मामला वन्य जीव और पर्यावरण से संबंधित था अतः इसे काफी पहले 1995 की गोधावर्धन नंबर 202 वाली याचिका में जाकर संलग्न कर दिया गया। इसके बाद मामला सेन्ट्रल एम्पावरमेंट कमेटी (सीईसी) जो कि सुप्रीम कोर्ट में लगने वाले पर्यावरण से संबंधित मामलों पर मौके पर जाकर लोगों से मिलकर वस्तुस्थिति की जानकारी का पता कर सर्वोच्च न्यायालय को अपनी राय देती है के पास पहुँच गया।
वर्ष 2008 में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव थे। इसी बीच चुनावों के दरम्यान जब आचार संहिता लागू थी, सभी लोग चुनावों में व्यस्त थे, के बीच सीईसी के एकल सदस्यीय टीम सिवनी पहुंची और मौके का कथित तौर पर मुआयना किया। उक्त एकल सदस्य ने मध्य प्रदेश सरकार के तत्कालीन मुख्य सचिव राकेश साहनी को एक अनुरोध पत्र दिया जिसमें कहा गया कि कुरई घाटी के विवादित हिस्से से वनों और वृक्षों की कटाई पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की मांग कर डाली।
यह पत्र जिला कलेक्टर सिवनी के पास कैसे पहुंचा यह बात अभी भी रहस्य ही बनी हुई है। बहरहाल जब यह पत्र जिला कलेक्टर सिवनी के पास पहुंचा तब तत्कालीन जिला कलेक्टर सिवनी पिरकीपण्डला नरहरि ने 18 दिसंबर 2008 को जारी और 19 दिसंबर 2008 को पृष्ठांकित आदेश क्रमांक 3266/फोले/2008 के माध्यम से वनों की कटाई पर रोक लगा दी। जिला कलेक्टर ने अपने आदेश में साफ लिखा था कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित केंद्रीय साधिकार समिति के सदस्य सचिव द्वारा उनके पत्र क्रमांक 1-26/सीईसी/सुको/2008 दिनांक 15 दिसंबर 2008 से मुख्य सचिव म.प्र.शासन को लेख कर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 7 के चौड़ीकरण कार्य में ग्राम मोहगांव से खवास तक पेंच टाईगर रिजर्व से लगे वन क्षेत्र व गैर वन क्षेत्रों में की जा रही वृक्षों की कटाई पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आगामी आदेश तक रोक लगाने का अनुरोध किया गया है।
इसी तारतम्य में इस प्रत्याशा के साथ कि राज्य शासन के निर्देश इस संबंध में प्राप्त होना है, उन समस्त आदेशों को जो कलेक्टर कार्यालय सिवनी द्वारा इस संबंध में पूर्व में जारी किए गए हैं, स्थगित रखते हुए भाराराप्रा सिवनी एवं अन्य सभी संबंधित विभागों को आदेशित किया जाता है कि राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक सात के चौड़ीकरण कार्य राष्ट्रीय राजमार्ग से लगे सभी वन क्षेत्रों और गैर वन क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की कटाई प्रतिबंधित की जाती है। वृक्षों की कटाई प्रतिबंधित करने संबंधी यह आदेश मप्र भू राजस्व संहिता के अंर्तगत प्रदत्त की गई पूर्व में प्रदत्त सभ्ीा अनुमतियों पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के इस सबंध में आगामी आदेश जारी होने तक लागू रहेगा।
इस तरह षणयंत्र का ताना बाना बुनकर अटल बिहारी बाजपेयी के शासनकाल की महात्वाकांक्षी सड़क योजना जिसमें ईंधन और समय दोनों ही की बचत होने का अनुमान लगाया जा रहा था पर सिवनी जिले में एक एसा फच्चर फसां दिया गया जिसे निकालने में मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और केंद्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस भी अपने आप को असफल ही पा रही थी। दोनों ही दलों के सिवनी में बैठे नुमाईंदे जनता से आंख चुराकर एक दूसरे पर दोषारोपण इसलिए भी नहीं कर पा रहे थे क्योंकि उन्हें इस पूरे ममाले की असलियत का भान ही नहीं था। मजे की बात तो यह है कि न तो सिवनी की तत्कालीन सांसद श्रीमति नीता पटेरिया ने इस मामले में मुंह खोला और ना ही मध्य प्रदेश विधानसभा में सिवनी जिले का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायकों ने ही अपनी चुप्पी तोड़ना उचित समझा।

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