गुरुवार, 16 फ़रवरी 2012

धूमल को क्यों नहीं फालो करते शिवराज


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  66

धूमल को क्यों नहीं फालो करते शिवराज

वन भूमि बचाने हिमाचल सरकार की अभिनव पहल

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। वन भूमि को बचाने के लिए हिमाचल प्रदेश की प्रेम कुमार धूमल की सरकार ने एक साहसिक निर्णय लिया है, जिसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम होगी। खतरे में पड़े वनों को उजाड़ने के लिए सरकार ने अब विकास का बहाना नहीं चलने देने की बात कही है। एक तरफ तो धूमल सरकार द्वारा वनों को बचाने की जुगत लगाई जा रही है, वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार द्वारा संरक्षित वन में ही उद्योग लगाने की वकालत की जा रही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार हिमाचल प्रदेश में वन भूमि पर अब विद्युत परियोजनाएं लगाना आसान नहीं होगा। कैट प्लान के तहत हुई बैठक में वन एवं ऊर्जा विभाग ने यह निर्णय लिया है। इस दौरान कहा गया कि वन भूमि पर यदि एक भी पेड़ लगा हो तो विभाग वहां पर परियोजना लगाने की अनुमति नहीं देगा।
गौरतलब है हिमालच प्रदेश में वन भूमि पर लगी ऐसी अधिकतर परियोजनाओं के लिए विभाग एनओसी जारी करता था, जिस पर बेशक जितने भी पेड़ लगे हों। पहले वन भूमि पर लगी परियोजनाओं से विभाग को रायल्टी के तौर पर मुआवजा भी नहीं मिला है। कुल्लू में पार्वती प्रोजेक्ट, किन्नौर में कड़छम वांगतू और कुडू आदि अनेक परियोजनाओं के लिए हजारों पेड़ों की बलि दी गई।
वन भूमि पर विद्युत परियोजनाओं की स्वीकृति न मिल पाने को प्रदेश में पर्यावरणविद सही मान रहे हैं। उनका मानना है कि सरकार को वन भूमि पर किसी भी प्रकार की परियोजनाएं चलाने पर बहुत पहले ही रोक लगा लेनी चाहिए थी। इसके अलावा वन भूमि पर अवैध खनन और कटान के मामलों में भी सरकार को सख्त कार्रवाई अमल में लाने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे।
राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं प्रधान सचिव (वन) एस राय ने कहा कि प्रदेश की वन भूमि पर अब विद्युत परियोजनाओं को स्वीकृति नहीं दी जाएगी। कैट प्लान के तहत हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए सरकार वन भूमि पर अवैध खनन व कटान करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करेगी।
यहां सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के छटवीं सूची में अधिसूचित आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकास खण्ड के ग्राम बरेला में स्थापित किए जाने वाले 1260 मेगावाट के कोल आधारित पावर प्लांट जो वास्तव में परिसीमन में विलोपित हुई घंसौर विधानसभा का अंग है में स्थापित किया जा रहा है। इस विधानसभा का प्रतिनिधित्व मध्य प्रदेश विधानसभा में श्रीमति उर्मिला सिंह द्वारा सालों साल किया गया है। उर्मिला सिंह वर्तमान में हिमाचल प्रदेश की महामहिम राज्य पाल के पद पर पदस्थ हैं। क्षेत्र के आदिवासी अपनी जनसेवक रहीं श्रीमति उर्मिला सिंह जो स्वयं आदिवासी समुदाय से हैं की ओर बेहद आशा भरी नजरों से ताक रहा है कि वे संबंध में कुछ पहल कर आदिवासियों को न्याय दिलवाने में महती भूमिका निभाएं।

(क्रमशः जारी)

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