सोमवार, 19 मार्च 2012

गहरा रहे हैं मनमोहन सरकार पर संकट के बादल


गहरा रहे हैं मनमोहन सरकार पर संकट के बादल

त्रणमूल के बाद डीएमके ने तरेरी आंखें



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने भले ही लंबी जद्दोजहद के बाद त्यागपत्र दे दिया हो पर केंद्र में कांग्रेसनीत संप्रग सरकार पर से संकट के बादल छटने के बजाए गहराते ही जा रहे हैं। त्रणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी की प्रेशर टेक्टिस के बाद अब डीएमके ने भी केंद्र सरकार की कालर पकड़ने का मन बना लिया है। एनसीटीसी और श्रीलंका में तमिलों के हालात के मुद्दे पर केंद्र में अहम सहयोगी डीएमके सरकार से किनारा करने के मूड में है। डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि के आवास पर पार्टी के आला नेताओं की बैठक हुई। इस बैठक में तय हुआ कि यदि केंद्र सरकार श्रीलंका में युद्ध अपराधों पर संयुक्घ्त राष्ट्र में प्रस्ताव का समर्थन नहीं करती है तो डीएमके के मंत्री सरकार से अलग हो जाएंगे।
डीएमके के सूत्रों के अनुसार एक ओर जहां डीएमके के अधिकतर नेता चाहते हैं कि मंगलवार को ही अपने मंत्रियों को मनमोहन सरकार से अलग कर लिया जाए और सरकार को बाहर से समर्थन देते रहें वहीं केंद्रीय मंत्री एम के अलागिरी और कुछ अन्य का मानना है कि इस तरह का कड़ा फैसला 23 मार्च के बाद ही लिया जाना चाहिए जब यूएन में प्रस्ताव पर वोटिंग होनी है। उधर, डीएमके सांसद एम कनिमोझी ने उम्मीद जताई है कि केंद्र सरकार कोई ऐसा कदम नहीं उठाएगी जिससे डीएमके अपने मंत्रियों को केंद्र से हटाने पर मजबूर हो जाए। डीएमके और तमिलनाडु में उसकी धुर विरोधी एआईडीएमके केंद्र सरकार से यूएन में प्रस्घ्ताव का समर्थन करने की मांग कर रहे हैं। हालांकि केंद्र सरकार ने इस मसले पर अभी तक अपना रुख साफ नहीं किया है।
उधर, रेल किराए बढ़ाने को आधार बनाकर त्रणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने दिनेश त्रिवेदी के बहाने केंद्र सरकार पर दबाव बनाने  का प्रयास जारी है। सूत्रों का कहना है कि इसी आधार पर ममता रेल बजट पास कराने के बहाने केंद्र सरकार से खाली खजाने वाले पश्चिम बंगाल के लिए केंद्र सरकार से खासा पैकेज झटकने में सफल हो सकतीं हैं।
देश में पहला मौका होगा जब रेल मंत्री ने बजट पेश करने के बाद उसके पारित हुए बिना ही अपने पद से त्यागपत्र दे दिया हो। उन्होंने कल नई दिल्ली में पत्रकारों से कहा कि इस फैसले के बारे में वे तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी से बात कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने रेलवे के हित में कार्य करने का प्रयास किया। रेल मंत्री ने कहा कि सिपाही की तरह उन्हें पार्टी के अनुशासन का पालन करना चाहिए। उन्हें यही सिखाया गया है। वे तृणमूल कांग्रेस, ममता बनर्जी और पूरे मंत्रिमंडल सहित प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने मुझे यह अवसर दिया। रेलवे की भलाई के लिए जितना वे कर सकता थे, उन्होंने किया।
त्रिवेदी ने राजधानी दिल्ली में स्थित अपने आवास के बाहर संवाददाताओं से कहा कि वे रेल मंत्रालय से चिपके रहना नहीं चाहते लेकिन वहां से भागना भी नहीं चाहते। प्रधानमंत्री को उस पर (त्यागपत्र) निर्णय करना है. मंत्रालय में कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। रेलवे किसी की जागीर नहीं है। त्रिवेदी ने कहा कि ममता को यह लिखित में देना चाहिए कि उन्हें त्यागपत्र दे देना चाहिए।
इस नाटकीय घटनाक्रम के उपरांत सुश्री ममता बनर्जी कल देर रात नई दिल्ली पहुंच गईं। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि वे आज तृणमूल कांग्रेस के सांसदों से मिलेंगी। वे राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पर मतदान से पहले अपने सांसदों से मिल रही हैं। राष्घ्ट्रपति के धन्घ्यवाद प्रस्घ्ताव में संशोधन की मांग करने का प्रस्ताव बीजेपी ने पेश किया था, जिसे मंजूरी मिल गई। इस प्रस्ताव पर तृणमूल कांग्रेस ने भी इसी तरह का प्रस्ताव पेश किया था, जिसे तकनीकी वजहों से खारिज कर दिया गया। ऐसे में अभी तक साफ नहीं है कि ममता की पार्टी यूपीए के खिलाफ वोट करेगी या नहीं।
गौरतलब है कि यह प्रचारित किया जा रहा है कि तृणमूल सुप्रीमो एनसीटीसी और रेल बजट में किराए में बढोतरी से बेहद नाराज हैं और आखिरकार उन्होंने अपनी ही पार्टी कोटे से रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी का इस्तीफा भी ले लिया है। अब सूत्रों के जरिए मीडिया में आई खबरों में कहा जा रहा है कि ममता की पार्टी मतदान के खिलाफ वोट नहीं करेगी। लेकिन उनकी पार्टी विरोध जताने के लिए मतदान का बहिष्कार कर सकती है।

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