शुक्रवार, 23 मार्च 2012

ध्यानाकर्षण में उठ सकता है झाबुआ पावर का मसला!


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  80

ध्यानाकर्षण में उठ सकता है झाबुआ पावर का मसला!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड में लगाए जाने वाले कोल आधारित पावर प्लांट के दूसरे चरण की पर्यावरणीय अनुमति मिलने के पूर्व ही इस प्रकरण में हुई गफलतों के बारें में लोकसभा में शून्यकाल में मामले को उठाने की तैयारी की जा रही है।
कांग्रेस के एक संसद सदस्य के करीबी सूत्रों ने दावा किया है कि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की मिली भगत से खेले जा रहे आदिवासियों के शोषण के इस खेल की जानकारी मिलने के बाद एक युवा और जुझारू संसद सदस्य ने इस मामले में अनेक साक्ष्य एकत्र करना आरंभ किया। जैसे ही उनके पास पर्याप्त मात्रा में साक्ष्य आ गए उन्होंने इस मामले को लोकसभा के वर्तमान सत्र के शून्यकाल में उठाने की तैयारी कर ली है।
सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में समयसीमा समाप्त हो जाने के कारण वर्तमान सत्र में तारांकित प्रश्न लगाना संभव नहीं है, अतः आदिवासियों के हितों के लिए कटिबद्ध उक्त सांसद ने इस मसले को लोकसभा के अगामी सत्र में उठाने का मन बना लिया है। सूत्रों ने यह भी कहा कि इस मामले में संयंत्र के जिले सिवनी से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों की कतरनों को भी आधार बनाया जाएगा।
इसके अलावा कुछ पर्यावरण के पहरूओं ने इस मसले में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा की जा रही पर्यावरण की अनदेखी पर मामले में उच्च न्यायालय में जनहित याचिका लगाने की तैयारी भी आरंभ कर ली है। कहा जा रहा है कि संयंत्र प्रबंधन ने मीडिया को अपने कब्जे में करने के लिए कुछ एजेंटछोड दिए हैं। कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि लगभग 7000 करोड़ रूपए की लागत से डलने वाले इस पावर प्लांट में मीडिया पर्सन्स को यह संदेश भी दिया गया है कि वे अपने अपने एनजीओ बनाकर लाख दो लाख रूपए के काम संयंत्र प्रबंधन से ले लें।
गौरतलब है कि संयंत्र मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में लग रहा है। सिवनी संसदीय सीट का अवसान हो चुका है। अब इस जिले की दो विधानसभाओं को मण्डला और दो को बालाघाट में समाहित कर दिया गया है। आदिवासी बाहुल्य मण्डला सीट से कांग्रेस के बसोरी सिंह मसराम तो बालाघाट से केशव दयाल देशमुख सांसद हैं, फिर भी दोनों ने ही इस मामले को लोकसभा में उठाने की जहमत नहीं उठाई है।

(क्रमशः जारी)

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