मंगलवार, 20 मार्च 2012

आरवी गार्डनर का सख्त विरोध


आरवी गार्डनर का सख्त विरोध

(चन्द्रशेखर जोशी)

देहरादून (साई)। कांग्रेस द्वारा विधानसभा के 71 वें विधाय्ाक के रूप में एंग्लो इंडिय्ान सदस्य्ा को मनोनीत करने को आरवी गार्डनर की ताजपोशी की तैय्ाारी शुरू कर दी गय्ाी, उत्तराखण्ड की त्र्ािशंकु विधानसभा में मनोनीत विधाय्ाक की तैय्ाारी होते देख भाजपा की त्य्ाौरिय्ाां चढ गय्ाी है। राज्य्ा सरकार ने सदन में अपना बहुमत तक साबित नहीं कर पाई है और उससे पहले ही एंग्लो इंडिय्ान विधाय्ाक के मनोनय्ान को लेकर दबाव बनना शुरू हो गय्ाा हैं।
उत्तराखंड की विधानसभा का 71वां, मनोनीत विधाय्ाक बनने के लिए आरवी गार्डनर का नाम फाइनल माना जा रहा है। वहीं एंग्लो इंडिय्ान समुदाय्ा द्वारा आरवी गार्डनर के नाम का विरोध शुरू हो गय्ाा है, एंग्लो इंडिय्ान समुदाय्ा द्वारा कहा जा रहा है कि पिछली कांग्रेस सरकार में आरवी गार्डनर मनोनीत विधाय्ाक के रूप में उनका बेहद निराशाजनक कायर््ाकाल रहा, उनकी क्य्ाा उपलब्धिय्ाां रही, य्ाह सामने नहीं आ पाय्ाा है, 71वें मनोनीत विधाय्ाक के रूप में उनकी विधाय्ाक निधि तक खर्च नहीं हो पाय्ाी थी, और वह बेहद व्यस्त हैं, वह सिर्फ सामाजिक रूतबे के लिए विधाय्ाक बनना चाहते हैं, और उनके विद्यालय्ा ने समाज के लिए क्य्ाा किय्ाा, य्ाह भी राज्य्ा की जनता जानना चाहती है, ऐसे में अगर कांग्रेस ऐसे व्यक्ति को पुनः विधाय्ाक बनाना चाहती है तो इससे कांग्रेस की छवि पर असर पडेगा।
वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड विधानसभा के लिए मनोनीत होने वाले एंग्लो इंडिय्ान विधाय्ाक को लेकर कांग्रेस के रुख का भाजपा ने कड़ा विरोध किय्ाा है। भाजपा नेताओं ने राजभवन जाकर राज्य्ापाल के समक्ष य्ाह मामला उठाय्ाा। साथ ही पार्टी ने बहुमत साबित करने से पहले सरकार द्वारा किसी भी तरह के नीतिगत निर्णय्ा लेने पर भी आपत्ति जताई है।
भाजपा ने राज्य्ापाल के समक्ष य्ाह सवाल उठाय्ाा कि जब सरकार ने विश्वासमत ही हासिल नहीं किय्ाा है तो वह नीतिगत निर्णय्ा कैसे ले सकती है। श्री खंडूड़ी के मुताबिक, जानकारी मिली है कि कांग्रेस सरकार ने एंग्लो इंडिय्ान समुदाय्ा के सदस्य्ा के मनोनय्ान के लिए राजभवन को सिफारिश की है। भाजपा ने कहा कि संवैधानिक रूप से कोई सरकार है ही नहीं। य्ाह राष्ट्रपति शासन जैसी स्थिति है। मुख्य्ामंत्र्ाी के साथ एक भी कैबिनेट मंत्र्ाी होता तो तब य्ाह सरकार कही जाती। मुख्य्ामंत्र्ाी सदन के सदस्य्ा भी नहीं हैं। मंत्र्ािमडल के गठन और बहुमत साबित करने से पहले य्ाह सरकार नीतिगत निर्णय्ा कैसे ले सकती है।
दूसरी तरफ, राज्य्ा के कई स्वय्ांसेवी संगठनों की तरफ से एंग्लो इंडिय्ान समुदाय्ा के प्रतिनिधि के रूप में साइरिल आर रेफल का नाम भी चलाय्ाा जा रहा है। श्री रेफल के लिए बाकाय्ादा स्वय्ांसेवी संगठनों ने अभिय्ाान चलाय्ाा है
मनोनीत विधाय्ाक की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है। राष्ट्रपति चुनाव को छोड़कर सदन में मतविभाजन में उसे भी समान रूप से वोट देने का अधिकार है। वर्ष 2002 में बनी कांग्रेस की सरकार में पहली बार एंग्लो इंडिय्ान विधाय्ाक की व्य्ावस्था की गई थी। तब कांग्रेस ने आरवी गार्डनर को 71वें विधाय्ाक के तौर पर मनोनीत किय्ाा था। इस बार भी कांग्रेस की तरफ से श्री गार्डनर का नाम ही प्रस्तावित किए जाने की चर्चा है। कहा तो य्ाहां तक जा रहा है कि श्री गार्डनर का नाम कांग्रेस की तरफ से राजभवन को भेज दिय्ाा गय्ाा है। गार्डनर की दावेदारी को इसलिए भी पुख्ता माना जा रहा है क्य्ाोंकि उत्तराखंड में चुनावी नतीजे आने के बाद कांग्रेस नेता विधाय्ाक दल चय्ान की पक्रिय्ाा के दौरान श्री गार्डनर केंद्रीय्ा पयर््ावेक्षक गुलाम नबी आजाद से मिल चुके हैं।
दूसरी तरफ, राज्य्ा के कई स्वय्ांसेवी संगठनों की तरफ से एंग्लो इंडिय्ान समुदाय्ा के पतिनिधि के रूप में साइरिल आर रेफल का नाम भी चलाय्ाा जा रहा है। श्री रेफल के लिए बाकाय्ादा स्वय्ांसेवी संगठनों ने अभिय्ाान चलाय्ाा है।

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