गुरुवार, 17 मई 2012

सूबों में कांग्रेस के हाथों से उड़ रहे तोते


सूबों में कांग्रेस के हाथों से उड़ रहे तोते

यूपी में रीता को हटाने राजमाता को आया पसीन

एमपी में भूरिया से मन भर गया युवराज का

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश पर आधी सदी से ज्यादा राज करने वाली सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस के हाल बेहाल हैं। राज्यों में तेजी से कांग्रेस का गिरता जनाधार कांग्रेस के रणनीतिकारों की नींद उड़ाए हुए है। देश को सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री देने और कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी तथा युवराज राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र वाले उत्तर प्रदेश सूबे की कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा को पदच्युत करने में कांग्रेस अध्यक्ष अपने आप को असहज महसूस कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश के कांग्रेसी निजाम कांति लाल भूरिया के लचर प्रदर्शन ने युवराज का मन भारी कर दिया है।
कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केद्र 10, जनपथ के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी को हटाने में कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी और उनके युवराज पुत्र राहुल गांधी को पसीना आ रहा है। सूत्रों ने कहा कि उत्तर प्रदेश चुनाव के पहले कांग्रेस के दो ताकतवर महासचिव राजा दिग्विजय सिंह और राहुल गांध्ीा नहीं चाहते थे कि रीता बहुगुणा यूपी की कमान संभालें।
बावजूद इसके रीता बहुगुणा की कुर्सी का एक भी पाया राहुल और दिग्गी की जुगल जोड़ी हिला नहीं पाई। रीता बहुगुणा जोशी के नेतृत्व में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस धड़ाम से गिरी। इस चुनाव को राहुल गांधी ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया हुआ था। इसके उपरांत भी कोई यूपी कांग्रेस अध्यक्ष का बाल भी बांका नहीं कर सका।
सूत्रों ने कहा कि राहुल सोनिया को मुंह चिढ़ाते हुए रीता बहुगुणा ने चुनावी हार के बाद अपना त्यागपत्र कांग्रेस अध्यक्ष को भेज दिया। तीन महीने बीत जाने के बाद भी कांग्रेस की सर्वशक्तिमान अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी इतना साहस नहीं जुटा पा रहीं हैं कि वे रीता बहुगुणा का त्यागपत्र मंजूर कर लें।
रीता बहुगुणा की पांचों उंगलियां घी में हैं। यूपी में उनकी कुर्सी का पाया कोई नहीं हिला पा रहा है। उनका लट्टू किस बैटरी से पावर पा रहा है इस बारे में कांग्रेस के रणीनीतिकार शोध कर रहे हैं। रीता ने दांव खेलकर अपने भाई को उत्तराखण्ड का निजाम भी बनवा दिया। कांग्रेस कार्यालय में चर्चा तो यहां तक है कि अगर राहुल गांधी खुद उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष बनने की घोषणा कर दें तब भी रीता बहुगुणा जोशी अपना पद नहीं छोड़ने वालीं।
उधर, देश के हृदय प्रदेश में सुरेश पचौरी से केंद्र की लाल बत्ती लेकर उन्हें 2008 में प्रदेशाध्यक्ष बनाया था। इसके उपरांत केंद्र में दूसरे मंत्री कांतिलाल भूरिया से लाल बत्ती छीनकर उन्हें प्रदेश की कमान सौंपी गई। कांति लाल भूरिया के कार्यकाल में कांग्रेस तेजी से रसातल की ओर ही बढ़ी है। भूरिया के निज सहायक के पुत्र को शिवराज सिंह चौहान द्वारा आसवानी (शराब फेक्टरी) देने के आरोप लगे। कार्यकर्ताओं में यह चर्चा आग की तरह फैल चुकी है कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्षों की तरह कांतिलाल भूरिया भी भारतीय जनता पार्टी और शिवराज सिंह चौहान से सैट हैं।
कांग्रेस के युवराज और कांग्रेसियों की नजरों में भविष्य के वजीरे आजम राहुल गांधी के करीबी सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी ने कांतिलाल भूरिया को हटाने का मन बना लिया है। मिशन 2013 के लिए अब कांग्रेस द्वारा अविवादित चेहरा यानी युवा तुर्क ज्योतिरादित्य सिंधिया को आगे किया जा सकता है।
सूत्रों की मानें तो 2013 में एमपी में कांग्रेस का परचम लहराने के लिए कांग्रेस द्वारा केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य पर दांव खेला जा सकता है। सूत्रों ने कहा कि भूरिया को हटाने से आदिवासियों में गलत संदेश तो नहीं जाएगा? इस बारे में भी मशविरा जारी है। यही कारण है कि सिंधिया को अगर प्रदेश की कमान नहीं दी गई तो उन्हें चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाया जाएगा।
सूत्रों ने यह भी कहा कि भूरिया को कम ताकत के साथ मुख्यालय और मालवा तक ही सीमित कर दिया जाएगा। इसके साथ ही साथ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल सिंह और सिंधिया की जुगल जोड़ी को चुनाव के लिए मौखटे के बतौर इस्तेमाल किया जा सकता है। कहा जा रहा है कि सिंधिया ने राजधानी भोपाल में अपने लिए एक कार्यालय भी तलाश करना आरंभ कर दिया है।

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