बुधवार, 20 जून 2012

सीबीआई के चाबुक ने यादव को किया मुलायम!

सीबीआई के चाबुक ने यादव को किया मुलायम!

यूपी को मिल सकता है खासा केंद्रीय पैकेज

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। बुधवार 13 जून को त्रणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के साथ संयुक्त पत्रवार्ता कर मुलायम सिंह यादव ने कठोर होने का दिखावा कर अचानक ही नाम के अनुरूप मुलायम हो जाना सियासी गलियारों में आश्चर्य का विषय माना जा रहा है। 13 जून के बाद अचानक यू टर्न लेकर मुलायम आखिर कांग्रेस की गोद में जाकर कैसे बैठ गए इस बारे में अब शोध किया जा रहा है।
बताया जाता है कि जैसे ही मुलायम सिंह यादव ने ममता बनर्जी के साथ मिलकर अपने उम्मीदवार के बारे में पत्रवार्ता में खुलासा किया वैसे ही कांग्रेस के ट्रबल शूटर्स एकाएक सक्रिय हो गए। कहा जा रहा है कि मुलायम सिंह यादव के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो में लंबित शिकायतों की नस्तियों पर से धूल की गर्त हटा दी गई। फाईलें झाड पोंछ कर साफ कर आला अफसरान की टेबिल पर एक बार फिर सज गईं।
मुलायम के करीबी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के दूतों ने मुलायम के साथ महामहिम के चुनाव के बारे में चर्चा के दर्मयान सीबीआई की लंबित जांचों का हवाला भी दिया। इस पर मुलायम सिंह यादव भड़क गए और उन्होंने कांग्रेस के दूतों को दो टूक शब्दों में कह दिया कि कांग्रेस को जो करना है कर ले, वे अब इन धमकियों से डरने वाले नहीं हैं।
सूत्रों ने आगे कहा कि बात बिगड़ती देख एक बार फिर इन दूतों ने कांग्रेस अध्यक्ष के सबसे विश्वस्त और राजनैतिक सलाहकार अहमद पटेल को फोन कर सारी चर्चा की जानकारी दी। सूत्रों की मानें तो अहमद पटेल द्वारा ब्रम्हास्त्र चलाने की बात कहकर उन दूतों को फिर से मुलायम सिंह यादव से चर्चा जारी रखने को कहा।
इस चर्चा के दौरान कांग्रेस के दूतों ने मुलायम सिंह यादव को एक तरफ तो सीबीआई का भय बताया गया वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के लिए केंद्र सरकार के एक खास पैकेज के साथ ही साथ ममता के सरकार से अलग होने के बाद उन्हें कैबनेट मंत्री का लाईलप्पा भी दे दिया गया। इस सबके लिए महामहिम चुनाव तक मुलायम को कहा गया कि वे कांग्रेस का साथ दें।
सूत्रों ने बताया कि सारी स्थिति परिस्थिति को भांपकर सीबीआई की चाबुक से बचने और उत्तर प्रदेश की खस्ताहाल माली हालत में सरकार चलाने की परेशानियों आदि पर विचार कर मुलायम सिंह यादव ने इस मामले में यूटर्न लेने का भरोसा कांग्रेस के प्रबंधकों को जता दिया।
सूत्रों के अनुसार जब इस बात की जानकारी ममता बनर्जी को लगी तो वे मुलायम सिंह यादव से काफी खफा बताई जा रही हैं। उधर, कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि अगर महामहिम के चुनाव के लिए ममता हां कह देती हैं तो कांग्रेस को मुलायम का साथ छोड़ने में देर नहीं लगेगी, क्योंकि अगर मुलायम और ममता की तुलना की जाए तो ममता बनर्जी कांग्रेस के लिए मुलायम से कम नुकसानदेह साबित हुई हैं।

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