बुधवार, 20 जून 2012

मुद्रास्फीती की दर स्वीकार्य नहीं: सुब्बाराव


मुद्रास्फीती की दर स्वीकार्य नहीं: सुब्बाराव

(दीपक अग्रवाल)

मुंबई (साई)। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने कहा है कि मुद्रास्फीति का वर्तमान स्तर स्वीकार नहीं किया जा सकता और देश की आर्थिक वृद्धि को पटरी पर लाना सरकार, रिजर्व बैंक और उद्योग जगत की सामूहिक जिम्मेदारी है। मुम्बई में कल शाम इंडियन मर्चेंट्स चौम्बर की वार्षिक आम बैठक में श्री सुब्बाराव ने कहा कि भारत की वृद्धि दर अब भी विश्वसनीय है।
उन्होंने कहा कि वैश्विक संकट विशेषकर यूरोजोन संकट, तेल और जिंसों की कीमतों में उतार-चढ़ाव के साथ नीतिगत सुधार और मॉनसून की स्थिति जैसे घरेलू कारण भी तय करेंगे कि मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि के बीच भविष्य में कैसा तालमेल रहेगा। श्री सुब्बाराव ने कहा कि राजकोषीय घाटा कम करने के लिए सरकार को करो की दर बढ़ाने की बजाय गैर जरूरी खर्च में कटौती करनी चाहिए।
उधर, भारतीय रिजर्व बैंक ने श्रम आधारित तथा लघु उद्योग क्षेत्र में रूपया निर्यात ऋण पर दो प्रतिशत ब्याज रियायत की योजना और एक साल के लिए बढ़ा दी है। रिजर्व बैंक ने अपने परिपत्र में कहा है कि हस्तशिल्प, हथकरघा, सिलेसिलाए वस्त्रों, प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों और कालीन के निर्यातक अगली ३१ मार्च तक ब्याज में सब्सिडी प्राप्त कर सकेंगे।
इसके अलावा खेल के सामान और खिलौनों पर भी यह लाभ मिल सकेगा। रिजर्व बैंक के अनुसार निर्यात ऋण सहायता पाने के हकदार निर्यातकों से बैंक आधार दर प्रणाली के तहत ब्याज दर घटा सकते हैं लेकिन इसके लिए न्यूनतम दर सात प्रतिशत रहेगी। इसमें बैंक दो प्रतिशत की पूरी ब्याज रियायत योग्य निर्यातकों को दे सकते हैं।

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