गुरुवार, 27 मार्च 2014

कमलनाथ के सामने जीत का अंतर बरकरार रखने की चुनौती

कमलनाथ के सामने जीत का अंतर बरकरार रखने की चुनौती

(नन्द किशोर)

भोपाल (साई)। केंद्रीय मंत्री कमलनाथ के सामने इस बार जीत के अंतर को बरकरार रखने की चुनौती होगी। क्योंकि पार्टी के स्थानीय नेता और कार्यकर्ताओं को लगता है कि कमलनाथ चुनाव तो जीत जाएंगे, लेकिन पिछले चुनाव की तुलना में इस बार लीड कम होगी। उनका तर्क है कि भाजपा हर स्तर पर घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ेगी। वैसे भी भाजपा ने कमलनाथ के खिलाफ विधायक चौधरी चंद्रभान सिंह को मैदान में उतारा है।
खास बात यह है कि इस चुनाव में संघ की प्रतिष्ठा दांव पर है। यही वजह है कि कमलनाथ को हराकर कांग्रेस के गढ़ में कब्जा करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगा।  यदि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र की 7 विधानसभा क्षेत्रों में से कांग्रेस केवल तीन ही जीत पाई है। 
संसदीय इतिहास में अभी तक केवल एक उप चुनाव छोड़ दें तो छिंदवाड़ा सीट पर कांग्रेस का कब्जा बरकरार है। यहां से कमलनाथ 1980 में पहली बार चुनाव जीते थे। इसके बाद से केवल दो चुनाव छोड़कर कमलनाथ यहां से आठ बार चुने गए। केवल 1996 में अलका नाथ व उप चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा यहां से विजयी हुए।
अलकानाथ के इस्तीफा देने के बाद हुए उप चुनाव में पटवा ने कमलनाथ को 37,680 वोटों से हराया था। लेकिन इसके बाद 1998 में कमलनाथ ने पटवा को 1,53,398 वोटों से हराकर इस सीट पर कब्जा कर लिया था, जो अब तक बरकरार है।

आप उम्मीदवार भी मैदान में
आप पार्टी ने इस सीट से महेश दुबे को मैदान में उतारा है। वे मप्र में कांग्रेस शासन काल में मंत्री रहे माधवलाल दुबे के पुत्र हैं। बता दें कि माधवलाल 1989 में कमलनाथ के खिलाफ लोकसभा  चुनाव लड़ चुके हैं। वे पार्टी से नाराज होकर जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े थे। वे कमलनाथ से 40,104 वोट से हार गए थे।

चार लाख के ग्रुप में कमलनाथ

पिछले लोकसभा चुनाव में चार लाख से अधिक वोट से जीतने वाले ग्रुप में कमलनाथ भी शामिल हैं।  कमलनाथ ने छिंदवाड़ा संसदीय सीट से 4,09,736 वोट लेकर 1,21,220 वोट से जीत हासिल की थी। इस ग्रुप में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और विदिशा से भाजपा सांसद सुषमा स्वराज के अलावा गुना से सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी हैं।

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