शुक्रवार, 27 जनवरी 2012

अमलतास: विरेचक प्रवत्ति वाली औषधि


अमलतास: विरेचक प्रवत्ति वाली औषधि



(डॉ दीपक आचार्य)

अहमदाबाद (साई)। झूमर की तरह लटकते पीले फ़ूल वाले इस पेड को सुंदरता के लिये अक्सर बाग-बगीचों में लगाया जाता है हलाँकि जंगलों में भी इसे अक्सर उगता हुआ देखा जा सकता है। अमलतास का वानस्पतिक नाम केस्सिया फ़िस्टुला है। अमलतास के पत्तों और फूलों में ग्लाइकोसाइड, तने की छाल टैनिन, जड़ की छाल में टैनिन के अलावा ऐन्थ्राक्विनीन, फ्लोवेफिन तथा फल के गूदे में शर्करा, पेक्टीन, ग्लूटीन जैसे रसायन पाए जाते है।
इस पेड की छाल का काढा पीलिया, सिफ़लिस और हृदय रोगों में दिया जाता है। पघ्ट दर्द में इसके तने की छाल को कच्चा चबाया जाए तो दर्द में काफ़ी राहत मिलती है। इसकी फ़ल्लियों के गूदे का सेवन दस्तकारक होता है और गर्भवती स्त्रियों को विरेचक औषधि के रूप में यह दिया जाता है।
वैसे संतुलित मात्रा में यह मधुमेह में भी हितकर है। फ़ल्लियों के गूदे का काढा आवाज की खरखराहट, गला बैठना जैसी शिकायत आदि में गुणकारी है। पातालकोट के आदिवासी बुखार और कमजोरी से राहत दिलाने के लिए कुटकी के दाने, हर्रा, आँवला और अमलतास के फ़लों की समान मात्रा लेकर कुचलते है और इसे पानी में उबालते है, इसमें लगभग ५ मिली शहद भी डाल दिया जाता है और ठंडा होने पर रोगी को दिया जाता है। डाँग गुजरात के आदिवासी कहते है कि इसके पत्ते मल को ढीला और कफ को दूर करते हैं। फूल भी कफ और पित्त को नष्ट करते हैं।

(साई फीचर्स)

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