मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  64

वन विभाग नहीं दे रहा वांछित सहयोग: मिश्रा



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। ‘‘देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा देश के हृदय प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील में लगाए जा रहे 1200 मेगावाट के कोल आधारित पावर प्लांट में संयंत्र प्रबंधन को वन विभाग द्वारा आपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा है, यही कारण है कि संयंत्र प्रबंधन द्वारा बार बार किया जाने वाला वृक्षारोपण कारगर नहीं हो पा रहा है।‘‘ उक्ताशय की बात संयंत्र के महाप्रबंधक मिश्रा ने दूरभाष पर चर्चा के दौरान कही।
श्री मिश्रा ने बताया कि वे संयंत्र के प्रांगण में ही हैं और संयंत्र प्रांगण में तीन हजार के लगभग पौधे लगाए जा चुके हैं। यह काम स्थानीय मजदूरों की मदद से किया जा रहा है जो अनुभव हीन हैं, जिससे पौधों का सरवाईवल रेट बेहद ही कम आ रहा है। संयंत्र स्थल पर जमीन पथरीली है इस कारण पौधे लगाने का काम धीमी गति से चल रहा है।
जब मिश्रा से यह पूछा गया कि संयंत्र प्रबंधन ने वृक्षारोपण कब आरंभ किया है तो मिश्रा ने बताया कि नवंबर 2011 में लोकसुनवाई में उन्होंने स्वीकार किया था कि वृक्षारोपण नहीं किया गया है। इसके उपरांत दिसंबर 2011 से वृक्षारोपण आरंभ किया गया है। संयंत्र की चारदीवारी के अंदर अब तक 3000 पौधे लगाने की बात मिश्रा द्वारा कही गई।
जब उनके संज्ञान में यह बात लाई गई कि मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के जबलपुर क्षेत्रीय कार्यालय के प्रभारी बुंदेला द्वारा अगस्त 2009 की लोकसुनवाई के उपरांत वृक्षारोपण के दावे की बात लाई गई तो तत्काल ही मिश्रा ने अपने सुर बदले और कहा कि उनके द्वारा सितम्बर 2009 से वृक्षारोपण करवाया गया था किन्तु वे सारे पौधे अब सूख चुके हैं। जब मिश्रा से पूछा गया कि वृक्षारोपण किस एजेंसी से करवाया जा रहा है? इसके जवाब में मिश्रा ने कहा कि पौधे जबलपुर से खरीद कर ग्रामीणों से ही लगवाए गए थे और आज भी लगवाए जा रहे हैं।
मध्य प्रदेश शासन के वन विभाग पर आरोप लगाते हुए मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के संयंत्र के महाप्रबंधक मिश्रा ने कहा कि वन विभाग से कई बार पूछा गया कि किस तरह वृक्षारोपण करना है पर उनकी ओर से आज तक कोई उत्तर ही प्राप्त नहीं हुआ है। मजबूरी में संयंत्र प्रबंधन को अपने हिसाब से वृक्षारोपण करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों द्वारा पेड उखाड देने से सरवाईवल रेट काफी कम आ रहा है।

(क्रमशः जारी)

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