शुक्रवार, 20 अप्रैल 2012

वह जीतकर भी नहीं बचा पाया अपनी जमानत


वह जीतकर भी नहीं बचा पाया अपनी जमानत
(सुमित माहेश्वरी)
नई दिल्ली (साई)। दिल्ली नगर निगम के चुनाव में जीत के बाद भी एक प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई है। इस अजीब मामले ने राज्य चुनाव आयोग को भी चकरा दिया है। शायद यह ऐसा पहला मामला है, जहां प्रत्याशी तो जीत गया लेकिन उसकी जमानत जब्त हो गई। आयोग ने इस मामले को विशेष मानते हुए जीते हुए प्रत्याशी की जमानत राशि जब्त नहीं करने का निर्णय किया है। यह मामला साउथ नगर निगम के एक वॉर्ड का है, जहां 21 प्रत्याशी चुनाव लड़े और वोट प्रतिशत के हिसाब से उन सभी की जमानत जब्त हो गई।
मामला वॉर्ड नंबर 134 नंगली सकरावती का है। यहां पर सभी बड़ी पार्टियों व निर्दलियों समेत 21 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। इस वॉर्ड पर 40,321 वोट पड़े थे। चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार जिस प्रत्याशी को कुल वोटिंग का 16.66 प्रतिशत से कम वोट मिलेगा, उसकी जमानत जब्त हो जाएगी। इस हिसाब से इस वॉर्ड में जमानत बचाने के लिए कम से कम 6,720 वोट मिलने चाहिए। आयोग के नतीजों के अनुसार इस वॉर्ड के सभी 21 प्रत्याशियों को जमानत बचाने के लिए तय की गई सीमा से कम वोट मिले हैं, इसलिए तकनीकी तौर पर उनकी जमानत जब्त हो गई है।
चूंकि इस वॉर्ड मंे निर्दलीय प्रत्याशी सतेंद्र सिंह राणा को सबसे अधिक 6,681 वोट मिले हैं, इसलिए उन्हें विजेता घोषित कर दिया गया है, लेकिन वह भी जमानत नहीं बचा पाए हैं। खास बात यह है कि इस वॉर्ड में बीजेपी प्रत्याशी राजपाल को 6,386 वोट, कांग्रेस प्रत्याशी राजबीर सिंह डबास को 4,608, बीएसपी प्रत्याशी अशोक कुमार को 647 वोट के अलावा आरजेडी, आईएनएलडी, सीपीआई व निर्दलीय प्रत्याशी को भी जमानत बचाने की सीमा से कम वोट मिले हैं, इसलिए उन सभी की भी जमानत जब्त हो गई है।
राज्य चुनाव आयुक्त राकेश मेहता के अनुसार शायद ये दिल्ली में ऐसा पहला मामला है, जब विजयी प्रत्याशी की भी जमानत जब्त हो गई है। उन्होंने कहा कि इस मामले को आयोग ने विशेष केस मानते हुए जीते गए प्रत्याशी की जमानत जब्त न करने का निर्णय लिया है। उन्हें शीघ्र ही जमानत राशि वापस कर दी जाएगी, लेकिन बाकी सभी 20 प्रत्याशियों की राशि जब्त कर ली जाएगी। गौरतलब है कि एमसीडी के इस चुनाव में जमानत राशि के रूप में सामान्य प्रत्याशी के लिए 5 हजार रुपये और अनुसूचित जाति के प्रत्याशी के लिए ढाई हजार रुपये रखी गई है।

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