गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

आड़वाणी - गड़करी में खिंची तलवारें


आड़वाणी - गड़करी में खिंची तलवारें

(शरद खरे)

नई दिल्ली । भारतीय जनता पार्टी का आउटडेटेड हो चुका चेहरा और युवा चेहरे के बीच अघोषित तौर पर तलवारें खिचीं हुईं हैं। भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी को दुबारा अध्यक्ष ना बनने देने के लिए आड़वाणी जुंडाली अपनी पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में है। इसके लिए वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से भी दो दो हाथ करने को आमदा दिख रही है। इस सबके पीछे मुख्य वजह माना जा रहा है 2014 का आम चुनाव।
भाजपा के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि भाजपा के आला नेताओं ने अपने अपने स्तर पर अनेक चरणों में सर्वेक्षण करवाया है और पाया है कि आने वाले आम चुनावों में कांग्रेस की हालत घपले घोटालों और भ्रष्टाचार के चलते पतली रहेगी और भाजपा ही सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी बनकर उभरेगी।
इन परिस्थितियों में सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने की स्थिति में देश के वज़ीरे आज़म का पद भाजपा की झोली में जाएगा। सालों साल भाजपा में रहकर तपस्या कर स्वयंभू लौह पुरूष बने एल.के.आड़वाणी इसके लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं कि उनके अलावा और किसी को प्रधानमंत्री पद मिल पाए।
उधर, भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी का कार्यकाल इस साल दिसंबर में समाप्त हो रहा है। एक तरफ गड़करी इस बात के लिए आश्वस्त हैं कि उन्हें दूसरी बार भी भाजपा की कमान दी जाएगी, वहीं दूसरी ओर गड़करी के धुर विरोधी आड़वाणी जुंडाली इस पर पानी फेरने की तैयारी में है। कहा जा रहा है कि इस मुद्दे को लेकर टीम आड़वाणी और आरएसएस में तलवारें खिंच गई हैं।
गड़करी विरोधी अब नितिन गड़करी की खामियों को जमकर रेखांकित करने में जुट गए हैं। गड़करी के खिलाफ अंशुमान प्रकरण, उत्तर प्रदेश में भाजपा की हार, एमपी में भाजपा में मचा द्वंद और भ्रष्टाचार, के साथ ही साथ कैग का वह प्रतिवेदन जिसमें कहा गया है कि गड़करी के नजदीकी और व्यवसायिक साझेदार अजय संचेती को छत्तीसगढ़ में कोयला आवंटन में एक हजार करोड़ रूपए का नुकसान सरकार को उठाना पड़ा है, को प्रमुखता से उठाया जा रहा है।
उधर, दिल्ली में झंडेवालान स्थित संघ मुख्यालय केशव कुंजके सूत्रों का कहना है कि गड़करी की खिलाफत का संघ पर असर हो इस बात में संदेह ही है, क्योंकि संघ ने 2009 में ही गड़करी की ताजपोशी के पहले ही साफ कर दिया था कि 2014 के आम चुनाव गड़करी के नेतृत्व में ही लड़े जाएंगे।
भाजपा की परंपरानुसार अब तक संघ के निर्देश ही भाजपा के लिए अंतिम और सर्वमान्य हुआ करते आए हैं। भाजपा में पहली बार गड़करी मामले को लेकर विद्रोह के स्वर बुलंद होते दिख रहे हैं। एक ओर गड़करी आश्वस्त हैं कि संघ का निर्देश भाजपा के हर नेता को मानना ही होगा, वहीं दूसरी ओर टीम आड़वाणी अब गड़करी और संघ के खिलाफ तलवारें पजाती नज़र आ रही है।

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