रविवार, 17 जून 2012

फिर मिलीं दो मानसिक रोगी बहनें!


फिर मिलीं दो मानसिक रोगी बहनें!

(शिवेश नामदेव)

नई दिल्ली (साई)। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में एक बार फिर मानवता शर्मसार उस वक्त होती दिखी जब रोहणी में दो सगी बहनों को सालों बाद घर से बाहर निकाला गया। रोहणी में रहने वाली दो बहनें पिछले छः साल बाद घर से बाहर निकाली गईं उनके शरीर पर कीड़े रेंग रहे थे और घर से उठने वाली दुर्गन्ध से सहना आम लोगों के लिए मुश्किल था पर वे दोनों मानसिक रोगी कैसे सालों से उसमें रह रहीं थी यह शोध का विषय है।
बड़ी बहन ममता की हालत नाजुक है। दोनों बहनें मानसिक अवसाद की शिकार हो चुकी हैं। 40 साल की ममता तलाकशुदा है और मायके में ही रह रही हैं। उनका 14 साल का बेटा शुभम भी साथ ही रहता है। ममता 12वीं पास हैं। बेटा शुभम पास के ही एक सरकारी स्कूल में आठवीं का छात्र है। 28 साल की छोटी बहन नीरजा नौवीं कक्षा तक पढ़ी हैं और अविवाहित हैं। लंबे समय से दोनों घर से बाहर नहीं निकलीं थीं। वे आस पड़ोस व रिश्तेदारों से भी पूरी तरह कटी हुई थीं।
आय का साधन न होने से कभी कोई रिश्तेदार उन्हें कुछ पैसे दे जाता, जिससे गुजर-बसर चल रहा था। उनके पिता का आठ साल पहले देहांत हो चुका है। फिलहाल वे मां निर्मला गुप्ता के साथ रोहिणी सेक्टर-7 के घर में रहती थीं। डिप्रेशन की शिकार दोनों बहनों ने छह साल से खुद को घर में कैद कर लिया था। लंबे अरसे से आस-पड़ोस के लोगों ने उनकी शक्ल तक नहीं देखी थी। आर्थिक तंगी के कारण यह परिवार अपने लिए दो वक्त के खाने का जुगाड़ तक नहीं कर पा रहा था। कभी-कभार रिश्तेदार घर आकर कुछ खाने का सामान दे जाते। चिड़चिड़े स्वभाव की हो चुकीं निर्मला ने कभी आस-पड़ोस के लोगों से मदद नहीं मांगी। लोगों का कहना है कि जब कभी वे निर्मला से दोनों बेटियों के बारे में पूछते तो हमेशा उनका यही जवाब होता कि वे घर से बाहर नहीं आना चाहतीं।
रोहिणी सेक्टर-8 के अपने घर में लंबे से खुद को बंद कर रह रहीं दो बहनों के पड़ोसियों का कहना है इन बहनों को पहले से कोई बीमारी नहीं थी। ये पिछले दस साल के दौरान धीरे-धीरे सीरियस डिप्रेशन की हालत में चली गईं। बड़ी बहन ममता गुप्ता (40) की हालत छोटी बहन नीरजा गुप्ता (29) से ज्यादा खराब थी। ममता के शरीर के मांस सड़ से गए थे और उनमें कई जगह घाव और इन्फेक्शन हो गया था। छोटी बहन नीरजा के दोनों पांव जकड़ गए थे, जो खुल नहीं पा रहे थे। बहनें नहीं चाहती थीं कि इनका इलाज हो या इन्हें हॉस्पिटल ले जाया जाए।
शुक्रवार रात इन बहनों की मां ने अपने देवर के लड़के नीरज को फोन कर इनकी गंभीर स्थिति की जानकारी दी। नीरज ने ही इन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करवाया। दोनों बहनों को शनिवार सुबह करीब साढ़े ग्यारह बजे भीमराव आंबेडकर हॉस्पिटल ले जाया गया। डॉक्टरों ने इनकी खराब हालत को देखते हुए इन्हें आईसीयू में शिफ्ट कर दिया।
अस्पताल के कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर कौस्तव किरन ने बताया कि दोनों बहनों की हालत खराब है, लेकिन उन्हें बचाया जा सकता है। लेकिन यह इस बात पर निर्भर करेगा कि उनकी बॉडी ट्रीटमेंट के प्रति कितना रिस्पॉंड करती है। दोनों बहनों को अभी आईवी (इंट्रा वेनस) के जरिये न्यूट्रिशन दी जाएगी।
रोहिणी सेक्टर-8 में ही रहने वाली ममता की चाची संतोष गुप्ता ने बताया कि ममता शुरू से रिजर्व नेचर की रही। उसकी शादी त्रिनगर के पास शास्त्री नगर में हुई थी। मगर शादी के करीब तीन साल बाद ही वह अपने घर पर आ गई थी। इसके कुछ समय बाद उसके पिता राजेंद्र गुप्ता की मौत हो गई थी। राजेंद्र गुप्ता पहाड़गंज की एक प्लाईवुड कंपनी में काम करते थे। हम लोग हर महीने उन्हें आर्थिक रूप से कुछ न कुछ मदद करते थे। ममता के एक चाचा महेंद्र गर्ग प्रशांत विहार में रहते हैं और दूसरे हम यानी सुरेंद्र गुप्ता रोहिणी में रहते हैं। ममता के एक ताऊ महेंद्र गर्ग सुरेंद्र गुप्ता के साथ ही रहते हैं।
ममता और नीरजा के साथ उनकी मां निर्मला और ममता का 14 साल का बेटा शुभम भी रहते थे। पड़ोसियों का कहना है कि आसपास के लोग इन बहनों की खराब हालत से डिस्टर्ब थे और उनकी मदद भी करना चाहते थे, लेकिन उन्हें इस बात का डर था कि इनके रिश्तेदार इस बात को पसंद नहीं करेंगे।
पड़ोसी मनोज कुमार ने बताया कि यूं तो इस घर से लगभग छह महीने से बदबू आ रही थी, लेकिन पिछले लगभग एक-डेढ़ हफ्ते से यह बदबू असहनीय होने लगी। पड़ोसियों ने ममता और नीरजा की खराब हालत देखकर इन्हें कई बार समझाया भी था, लेकिन वे हर बार इलाज से मना कर देती थीं। वहीं पड़ोस में रहने वाली रूपवती का कहना था कि ये बहनें मानसिक रूप से बीमार हो चुकी थीं और वर्षों से घर से बाहर नहीं निकली थीं।

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