बुधवार, 11 जुलाई 2012

असम में बाढ़ का तांड़व गंभीर स्थिति में


असम में बाढ़ का तांड़व गंभीर स्थिति में

(जाकिया तस्मिन रहमान)

गुवहाटी (साई)। असम में सात सदस्यों का केन्द्रीय दल बाढ़ और भूस्खलन से हुए नुकसान का आकलन कर रहा है। इस दल के तीन समूह बनाए गए हैं। एक समूह निचले असम, दूसरा ऊपरी असम और तीसरा बराक घाटी तथा दीमा हसाव जिले के दौरे पर हैं।
बताया जाता है कि बाढ़ प्रभावित जिलों के लिए रवाना होने से पहले दल के सभी सदस्यों ने राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की और बाढ़ की स्थिति पर विचार-विमर्श किया। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को प्राप्त जानकारी के अनुसार इस दल के कल असम के मुख्य सचिव से मुलाकात करने की संभावना है।
आधिकारिक सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि असम सरकार ने केन्द्र से १३ हजार २१७ करोड़ रुपये का राहत और पुनर्वास पैकेज मांगा है। राज्य में बाढ़ और भूस्खलन से अब तक १२५ लोग मारे जा चुके हैं। बाढ़ से सड़कों, पुलों, मकानों, कृषि भूमि और नेशनल पार्क तथा अभयारण्यों को नुकसान पहुंचा है और पांच हजार से अधिक मवेशियों की जान जा चुकी है। इस बीच पर्यावरण और वन मंत्रालय के दो सदस्यों के दल ने हालात का जायजा लेने के लिए कल विश्व धरोहर स्थल काजीरंगा नेशनल पार्क का दौरा किया।
ब्रह्मपुत्र और बराक घाटी के जलमग्न होने से मंगलवार को असम में बाढ़ की स्थिति और भयावह हो गई। बाढ़ में मरने वालों की संख्या बढ़कर 125 तक पहुंच गई। आधिकारिक सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि पिछले कुछ साल में बाढ़ से करीब 24 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। बाढ़ से करीब 4,540 गांव डूब गए है जबकि अभी तक करीब 9.5 लाख हेक्टेयर भूमि जलमग्न हो चुकी है। इसके अलावा राज्य में बाढ़ से प्रभावित कुल 27 जिलों की नदियों का जलस्तर अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बना हुआ है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार यूनेस्को की विश्व धरोहर काजीरंगा नैशनल पार्क में भी करीब 595 जानवरों की मौत हो चुकी है। इस साल की बाढ़ में कृषि की जमीन बहुत अधिक मात्रा में प्रभावित हुई है और अभी भी करीब 2.55 लाख हेक्टेयर भूमि जलमग्न है। इसके अलावा करीब 2,847 स्थानों का सड़क यातायात भी प्रभावित हुआ है जबकि रेलवे की कई पटरियां क्षतिग्रस्त हुई हैं। हालांकि, लामडिंग-बदरपुर रेलवे संभाग के बीच के यातायात को दुरुस्त कर लिया गया है।
सूत्रों ने बताया कि बाढ़ से करीब पांच लाख लोग प्रभावित हुए हैं और उन्होंने 630 राहत शिविरों में शरण ले रखी है। प्रसाशन की ओर से हताहतों को राहत देने के लिए करीब 150 डॉक्टरों की टीमें तैनात की गई हैं।  हाल के वर्षों की सबसे भीषण बाढ़ की चपेट में है पूर्वाेत्तर राज्य असम। खबरों के मुताबिक, राज्य के 28 में से 27 जिले पानी में डूब चुके हैं अभी तक 115 लोगों की मौत हो चुकी है। लाखों लोग बेघर हो गए हैं। यहां तक कि प्रसिद्ध काजीरंगा नेशनल पार्क में जानवर भी इसकी चपेट में आने से नहीं बच सके हैं। इस भीषण बाढ़ से 500 से अधिक जानवरों की मौत हो चुकी है।
उधर, काजीरंगा नेशनल पार्क का अधिकांश हिस्सा पानी में डूबा हुआ है। जानवर अपनी जान बचाने के लिए ऊंची जगहों पर पहुंच गए हैं। जानकारी के अनुसार अभी तक करीब 540 जानवरों की मौत की पुष्टि की जा चुकी है। मरने वाले जानवरों में 13 गेंडे हैं। हॉग डीयर बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 465 हॉग डीयर बाढ़ में बह गए हैं। 28 जंगली सूयर और 16 सांभरों की भी मौत हो चुकी है। वन क्षेत्र के आस-पास रहने वाले लोगों को सेना सुरक्षित जगहों पर पहुंचा रही है। प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार क्षेत्र में आठ-दस राहत केंद्र बनाए गए हैं। सरकार बाढ़ से हुए नुकसान के आंकलन में जुटी हुई है।
यहां चल रहे राहत और बचाव कार्य संतोषजनक नहीं माने जा सकते हैं। सरकारी मदद राहत शिविरों तक ही सीमित हैं तथा जो लोग दूर दराज़ इलाकों में फंसे हुए हैं उन तक अभी भी कोई राहत नहीं पहुँची हैं। असम के नलबाड़ी और कामरूप जिलों में अपनी एक स्वयंसेवी संस्था के ज़रिये काम करने वाले लोगों ने बताया, कि लोगों को दाल और चावल मिला है. एक दिन के लिए एक आदमी को महज़ 600 ग्राम चावल ही दिया गया है. नलबाड़ी ज़िले में दाल की खरब गुणवत्ता के कारण पीड़ित गावं वालों ने राहत सामग्री लौटा दी है।

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