शनिवार, 10 नवंबर 2012

कर्नाड ने गुरूदेव को बताया दोयम दर्जे का नाटककार


कर्नाड ने गुरूदेव को बताया दोयम दर्जे का नाटककार

(श्वेता यादव)

बंग्लुरू (साई)। जनसेवकों के बाद अब रंगकर्मी भी विवादस्पद बयानों में घिरने लगे हैं। वी.एस. नायपॉल की सार्वजनिक रूप से आलोचना करने के बाद लेखक और ऐक्टर गिरीश कर्नाड ने अब कवि रवींद्रनाथ टैगोर पर निशाना साधा है। बेंगलुरु में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कर्नाड ने कहा कि टैगोर एक महान कवि थे, लेकिन वह दोयम दर्जे के नाटककार थे। उनके समकालीन बंगाली थियेटर ने उनके नाटकों को कभी स्वीकार नहीं किया।
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कर्नाड ने कहा कि पिछले 50 साल में बादल सरकार, मोहन राकेश और विजय तेंडुलकर जैसे कई नाटककार हुए जो टैगोर से बेहतर हैं। पिछले महीने कर्नाड ने वी.एस. नायपॉल की उनके भारतीय मुस्लिमों के प्रति राय को लेकर आलोचना की थी। ययाति, तुगलक, नागा मंडल जैसे कई नाटकों को लेकर चर्चित कर्नाड ने कहा कि टैगोर गरीब पात्रों को नहीं समझते थे क्योंकि वह कुलीन वर्ग से आते थे।
उधर, दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित सौमित्र चटर्जी ने कर्नाड की टिप्पणी पर नाराजगी जताते हुए इसे शर्मनाक बताया। वहीं, टैगोर के कई नाटकों का निर्देशन कर चुके देबाशीष रॉय चौधरी ने कहा कि कर्नाड गैर-बंगाली हैं, इसी वजह से टैगोर के सभी नाटकों तक उनकी पहुंच नहीं है।

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