शनिवार, 10 नवंबर 2012

संगठन को कसने की कवायद में सोनिया!


संगठन को कसने की कवायद में सोनिया!

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। केंद्रीय मंत्रिपरिषद में फेरबदल के बाद काँग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी अब संगठनात्मक ढांचे को कसने की तैयारी में लग गई हैं। अगले आम चुनाव 2014 को ध्यान में रखते हुये पार्टी की संभावनाओं को मद्देनज़र रख फेरबदल में खास ध्यान देने की महती जरूरत महसूस की जा रही है। सत्ता और संगठन के बीच तालमेल का अभाव साफ दिख रहा है। आम कार्यकर्ता अब सरकार और संगठन से विरत होता ही दिख रहा है, जिसे देख्कर सोनिया गांधी की पेशानी पर पसीने की बूंदे छलकती दिख रही हैं।
मंत्रिपरिषद में हुए हालिया फेरबदल में राहुल गांधी की छाप साफ तौर पर देखने को मिली है। वैसे यह पहली बार देखा गया है जब राहुल गांधी का कैबिनेट में किसी तरह के फेरबदल को ले कर पीएम से वार्तालाप हुआ हो। इस बात की पूरी संभावना दिखाई दे रही है कि पार्टी की बागडोर बतौर नंबर 2 राहुल गांधी को सौंप दी जाए। जिस तरह से राहुल को प्रस्तुत किया जा रहा है उससे तो ऐसा ही लगता है। ऑल इंडिया काँग्रेस कमेटी (एआईसीसी) में फेरबदल दीपावली के उपरांत या फिर लोकसभा सत्र के बाद हो सकेगा।
कांग्रेस के नेशनल लेबल की एक वरिष्ठ शक्सियकत ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि वैसे भी सोनिया गांधी की लोकप्रियता में कमी, पार्टी पर उनकी ढीली पड़ती पकड़, अपने और राहुल गांधी के लोकसभा क्षेत्र रायबरेली और अमेठी वाले उत्तर प्रदेश सूबे में कांग्रेस को नहीं जिला (जिंदा करना) पाने के आरोपों के बाद अब सोनिया की मुखालफत तेज हो चुकी है।
उक्त नेता ने आगे कहा कि भ्रष्टाचार, घपले घोटालों के बाद भी सोनिया गांधी की इस मामले में चुप्पी का संदेश भी यही जा रहा है कि चूंकि सोनिया गांध्ी इटली मूल की हैं अतः देश की अर्थव्यवस्था से उन्हें कोई ज्यादा सरोकार नहीं है। अगर देश में कुछ विषम परिस्थितियां निर्मित हुईं तो उनके पास विकल्प के तौर पर पीहर यानी इटली देश तो है ही।
मप्र, छग जैसे राज्यों को, जहां चुनाव 2013 यानि अगले साल ही होने हैं, कैबिनेट फेरबदल में कुछ खास हासिल नहीं हुआ है। चर्चा थी कि मप्र से कुछ और चेहरे मंत्रिमंडल में लिए जा सकते हैं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। अगर मप्र को केंद्रीय मंत्रिमंडल में ज्यादा प्रतिनिधित्व मिलता तो मप्र काँग्रेस के लिए यह संजीवनी बन सकता था। काँग्रेस के आला संगठन में फिलहाल मप्र से एक राष्ट्रीय महासचिव तथा तीन सचिवों के अलावा दो सदस्य शामिल हैं, लेकिन संगठन फेरबदल की संभावनाओं के बीच पांच बड़े चेहरों दिग्विजय सिंह, सुरेश पचौरी, मीनाक्षी नटराजन, विजयलक्ष्मी साधौ और अरुण यादव को लेकर सबकी निगाहें लगी रहेंगी।
स्वभाव से कड़क और मप्र के तेज तर्रार नेताओं में शुमार सत्यव्रत चतुर्वेदी को भाषा पर अच्छी पकड़ के चलते पार्टी का पुनः प्रवक्ता बनाये जाने की भी प्रबल संभावनायें देखी जा रही हैं। चतुर्वेदी पहले भी लम्बे समय तक पार्टी के प्रवक्ता रह चुके हैं। उम्मीद की जा सकती है कि काँग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी संगठन फेरबदल में मप्र के कोटे को और बढ़ाएंगी। संगठन की सर्जरी का खामियाजा मप्र को नहीं उठाना पड़ेगा।

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