बुधवार, 28 सितंबर 2011

नीलकंठ बनने को तैयार नहीं युवराज


नीलकंठ बनने को तैयार नहीं युवराज

मीडिया प्रबंधन में जुटी राहुल जुंडली

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। सागर मंथन से अमृत के साथ विष भी निकला। अमृत तो सभी पीना चाह रहे थे पर विषपान को कोई तैयार नही ंथा। भगवान शिव ने विषपान किया और अपनी गर्दन में उसे रख लिया। तभी वे नीलकण्ठ कहलाए। दो दशकों से कांग्रेस भी देश को मथ रही है। सत्ता में आते ही सत्ता का अमृत सभी चखना चाहते हैं पर जमीनी स्तर पर उखड़ते कांग्रेस के पैरों जिसे विष की संज्ञा दी जा रही है का पान करने को राहुल गांधी भी तैयार नहीं दिख रहे हैं।

कांग्रेस की नजर में भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी के करीबी सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी द्वारा भविष्य के सभी संभावित रोड़ मेप्स पर गहन अध्यययन किया जा रहा है। देश की वर्तमान हालत को देखकर राहुल ने कोई भी पद लेने से साफ इंकार कर दिया है। सूत्रों के अनुसार न तो राहुल कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष ही बनना चाह रहे हैं और ना ही वे प्रधानमंत्री बनने को आतुर हैं।

सूत्रों के अनुसार युवराज के अघोषित राजनैतिक गुरू राजा दिग्विजय सिंह के मशविरे पर राहुल गांधी द्वारा हर बार पूछने पर रटा रटाया जवाब कि वे देश के कोने कोने में जाकर कांग्रेस को मजबूत करने का प्रयास करना चाह रहे हैं दे देते हैं। सूत्रों का कहना है कि घपलों, घोटालों, भ्रष्टाचार से कांग्रेस की होती दुर्गत देखकर राहुल गांधी खुद भी भयाक्रांत हैं। इन परिस्थितियों में जवाबदारी लेने का साफ मतलब है कि विषपान करना।

इन दिनों राहुल गांधी अपनी छवि चमकाने का जतन कर रहे हैं। युवराज की छवि निखार के लिए एक दर्जन से अधिक पीआर कंपनियों को टटोला गया है। चर्चा है कि राहुल को कहा गया है कि वे हर सप्ताह या पखवाड़े में एसा कुछ अवश्य करें जिससे वे मीडिया की सुर्खियां बटोर सकें।

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