सोमवार, 9 जनवरी 2012

ममता दे रहीं मन से चुनौती


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 69

ममता दे रहीं मन से चुनौती

वजीरे आज़म पर भारी पड़तीं पश्चिम बंगाल की निजाम!



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। कांग्रेस मंे अंदर ही अंदर वजीरे आजम मनमोहन सिंह के प्रबल विरोध के बाद अब पश्चिम बंगाल की निजाम ममता बनर्जी ने मनमोहन सिंह को सीधे सीधे टक्कर देना आरंभ कर दिया है। ममता बनर्जी के आगे नतमस्तक केंद्र सरकार का रूख देखकर अब सियासी गलियारों में मनमोहन सिंह से ताकतवर रूप में ममता बनर्जी को देखा जाने लगा है। ममता बनर्जी ने दूसरी बार साबित किया है कि वे मनमोहन सिंह से ज्यादा वजूद वाली नेता हैं।
गौरतलब है कि देश के वजीरे आज़म डॉक्टर मनमोहन सिंह संभवतः देश के पहले एसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने अब तक प्रत्यक्षतः कोई चुनाव नहीं जीता है। वे सदा ही पिछले दरवाजे से संसदीय सौंध जाने में विश्वास रखते आए हैं। प्रधानमंत्री बनने के उपरांत भी उनमें इतना नैतिक साहस नहीं आ पाया कि वे चुनाव के जरिए सीधे जनता का सामना कर सकें।
वहीं सवा सौ साल पुरानी और देश पर आधी सदी से ज्यादा राज करने वाली कांग्रेस के पास भी अब एसा कोई नेता नहीं बचा है जो जनता द्वारा सीधे चुना गया हो, जिसे प्रधानमंत्री बनाया जा सके। कांग्रेस की मजबूरी साफ झलक रही है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की थाप पर मुजरा करने वाले विपक्ष को भी इससे कोई लेना देना नहीं है।
कहा जा रहा है कि किसी को कांग्रेस की यह कमजोरी समझ में आई हो या ना आई हो पर त्रणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की निजाम ममता बनर्जी इस बात को भली भांति समझ चुकी हैं। यही कारण है कि वे हर बार केंद्र सरकार की बांह मरोड़कर अपनी बात मनवाने का माद्दा रख रहीं हैं। आपस की धमकियों या गीदड़ भभकियों के बाद भी कांग्रेस चाहकर भी ममता का मोह नहीं छोड़ पा रही है।
पीएमओ के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि एफडीआई के उपरांत अब पैंशन बिल को भी ठण्डे बस्ते के हवाले करने के पीछे ममता बनर्जी का ही हाथ है। सूत्रों ने कहा कि हालात देखकर कहा जा सकता है कि केंद्र सरकार अब ममता बनर्जी के सामने पूरी तरह आत्मसमर्पण कर चुकी है। पिछले साल के अंतिम मंगलवार को वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को ममता की पाती मिली, जिसमें उन्होंने पेंशन बिल का पुरजोर विरोध किया था।
प्रणव मुखर्जी के अंदरखाने से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो उस पत्र में ममता बनर्जी ने साफ लिखा था कि वे नहीं समझतीं कि पैंशन बिल से किसी का भला होने वाला है। पेंशन बिल की अनेक खामियां गिनाते हुए ममता बनर्जी ने इस पर अपनी आपत्ति भी दर्ज करवाई थी।
सूत्रों की मानें तो बुधवार को हुई मंत्रिमण्डल की बैठक की कार्यसूची में शामिल पैंशन बिल पर त्रणमूल के विरोध का साया इस कदर मण्डराया कि उस पर चर्चा करना भी वजीरे आजम ने मुनासिब नहीं समझा। बाद में ज्ञात हुआ कि त्रणमूल सुप्रीमो की तल्ख आपत्ति के बाद सरकार ने अपनी कार्यसूची को अंतिम समय में संशोधित कर उसमें से पेंशन बिल विलोपित कर दिया।

(क्रमशः जारी)

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