सोमवार, 9 जनवरी 2012

टीटागढ़ वेगन को बदनाम करना उद्देश्य नहीं


टीटागढ़ वेगन को बदनाम करना उद्देश्य नहीं

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। हमने अपने ब्लाग में दिसंबर के पहले सप्ताह में ‘‘कार्पाेरेट सोच के धनी हैं दिनेश त्रिवेदी‘‘ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था, जिसका उद्देश्य कतई किसी की मानहानी और छवि पर बुरा प्रभाव डालने का कतई नहीं था। हमारा ब्लाग बहुत ज्यादा लोकप्रिय भी नहीं है कि जिसमें कोई सामग्री प्रकाशित हो तो उसका कोई व्यापक प्रभाव पड़े। फिर भी अगर हमारे उक्त शीर्षक से ब्लाग में लगाए गए समाचार से किसी का विशेषकर टीटागढ़ वैगन या उसके प्रबंधन और भागीदारोें की छवि पर इसका कोई प्रभाव पड़ा हो तो हम इसके लिए सार्वजनिक तौर पर खेद प्रकट करते हैं। उक्त समाचार हमारे ब्लाग में प्रकाशन के पूर्व राष्ट्रीय स्तर के अनेक समाचार पत्रों में जिनकी प्रसार संख्या लाखों करोड़ों में है एवं उनकी वेब साईट पर जिन्हें रोजाना लाखों लोग देखते हैं में प्रसारित किया जा चुका है।
ज्ञातव्य है कि हमारे ब्लाग पर ‘‘कार्पाेरेट सोच के धनी हैं दिनेश त्रिवेदी‘‘ शीर्षक एवं ‘‘ममता को रास नहीं आ रहा त्रिवेदी का नया खेल‘‘ उपशीर्षक से निम्न समाचार प्रकाशित किया गया था।

कार्पाेरेट सोच के धनी हैं दिनेश त्रिवेदी

ममता को रास नहीं आ रहा त्रिवेदी का नया खेल

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। केंद्रीय रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी की पटरी अब अपनी ही पार्टी की सर्वे सर्वा सुश्री ममता बनर्जी से मेल नहीं खा पा रही है। ममता और त्रिवेदी के बीच के रिश्तों में आई खटास की वजहों पर से अब परतें उखड़ने लगी हैं। सादगी की प्रतिमूर्ति बनी ममता बनर्जी को रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी का कार्पाेरेट आचार विचार गले नहीं उतर पा रहा है। वैसे भी दिनेश त्रिवेदी पर त्रणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के आरोप लग चुके हैं।
पश्चिम बंगाल की निजाम सुश्री ममता बनर्जी के करीबी सूत्रों का दावा है कि उनके और केंद्रीय रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी के बीच खाई कम होने के बजाए बढ़ती ही जा रही है। सूत्रों ने कहा कि त्रिवेदी विरोधी नेताओं ने ममता के कान उनके खिलाफ भरने आरंभ कर दिए हैं। इतना ही नहीं रेल विभाग की कार्यप्रणाली के बारे में त्रिवेदी विरोधियों के साथ ही साथ रेल विभाग के ममता बनर्जी के करीबी आला अफसरान ही फीड बैक देने से नहीं चूक रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि रेल वैगन का काम बिना किसी निविदा के पब्लिक सेक्टर की कंपनी भारत हेवी इलेक्ट्रीकल लिमिटेड को दे दिया गया है। इसमें ही जबर्दस्त खेल हुआ है। भेल वैसे तो भारी उद्योग विभाग के अधीन आती है पर यह ठेका भेल को इसलिए दिया गया है क्योंकि भेल इस ठेके को सबलेट करेगी। अगर निविदा बुलाई जाती तो कहानी कुछ और बन जाती।
सूत्रों ने कहा कि भेल इस काम को पेटी या सब कांट्रेक्ट पर टीटागढ़ वैगन को दे चुकी है। इस निजी कंपनी के मालिक अक्सर ही केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल और दिनेश त्रिवेदी की चौखट चूमते दिख जाते हैं। सूत्रों ने आश्चर्यजनक खुलासा करते हुए कहा कि इस पूरी की पूरी डील में संचार क्रांति के जनक माने जाने वाले सैम पित्रोदा की महती भूमिका रही है।
दिनेश त्रिवेदी वैसे भी सैम पर मेहरबान हैं, त्रिवेदी ने पित्रोदा को रेल आधुनिकीकरण कमेटी का सर्वेसर्वा भी बनाया हुआ है। सूत्रों की मानें तो जब रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी की इस कारस्तानी को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और त्रणमूल कांग्रेस की चीफ सुश्री ममता बनर्जी के संज्ञान में लाया गया तो वे हत्थे से ही उखड़ गईं। अब लगने लगा है कि दिनेश त्रिवेदी की रेल जल्द ही पटरी से उतरने वाली है।

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