गुरुवार, 7 जून 2012

सीबीआइ ने 30 के खिलाफ मांगी अभियोजन की अनुमति


सीबीआइ ने 30 के खिलाफ मांगी अभियोजन की अनुमति
(दीपांकर श्रीवास्तव)
लखनऊ (साई)। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) घोटाले में लखनऊ जिले की जांच कर रही सीबीआइ ने एक सीएमओ, तीन एसीएमओ समेत कुल 30 सरकारी डाक्टरों के खिलाफ अभियोजन की अनुमति मांगी है। संभावना है कि सरकार दो चार दिन के अंदर आवश्यक औपचारिकता पूरी कर सीबीआइ को अभियोजन की अनुमति प्रदान कर देगी। इन सभी को निलम्बित कर देने की भी तैयारी है। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य संजय अग्रवाल ने स्वीकार किया कि सीबीआइ ने अभियोजन की अनुमति मांगी है।
उच्च न्यायालय के आदेश पर लखनऊ जिले में एनआरएचएम घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ ने व्यापक छानबीन के बाद काफी स्वास्थ्य कर्मियों को इसमें संलिप्त पाया। इस दौरान सीबीआइ ने सीएमओ, एसीएमओ और कम्युनिटी हाल सेंटर तथा बाल महिला चिकित्सालय के प्रभारियों से कई चक्र में पूछताछ की। जांच टीम ने पाया कि सीएमओ और उनके मातहतों ने बड़े पैमाने पर घोटाला किया है।
सूत्रों के मुताबिक सीबीआइ ने सरकार को सीएमओ और एसीएमओ समेत करीब तीस सरकारी डाक्टरों की सूची सौंपकर उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी। अनुमति मिलते ही आरोप पत्र दाखिल करने की तैयारी शुरू होगी। सीबीआइ को इस घोटाले में लखनऊ के तत्कालीन सीएमओ डाक्टर एके शुक्ला, एसीएमओ डाक्टर चित्रा सिंह, डाक्टर आरबी लाल और डाक्टर एके चौधरी की सीधी भूमिका मिली।
इसके अलावा कम्युनिटी हाल सेंटर के सुपरिटेंडेंट और बाल महिला चिकित्सालय के सुपरिटेंडेंट की भी संदिग्ध भूमिका पायी गयी। सीबीआइ को जांच में तीस ऐसे लोग मिले, जिन्होंने विभिन्न मदों के पैसों की बंदरबांट की और नियमों की अनदेखी की। सीबीआइ ने जांच के दौरान डिप्टी सीएमओ डाक्टर वाइएस सचान की भी संदिग्ध भूमिका पायी। अब उनका निधन हो चुका है, इसलिए उनका नाम सूची में शामिल नहीं है।
उल्लेखनीय है कि लखनऊ की जांच में सीबीआइ ने अदालत से लगातार समय मांगा और अब जांच पूरी करने की आखिरी तारीख 23 अगस्त है। सीबीआइ आरोप पत्र दाखिल करने से पूर्व सभी औपचारिकता पूरी कर लेना चाहती है। चूंकि लखनऊ के घोटाले ने ही पूरे प्रदेश में एनआरएचएम के बंदरबांट का रास्ता दिखाया और इस मामले को लेकर यहां दो सीएमओ परिवार कल्याण की हत्याएं भी हुई, इसलिए सीबीआइ ने लखनऊ जिले की बहुत ही सूक्ष्म जांच की है। जांच में सीबीआइ को पता चला कि पूरे विभाग में लूट मची हुई थी और जिसे अवसर मिला उसने बहती गंगा में हाथ धोया। घोटाले में शामिल लोगों की सूची और लंबी होने की आशंका जताई जा रही है। 

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