शनिवार, 9 जून 2012

अहलूवालिया भयाक्रांत हैं मणि से!


अहलूवालिया भयाक्रांत हैं मणि से!

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। राजीव गांधी के सपनों को साकार करने के लिए कथित तौर पर कटिबद्ध पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर काफी समय से हैरान परेशान ही नजर आ रहे हैं। वे इस समय जयराम रमेश, किशोर चंद देव और मोंटेक सिंह अहलूवालिया के बीच फुटबाल बने हुए हैं। देश में पंचायत राज की दुर्दशा से चिंतित मणिशंकर अय्यर चाहते हैं कि इसके लिए आयोग का गठन किया जाए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पूर्व पंचायती राज मंत्री मणिशंकर अय्यर पिछले दिनों वर्तमान ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश के दरबार में हाजिरी लगाने गए। वहां मणिशंकर अय्यर ने रमेश से कहा कि देश में पंचायती राज की हालत अच्छी नहीं कही जा सकती है साथ ही साथ राजीव गांधी के पंचायती राज के सपने को साकार करने के लिए एक आयोग का गठन किया जाना चाहिए।
बताते हैं कि चतुर सुजान जयराम रमेश ने बेहद शिष्टता के साथ मणिशंकर अय्यर का रूख किशोर चंद्र देव की ओर करते हुए कहा कि यह मामला पंचायती राज का है और इसके लिए वज़ीरे आज़म डॉ.मनमोहन सिंह ने किशारे चंद्र जी को पाबंद किया हुआ है। फिर क्या था मणिशंकर अय्यर ने सीधे देव के कार्यालय की ओर रूख कर दिया।
जयराम रमेश के एक करीबी ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि जैसे ही मणिशंकर अय्यर ने वहां से रूखसती डाली वैसे ही रमेश ने देव को फोन कर गुरू मंत्र दे डाला। मणिशंकर अय्यर और देव की मुलाकात के बाद निर्धारित रणनीति के तहत मणिशंकर अय्यर को योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया के दरवाजे भेज दिया गया।
कहा जाता है कि उसी शाम मणिशंकर अय्यर और मांेटेक सिंह की भेंट के बाद अहलूवालिया ने जयराम रमेश को फोन कर उनसे जाने अनजाने हुए अपराधों के लिए क्षमा मांगी। हत्प्रभ रमेश ने इसका कारण पूछा तब अहलूवालिया ने बताया कि किस तरह मणिशंकर अय्यर पहले जयराम फिर देव के रास्ते उन तक पहुंचे हैं।
मणि के आग्रहों से अहलूवालिया इस कदर भयजदा थे कि उन्होंने रमेश को कहा कि उन्होंने रमेश का क्या बिगाड़ा है जो मणि को उनके पीछे लगा दिया है। उन्होंने कहा कि रमेश चाहे जो काम उनसे करवा लें पर मणि को उनके पीछे से हटा लें। मणि शंकर अय्यर से घबराए योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया की चर्चाएं आजकल जोरों पर हैं। सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि ग्रामीण स्वच्छता के लिए जयराम रमेश द्वारा अरबों रूपयों की स्वीकृति योजना आयोग से करवा लेना इसी का हिस्सा माना जा रहा है।

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