गुरुवार, 19 जुलाई 2012

गैस पर होगी सब्सीडी कम!


गैस पर होगी सब्सीडी कम!

(रचना तिवारी)

बंग्लुरू (साई)। सरकार गैस सब्सिडी में प्रतिवर्ष दस हजार करोड़ रुपए की कमी करने की सोच रही है। जो वर्ग आर्थिक रूप से पिछड़े नहीं हैं, उन्हें सब्सिडीयुक्त गैस सिलेन्डरों की संख्या पर नियंत्रण किया जाएगा। केन्द्रीय पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री आर पी एन सिंह ने बंगलौर में एक कार्यक्रम से इतर पत्रकारों को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि सरकारी सब्सिडी वित्तीय घाटा बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और इस तरह अर्थ व्यवस्था को प्रभावित करती है, इसलिए सब्सिडी में कमी करने की तत्काल आवश्यकता है। इस समय सरकार हर वर्ष गैस सब्सिडी पर ३६ हजार करोड़ रुपए खर्च करती है।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को मिली जानकारी के अनुसार इसके साथ ही सरकार डीजल की कीमतों को आंशिक रूप से नियंत्रण मुक्त भी करने की तैयारी कर रही है। मंत्री ने कहा कि सरकार एलपीजी पर सब्सिडी में 36,000 करोड़ रुपये देती है और बहुत से ऐसे लोग जो आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग में नहीं आते और उन्हें इसकी जरूरत नहीं है, इसका लाभ उठाते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार सब्सिडी में कटौती गैस सिलेंडरों की सीमा तय कर करेगी। इसके तहत सब्सिडी वाले सिलेंडरों की संख्या तय की जाएगी।
केंद्रीय मंत्री श्री सिंह ने यहां एक कार्यक्रम के मौके पर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सरकार एलपीजी सब्सिडी में कटौती के फैसले के करीब है। यदि हम कुछ सिलेंडरों की सीमा तय करते हैं, तो इससे ऐसे गरीब लोगों के अधिकारों का हनन नहीं होगा जिन्हें सब्सिडी मिलती है। मुझे लगता है कि अमीरों के लिए सिलेंडरों की सीमा तय कर हम सब्सिडी पर 8,000 से 10,000 करोड़ रुपये बचा सकेंगे।
हालांकि, उन्होंने कहा कि डीजल कीमतों में वृद्धि का मसला संवेदनशील है। यदि आप डीजल के दाम बढ़ाने का प्रयास करते हैं, तो इसका अर्थव्यवस्था पर विपरीत असर होगा। हम इसका ऐसा समाधान निकालने का प्रयास कर रहे हैं जिससे इसका अर्थव्यवस्था पर असर कम से कम हो, साथ ही राजकोषीय घाटे में कमी भी लाई जा सके।
उधर, समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के दिल्ली ब्यूरो से मणिका सोनल ने बताया कि भारत और पाकिस्तान ने पेट्रोलियम उत्पादों के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं। नई दिल्ली में पेट्रोलियम और पेट्रो रसायन उत्पादों के व्यापार से संबंधित पहली बैठक में दोनों पक्षों के विशेषज्ञ समूह ने सहमति व्यक्त की कि पेट्रोलियम कोक और सल्फर के रेल कन्टेनर तथा खुले वैगन से लाने-ले जाने पर लगी रोक पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार समझौता- साफ्टा के प्रमाण पत्र के अनुमोदन की प्रक्रिया ऑनलाइन किये जाने की आवश्यकता पर भी सहमति दी ताकि इस प्रक्रिया में होने वाला विलंब रोका जा सके और आयात शुल्क लाभ समय पर उठाए जा सके।

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