बुधवार, 25 जुलाई 2012

रोज पत्नी का माथा चूमते हैं दादा


रोज पत्नी का माथा चूमते हैं दादा

(रश्मि सिन्हा)

नई दिल्ली (साई)। देश के प्रथम नागरिक बन चुके प्रणव मुखर्जी के विवाह को 55 साल बीत चुके हैं पर वे आज भी अपनी खुद की बनाई गई परंपरा का बखूबी निर्वहन करते हैं। दोनों की शादी को 55 साल हो गए हैं। इन सालों में दोनों कभी झगड़ा नहीं हुआ। एक समाचार पत्र को दिए साक्षात्कार में सुर्वा मुखर्जी ने यह बात कही। सुर्वा मुखर्जी अपने पति के राष्ट्रपति बनने से बहुत खुश है।
उन्होंने बताया कि राजनीति में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। वह राजनीती से लाखों कोस दूर रहती हैं। प्रणब मुखर्जी 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। उस दिन सुर्वा मुखर्जी नई साड़ी पहनेगी। जब उनसे पूछा गया कि देश की प्रथम नागरिक बनकर उनको कैसा लग रहा है तो उन्होंने मासूमियत से कहा, भालो लागे (बहुत अच्छा लग रहा है)। शपथ ग्रहण समारोह में बेटी शर्मिष्ठा और बेटा अभिजीत भी शामिल होंगे।
जब सुर्वा से पूछा गया कि बंगाल के पहले राष्ट्रपति बनने पर वह प्रणब मुखर्जी को बधाई देंगी तो उन्होंने कहा नहीं। सुर्वा ने कहा कि हम आज के जमाने के कपल नहीं हैं। हम अपनी भावनाओं का इजहार नहीं करते। हमारी भावनाएं दिमाग और दिल में रहती है। हम कभी प्यार की छोटी छोटी बातें नहीं करते। इस उम्र में हम पूरे दिल से एक दूसरे पर निर्भर हैं। उनका मेरे लिए प्यार अलग है।
नहाने के बाद वे मेरे पास आते हैं। मेरा हाथ माथा चूमते हैं और कुछ मंत्र पढ़ते हैं। वे हर दिन ये करते हैं। जब राष्ट्रपति चुने गए तब भी उन्होंने घ्सा ही किया। इस तरह वे अपने प्यार का इजहार करते हैं। हमारी शादी को 55 साल हो गए हैं लेकिन इन 55 सालों में हमारे बीच एक बार भी झगड़ा नहीं हुआ। जब सुर्वा मुखर्जी से पूछा गया कि वे अपने पति को कोई स्पेशल गिफ्ट देंगी तो उन्होंने कहा कि प्यार ही स्पेशल गिफ्ट है।

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