सोमवार, 30 जुलाई 2012

जनसंपर्क की उलटबंसी चर्चाओं में


जनसंपर्क की उलटबंसी चर्चाओं में

विज्ञप्तियों के माध्यम से उजागर करना आरंभ किया शिवराज की नाकामियां

(नन्द किशोर)

भोपाल (साई)। मध्य प्रदेश सरकार की उपलब्धियों और जनकल्याणकारी योजनाओं को जनता के सामने लाने के लिए पाबंद मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क महकमे की उलटबंसी लोगों को आश्चर्यचकित कर रही है। अमूमन सरकार की नाकामियों पर सरकारी विभागों द्वारा पर्दा ही डाला जाता रहा है किन्तु इस बार तो जनसंपर्क ने करिश्मा ही कर दिया है।
राज्य के जनसम्पर्क विभाग द्वारा जारी बयान में बताया गया है कि मुख्यमंत्री ने कुल 31 घोषणाएं की थीं। इनमें से 16 घोषणाओं पर अमल हो चुका है, मगर लाडली लक्ष्मी योजना ही एकमात्र ऐसी योजना है जिसे कानूनी रूप दिया जाना अभी लंबित है। शिवराज सिंह चौहान की महात्वाकांक्षी योजनाओं में लाडली लक्ष्मी योजना सबसे उपर है।
जनसंपर्क महकमे के एक आला अधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर इस बात पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि अगर जनसंपर्क विभाग के संज्ञान में यह बात आई थी तो इस बात को जनसंपर्क आयुक्त (सीपीआर) राकेश श्रीवास्तव के संज्ञान में लाया जाना चाहिए था। इसके बाद सीपीआर इस बारे में सीएम को आवगत करा देते। इसका प्रोपोगंडा करने की क्या जरूरत थी। ऐसे में शासन की बदनामी ही होती है।
ज्ञातव्य है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर लाडली लक्ष्मी योजना है, मगर इस योजना को कानूनी रूप देना महिला एवं बाल विकास विभाग की प्राथमिकता सूची में सबसे नीचे है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री की तमाम घोषणाओं को तो विभाग पूरा कर चुका है मगर कानून बनाने की घोषणा अब भी लंबित है।
लाडली लक्ष्मी योजना का मकसद बालिका जन्म को प्रोत्साहित करना है। इस योजना के लिए चौहान की काफी तारीफ हुई थी। इतना ही नहीं, पिछले विधानसभा चुनाव में सरकार ने इस योजना को मील का पत्थर करार दिया था और मतदाताओं ने भी इस योजना को सराहते हुए चौहान को सरकार बनाने का मौका दिया था।
आधिकारिक बयान में बताया गया कि राज्य से कुपोषण समाप्त करने के लिए 14 मई 2010 को राज्य विधानसभा द्वारा अटल बाल योजना आरोग्य एवं पोषण मिशन की स्थापना का प्रस्ताव पारित किया गया था। इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग को नोडल विभाग भी घोषित किया गया। विभाग ने इस प्रस्ताव पर अमल करते हुए 24 दिसम्बर 2010 को मिशन का औपचारिक शुभारंभ भी मुख्यमंत्री से कराया था।
बताया गया है कि विभाग के सभी अधिकारियों ने आंगनवाड़ी केंद्रों का दौरा किया और लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। अब तक आठ पर्यवेक्षकों को निलम्बित किया गया है और 1682 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का एक माह का मानदेय रोका गया है। कार्य में सुधार न होने पर 140 कार्यकर्ताओं और 128 सहायिकाओं को सेवा से अलग कर दिया गया है।
जनसंपर्क महकमे के इस बयान से यह माना जाने लगा है कि सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री रंजना बघेल के बीच सामंजस्य का पूरा पूरा अभाव ही है। इस संबंध में रंजना बघेल का पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो उनकी सुरक्षा में तैनात अंगरक्षक ने बताया कि वे किसी प्रोग्राम मे व्यस्त हैं।

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