सोमवार, 20 अगस्त 2012

डा० हरक सिंह रावत के खिलाफ मंत्री प्रसाद नैथानी किसकी शह पर कठपुतली बने


डा० हरक सिंह रावत के खिलाफ मंत्री प्रसाद नैथानी किसकी शह पर कठपुतली बने

सतपाल महाराज जैसे धनकुबेर बाबा का शिष्य

(चंद्रशेखर जोशी)

देहरादून (साई)। उत्तराखण्ड में निर्दलीय विधायक कैबिनेट मंत्री बनकर कांग्रेस के रसूखदार नेता से उलझकर कांग्रेस की किरकिरी करा रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में इस बात को लेकर जोरों पर चर्चा जारी है कि नैथानी को इस जंग में पर्दे के पीछे एक बडे राजनेता का संरक्षण मिला हुआ है और यही कारण है कि निर्दलीय होने के बावजूद नैथानी सीएम की दौड म सबसे आगे रहे हरक सिंह रावत को नीचा दिखाने की रणनीति तैयार करते हुए किसी बडे षडयंत्र में लगे हुए हैं। वहीं चर्चा यह भी है कि कांग्रेस पार्टी के ही कुछ नेता हरक सिंह रावत के पार्टी में बढते कद को कम करने की जुगत में लगे हुए हैं। वहीं मुख्यमंत्री बहुगुणा की रहस्यमय चुप्पी को लेकर भी कई प्रकार की चर्चाएं हो रही है ऐसे में प्रदेश के राजनीतिज्ञों में नए समीकरणों के बनने और राजनीतिक अस्थिरता को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। मुख्यमंत्री द्वारा इस प्रकार रहस्यमय चुप्पी साधने पर सरकार की साख को धक्का लग रहा है और निर्दलीय विधायक मंत्री प्रसाद नैथानी किस नेता के हाथ की कठपुतली बनकर हरक सिंह रावत के खिलाफ षडयंत्र का मोहरा बन रहे हैं, इसकी चर्चा जोरों पर हैं। वहीं एक अधिकारी को लेकर शिक्षा मंत्री के रूप में मंत्री प्रसाद नैथानी ने इसे नाक का सवाल बना दिया, वहीं इस प्रकरण के लम्बा खिंचने के पीछे बडे नेताओं का क्या मकसद है, इस बारे में राजनीतिक प्रेक्षक की राय एकमत होकर सामने आ रही है कि डा० हरक सिंह रावत के पीछे फिर वरिष्ठ कांग्रेसियों का षडयंत्र का ताना बाना तो नहीं बुना जा रहा है, वहीं आमजन के अनुसार उत्तराखण्ड में इस प्रकार की घटना को किसी भी सूरत में जायज नहीं ठहराया जा सकता है। इतना ही नहीं दोनों मंत्रियों के बीच बढे इस विवाद में मुख्यमंत्राी स्तर से भी कोई पहल न होने से साफ जाहिर हो रहा है कि सीएम भी किसी दबाव में नजर आ रहे हैं। प्रदेश के कैबिनेट मंत्रियों में इस आपसी द्वंद को लेकर कई प्रकार की चर्चाएं हो रही है। मुख्यमंत्री की दौड में शामिल रहे हरक सिंह रावत को निर्दलीय होने के बावजूद मंत्राी प्रसाद नैथानी जिस तरह से आंखे तरेर रहे हैं उसमें यह तो तय है कि मंत्री प्रसाद नैथानी के पीछे किसी बडे राजनेता का संरक्षण है और अपनी ही पार्टी के कुछ नेता हरक सिंह रावत के पार्टी म बढते कद को कम करने की जुगत में लगे हुए हैं। वहीं मीडिया के कुछ लोगों द्वारा इस मामले को तूल व चटकारे देकर प्रकाशित किया जाना यह साबित करता है कि कांग्रेस के नेताओं में आपसी गलाकाट प्रतिद्वंद्विता का ही यह परिणाम है जिसमें मीडिया के कुछ लोग मोहरा बन रहे हैं। सूबे के दो कैबिनेट मंत्रिय की इस आपसी द्वंद से उत्तराखण्ड ही नहीं पूरे देश में भी गलत संदेश जा रहा है। पार्टी में अपनी मजबूत पकड रखने वाले और प्रदेश अध्यक्ष पद के दावेदार माने जा रहे हरक सिंह रावत को नीचा दिखाने के लिए पार्टी के ही एक दिग्गज नेता को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म  बना हुआ है। माना जा रहा है कि इस दिग्गज नेता के ही इशारे पर मंत्री प्रसाद नैथानी हरक सिंह रावत को आंखे तरेरने में जुटे हुए हैं। शह और मात के इस खेल में पूरे प्रदेश की भद पिट रही है और इस प्रकार का यह विवाद पूरे प्रदेश में गलत संदेश देने के लिए पर्याप्त है। सूबे के विकास के लिए प्रदेश के मंत्रियों को अधिक ध्यान देने की जरूरत है न कि उन्हें किसी मुद्दे को लेकर उसे नाक की लडाई बनाने की। लोग का कहना है कि जिस प्रकार से दोनो नेताओं ने एक दूसरे के सामने तालवारें निकाली है यदि उसी प्रकार से वे जनता को होने वाली समस्या के खिलाफ एकजुट होकर उसके त्वरीत निदान की बात करते और जिस अवधरणा को लेकर उत्तराखण्ड का गठन किया गया था उसे पूरा करने का प्रयास करते तो शायद उनके लिए यह बडी उपलब्ध् होती। लेकन किसी बडे राजनेता के ईशारों पर कार्य करते हुए प्रदेश के मंत्रियों के बीच द्वंद का वातावरण किसी भी सूरत में प्रदेश हित में नहीं है। ऐसे म मुख्यमंत्राी विजय बहुगुणा की इस प्रकरण में चुप्पी भी किसी सूरत में उचित नहीं है। उन्हें इस प्रकार के वातावरण से निजात दिलाने के लिए अपने स्तर से ठोस पहल करने की जरूरत थी। लेकिन उन्होंने ऐसा न करके यह साबित कर दिया कि वे किसी न किसी दबाव में कार्य कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर लेखक रू इन्द्रेश मैखुरी  गढ्वाल के युवा नेता ने मंत्री प्रसाद नैथानी की पोल पटटी व्घ्यंग्घ्य के माध्घ्यम से खोली है,उन्घ्होंने मंत्री प्रसाद नैथानी के बारे में लिखा है कि एक हैं मंत्री भाई, जतो नाम, ततो गुण।ऐसा तो कम ही पाया जाता है वरना तो हमारे यहाँ आँख के अन्धों का नाम नैनसुख होने का चलन रहा है, करोड़ों की संपत्ति वाले का नाम गरीबदास होने की रवायत है और लक्ष्मी प्रसाद झोपड़े में दिन काटता है।पर मंत्री भाई के साथ ऐसा नहीं है,उनका नाम मंत्री है तो हैं भी मंत्री।

0 मंत्री भाई बड़े कारसाज आदमी हैं,सुखिऱ्यों में कैसे रहना है,

इस नुस्खे के वे माहिर खिलाड़ी हैं। उनके करतबों के कारण उनके विरोधी उन्हें मदारी भी कहते हैं। बीते विधानसभा चुनाव में तो मंत्री भाई ने राष्ट्रीय ख्याति अर्जित की।पूरे देश ने उन्हें टी।वी।पर दहाडें मार-मार कर रोते देखा, ऐसा रुंदन- क्रंदन मचाया  उन्होंने  कि प्रोफेशनल  रुदालियाँ  भी  उनके सामने पानी भरें। आंसुओं के बीच बहती नाक पोंछते हुए उन्होंने कहा-ष्मैं गरीब हूँ ना, इसलिए कांग्रेस ने मेरा टिकट काट दियाष्। जनता ने सोचा-सपा, उक्रांद से लेकर कांग्रेस तक की यात्रा किया हुआ आदमी और गरीब, सतपाल महाराज जैसे धनकुबेर बाबा का शिष्य, गरीब-ये  तो बहुत नाइंसाफी है।जो आदमी उत्तर प्रदेश में विधायक रहा हो,उत्तराखंड में मंत्री रहा हो और फिर भी गरीब ही रह गया तो इससे बड़ी शर्मिंदगी और क्या हो सकती है,इस बेचारे के लिए। जल्द ही इसकी गरीबी दूर ना की गयी तो हो ना हो कि कांग्रेसी नेताओं की जमात में ये उपेक्षित हो जाए और फ्रस्ट्रेट हो कर कहीं आत्महत्या कर बैठा तो इसका पाप होगा-जनता के सर ! अरे भई,तुम एक वोट देकर किसीकी गरीबी दूर कर सकते हो तो कर दो,किसी के बाप का क्या जाता है।
वैसे भी देवप्रयाग क्षेत्र की जनता बड़ी उदारमना है।पत्नी के मरने के बाद अगले चुनाव में दिवाकर भट्ट आये और उन्होंने कहा कि वोट नहीं दोगे तो चिता में लकड़ी देने आना। लोगों ने कहा अरे मरता क्यूँ है ? लेजा वोट और इस तरह भट्ट साहब की गरीबी दूर हो गयी। तो मंत्री भाई के रुदन पर भी देवप्रयाग क्षेत्र की जनता पसीज गयी और जिता के भेज दिया विधानसभा। मंत्री भाई जनता के पक्के वफादार आदमी हैं,जनता ने उन्हें गरीबी पर पसीज कर गरीबी दूर करने के लिए वोट दिया है। इसलिए जिन महकमों के वो मंत्री हैं, उनकी चिंता से ज्यादा मंत्री भाई को जनता के गरीबी दूर करने के आदेश की चिंता है। आखिर जब पांच साल बाद जनता को क्या मुंह दिखाएँगे। जनता दुत्कारेगी नहीं कि ष्तू फिर आ गया गरीब का गरीब वापस ,दुर्रष् इसलिए गाँव-शहर में पानी के लिए हाहाकार मचे, कोई बात नहीं, गर्मी में नलके से नहीं तो बरसात में आसमान से तो पानी आ ही जायेगा। मास्टरों के ट्रान्सफर का लफडा इतने सालों नहीं सुल्टा, उनके कार्यकाल में भी नहीं सुल्टा तो कोई पहाड़ थोड़े टूट पडेगा। पर अपनी गरीबी वे दूर करके रहेंगे।
पुराने समय में गरीबी दूर करना काफी मुश्किल था, बरसों तक तपस्या आदि करनी पड़ती थी और फिर भी देवता उलटा-सीधा वरदान दे देते थे। पर नए ज़माने के देवता ऐसे ढीठ नहीं हैं। ये नए ज़माने के देवता तो बस अपने प्रति वफादारी से ही प्रसन्न होकर मालामाल कर देते हैं। मंत्री भाई के विधानसभा क्षेत्र के चौरास नामक इलाके में भी 6 वर्षों से पी।वी।प्रसन्ना रेड्डी नाम के ऐसे ही कृपालु देवता विराजमान हैं। रेड्डी देवता को जनता के विकास की इतनी चिंता है कि वो कहते हैं- हे जनता तुम मुझसे घूस में जितना चाहे रुपया ले जाओ पर मुझे अपना विकास करने दो। ऐसा नेक कृपालु देवता कोई और हो सकता है भला, जो जनता का विकास करने के लिए जनता को ही घूस देता हो-नहीं, कदापि नहीं। तो अपने मंत्री भाई भी रेड्डी देवता को प्रसन्न करने निकल पड़ें हैं। रेड्डी देवता को प्रसन्न करने के लिए वे उसी पार्टी की सरकार के खिलाफ धरना देने चले गये, जिस पार्टी की सरकार में वो उत्तराखंड में मंत्री, जब रेड्डी देवता को प्रसन्न करना हो सरकार क्या चीज है, खुद निर्णय लेकर अपने ही खिलाफ भी धरने पर बैठा जा सकता है। गरीबी दूर करने का सवाल जो है ! फिर रेड्डी देवता जैसा दयानिधान देवता और कहाँ मिलेगा। मंत्री भाई, रेड्डी देवता की कृपा का प्रसाद पा सकें, इस हेतु मंत्री भाई के धरने में जनता की भीड़ का बंदोबस्त भी रेड्डी देवता ने खुद कर दिया, जनता के दिल्ली जानेके लिए बसों का इंतजाम भी रेड्डी देवता का और लाखों रुपये के अखबारी विज्ञापन भी रेड्डी देवता ने ही दिए। मंत्री भाई को तो बस जंतर-मंतर पर रेड्डी देवता की भेजी जनता के सामने बैठना भर है, फोटो खिंचवानी है और रेड्डी देवता के कृपा उन पर ओवरफ्लो होकर बहेगी और रेड्डी देवता की ऐसी कृपा रही तो अगले चुनाव में मंत्री भाई को अपने अमूल्य आंसू, तुच्छ जनता के वोटों के लिए बर्बाद नहीं करने पड़ेंगे। रेड्डी देवता की कृपा मंत्री भाई पर बनी रहे !  रेड्डी भक्ति जिंदाबाद, रेड्डी पटाओ,गरीबी हटाओ !

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