सोमवार, 20 अगस्त 2012

गीत मानवीय संवेदनाओं को सहजता से अभिव्यक्त करते हैं - राज्यपाल

गीत मानवीय संवेदनाओं को सहजता से अभिव्यक्त करते हैं - राज्यपाल

(नन्‍द किशोर) 

भोपाल (साई)। राज्यपाल श्री रामनरेश यादव ने कहा कि गीत मानवीय संवेदनाओं को बहुत सरलता और सहजता से अभिव्यक्त तथा सम्प्रेषित करते हैं। राज्यपाल आज यहाँ भारत भवन में चौथे ‘राष्ट्रीय गीत उत्सव’ का शुभारंभ कर रहे थे। राज्यपाल श्री यादव ने कहा कि भारतीय समाज में जीवन के प्रत्येक पड़ाव पर गीत गाने की समृद्ध परम्परा है। उन्होंने कहा कि सृष्टि के प्रारंभ से ही ‘नाद’ के रूप में गीत अस्तित्व में रहा है। हमारे वेद-पुराण, शास्त्र और उपनिषद के आख्यान गीत के फार्मेट में ही हैं। राज्यपाल ने कहा कि ऋचाएँ, श्लोक और मंत्र आदि गाये जाते हैं। यही गेयता गीत की पहचान है। ‘गीत उत्सव’ का आयोजन छन्द और गीत विधा पर केन्द्रित ‘साहित्य सागर’ के 11वें वर्ष में प्रवेश के अवसर पर किया गया था।
कार्यक्रम में राज्यपाल श्री रामनरेश यादव ने भोपाल की गीतकार श्रीमती मघु शुक्ला को ‘नटवर गीत सम्मान’ से अलंकृत किया। उन्होंने श्रीमती शुक्ला को शाल-श्रीफल, प्रशस्ति-पत्र और 11 हजार रुपये की राशि भेंट की। यह सम्मान पत्रिका के पितृ-पुरुष श्री राधिका प्रसाद वर्मा ‘नटवर’ की स्मृति में पिछले 4 वर्ष से दिया जा रहा है। राज्यपाल श्री यादव ने लम्बी साहित्य-साधना के लिये वयोवृद्ध साहित्यकार श्री रामगोपाल चतुर्वेदी ‘निश्छल’, पं. गंगाराम शास्त्री, श्री यतीन्द्रनाथ यादव ‘राही’, श्री देवीसरन और श्री नवल जायसवाल को ‘सुदीर्घ सेवा सम्मान’ से सम्मानित किया। उन्होंने जनसंपर्क विभाग के संयुक्त संचालक और साहित्यकार श्री सुरेन्द्र भारद्वाज को जीवन के 60वें वर्ष में प्रवेश करने पर ‘हीरक सम्मान’ से विभूषित किया।
इस अवसर पर राज्यपाल श्री रामनरेश यादव ने साहित्य सागर पत्रिका के गीत विशेषांक और गीत अष्टक संग्रह-2 का लोकार्पण भी किया। राज्यपाल श्री यादव ने सम्पादक श्री कमलकांत सक्सेना द्वारा हिन्दी साहित्य की सेवा के सफल प्रयासों की सराहना भी की।
रायबरेली, उत्तर प्रदेश के डॉ. ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि दुनिया के सभी देशों की अलग-अलग संस्कृतियों को मिलाकर एक विश्व संस्कृति बनाये जाने की आवश्यकता है। कार्यक्रम के अध्यक्ष कवि श्री चन्द्रसेन विराट ने कहा कि गीत लिखा नहीं, रचा जाता है। इसलिये गीत हमेशा हमारे दिलों में उपस्थित रहता है। शारजाह से आयीं ‘अभिव्यक्ति’ की सम्पादक श्रीमती पूर्णिमा वर्मा ने गीत विधा के विकास और विस्तार पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम का शुभारंभ रामप्रकाश अनुरागी की सरस्वती वंदना से हुआ। स्वागत भाषण सम्पादक श्री कमलकांत सक्सेना ने दिया। कार्यक्रम का संचालन पुणे से आये गजलकार श्री भवेश ‘दिलशाद’ ने किया। श्री अशोक दुबे ‘अशोक’ ने आभार प्रदर्शन किया।

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