गुरुवार, 23 अगस्त 2012

भाजपा नेता ने लिख दी भगवद्गीता


भाजपा नेता ने लिख दी भगवद्गीता

(विस्फोट डॉट काम)

नई दिल्ली (साई)। एक भगवदगीता द्वापर में पैदा हुई थी भगवान कृष्ण के श्रीमुख से, एक गीता कलियुग में लिखी गई है, एक भाजपा नेता की कलम से। वैसे तो ये भाजपा नेता राष्ट्रवादी चिंतक और विचारक भी हैं फिर भी उन्होंने भगवतगीता कैसे लिख दी, समझ में नहीं आता लेकिन उनकी ओर से जो पीआर (प्रेस रिलीज) आई है उसमें बताया गया है नेताजी ने भगवद्गीता लिखी है जिसका 23 अगस्त को लखनऊ में लोकार्पण होगा।
श्रीमद्भगवतगीता पर भाष्य बहुतेरे लिखे गये। कमोबेश इस देश के हर युग चिंतक ने कभी न कभी गीता का कुछ न कुछ भाष्य किया ही है। क्या महात्मा गांधी और क्या विनोबा भावे, क्या आचार्य प्रभुपाद और क्या बाल गंगाधर तिलक। श्रीमद्भगवतगीता जिसको जैसी समझ में आई उसने वैसा भाष्य किया है। महात्मा गांधी की गीता माता हो या फिर बाल गंगाधर तिलक की श्रीमद्भगवतगीता रहस्य। कुछ ने लिखा नहीं है जो गीता पर उनका बोला हुआ भाष्य प्रकाशित होता रहा है। लेकिन यह पहला ऐसा मौका है जब माननीय नेताजी सीधे श्रीमद्भवगतगीता ही लिख रहे हैं।
इनका नाम है हृदयनारायण दीक्षित। भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं और उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य होने के साथ ही प्रदेश के प्रवक्ता भी हैं। देश के कुछ बड़े अखबारों में कॉलम लिखते हैं और भारतीय जनता पार्टी तथा आरएसएस के बीच राष्ट्रवादी चिंतक के रूप में पहचाने जाते हैं। धारा विशेष के चिंतक वे हैं भी और साहित्य सृजन करते रहे हैं। लेकिन उनकी ओर से जो प्रेस रिलीज भेजी गई है उसमें साफ तौर पर लिखा है ष्मेरी पुस्तक भगवद्गीताका विमोचन कल दिनांक 23 अगस्त 2012 दिन गुरूवार को सांय 430 बजे हिन्दी संस्थान के प्रेमचन्द्र सभागार में होगा। ष् साफ है, उन्होंने जो पुस्तक लिखी है उसका नाम भगवदगीता ही है। उन्होंने भाष्य किया है या नई गीता ही लिख दी है यह तो लोकार्पण के बाद पता चलेगा लेकिन अगर यह भाष्य है तो भी इसे सीधे सीधे भगवदगीता नहीं कहा जा सकता, अगर भाष्य नहीं है तो कहानी और जटिल बन जाएगी।
वैसे तो भगवदगीता पर कृष्ण ने आज तक कापीराइट का दावा तो किया नहीं है इसलिए जो चाहे उस टाइटिल का इस्तेमाल कर सकता है। लेकिन हृदयनारायण दीक्षित जैसे राष्ट्रवादी विचारकों को शायद मेरी पुस्तक भगवद्गीता जैसे शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए। लेकिन यहां तो उन्होंने पुस्तक का नाम ही भगवदगीता रख दिया है।

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