गुरुवार, 23 अगस्त 2012

नक्सल प्रभावित इलाके में चलता फिरता चिकित्सालय


नक्सल प्रभावित इलाके में चलता फिरता चिकित्सालय

(आंचल झा)

रायपुर (साई)। नक्सल प्रभावित जिलों के ग्रामीण इलाकों में 25 अगस्त से चलता-फिरता अस्पताल अस्तित्व में आएगा। यह एक विशेष तरह की एंबुलेंस में संचालित होगा। चलता फिरता अस्पताल सुबह से शाम तक पहुंचविहीन इलाकों के हाट बाजार या इसी तरह की भीड़भाड़ वाले इलाके में बीमारों का इलाज करेगा।
स्वास्थ्य संचालनालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने यह पूरी योजना तैयार की है। एंबुलेंस में चलने वाले अस्पताल में उपचार करने के लिए एक डॉक्टर रहेगा। उसके अलावा एक पैरामेडिकल स्टाफ और जरूरी जांच करने के लिए पैथोलॉजिस्ट भी रहेगा। एंबुलेंस के भीतर छोटी सी लैब रहेगी, जिसमें सामान्य बीमारियों की जांच तत्काल की जा सकेगी। एक हिस्से में छोटा सा दवा भंडार होगा। उसमें सामान्य सर्दी-जुकाम और बुखार की दवाएं रहेंगी।
मरीजों का इलाज और दवाएं बिलकुल मुफ्त दी जाएगी। इलाज के दौरान गंभीर मरीज आने पर उन्हें वहीं रोका जाएगा और उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाने की व्यवस्था की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के संचालक डॉ। कमलप्रीत सिंह ने बताया पहुंचविहीन इलाकों तक स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने के लिए यह व्यवस्था शुरू की जा रही है। उन्होंने संकेत दिए हैं कि 25 अगस्त तक सभी 21 जिलों में यह सुविधा शुरू कर दी जाएगी। पहले चरण में शुरुआत करने के लिए 4 एंबुलेंस आ चुकी है।
अगले माह के अंत बाकी 25 एंबुलेंस भी स्वास्थ्य विभाग को मिल जाएंगी। स्वास्थ्य विभाग ने डाक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी को ध्यान में रखते हुए पूरा सिस्टम प्राइवेट के माध्यम से संचालित करने का निर्णय लिया है। इसके लिए ठेका सौंपा जा चुका है। प्रत्येक एंबुलेंस पर महीने भर में एक लाख 56 हजार खर्च किए जाएंगे। स्वास्थ्य विभाग केवल शासकीय सप्लाई होने वाली दवाएं ही उपलब्ध कराएगा। बाकी डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ सहित एंबुलेंस की व्यवस्था निजी कंपनी ही करेगी।
इस योजना को पूरी प्लानिंग के साथ शुरू किया जा रहा है। प्रत्येक नक्सल प्रभावित जिले के एक-एक गांव का ब्यौरा कलेक्ट किया गया है कि कहां-कहां और कब-कब हाटबाजार लगते हैं। उसकी सूची और टाइम टेबल ठेका लेने वाली कंपनी को सौंपी गई है। कंपनी को हाट बाजार के टाइम टेबल के आधार पर काम करना होगा। प्रत्येक गाड़ी में जीपीएस सिस्टम लगा रहेगा। इससे यह मानीटरिंग की जा सकेगी कि कंपनी का चलता-फिरता अस्पताल टाइम टेबल के अनुसार सेवाएं दे रहा है या नहीं।

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