सोमवार, 6 अगस्त 2012

बारिश के बीच नदियों ने शुरु किया कहर ढाना


बारिश के बीच नदियों ने शुरु किया कहर ढाना

(सीमा श्रीवास्तव)

लखनऊ (साई)। उत्तर प्रदेश में मानसूनी बारिश के कारण तटीय तथा तराई इलाकों में नदियों ने कहर ढाना शुरु कर दिया है। प्रदेश के प्रभावित इलाकों में सैकडों गांव तथा मजरे बाढ के पानी से घिर गये हैं। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार गंगा, रामगंगा, घाघरा, सरयू, शारदा, राप्ती, बूढी राप्ती तथा क्वानो नदियां रौद्र रुप अख्तियार करती जा रही हैं। बाढ तथा कटान के कारण प्रभावित क्षेत्रों से लोगों का पलायन शुरु हो गया है।
घाघरा का जलस्तर एल्गिनब्रिज (बाराबंकी) तथा अयोध्या में लगातार खतरे के निशान से उपर बना हुआ है, जबकि तुर्तीपार (बलिया) में भी वह लाल निशान के नजदीक पहुंच चुका है। शारदा नदी का जलस्तर पलियाकलां (लखीमपुर खीरी) में खतरे के चिह्न से उपर बरकरार है, वहीं बूढी राप्ती भी ककरही (सिद्धार्थनगर) में लाल निशान को पार कर चुकी है। राप्ती नदी काकरधारी (बहराइच), भिनगा (श्रवस्ती) तथा बलरामपुर में जबकि क्वानो चंद्रदीपघाट (गोंडा) में खतरे के निशान के नजदीक पहुंच गयी है।
इस बीच, गोंडा से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार जिले में घाघरा तथा सरयू नदियां लाल निशान पार कर गयी हैं। घाघरा की बाढ के कारण बहुवनमदार मांझा तथा कमियार ग्राम पंचायतों के 300 से ज्यादा मजरे पानी से घिर गये हैं। प्रभावित लोगों का सुरक्षित स्थानों पर पलायन शुरु हो गया है। मांझा रायपुर तथा परसावल गांव के पास एल्गिन-चरसडी बांध में कटान तेज हो गयी है। कमियार ग्राम पंचायत में करीब 22 ग्राम पंचायतों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है जबकि बहुवनमदार मांझा में करीब 400 मकानों में बाढ का पानी घुस गया है।

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