शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

सांसद बताएं कैसे बनेगा खाना


सांसद बताएं कैसे बनेगा खाना

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। सरकार ने प्रति लीटर डीजल की कीमत पांच रूपये बढा दी है। हालांकि पेट्रोल और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत मिटटी के तेल की कीमत में कोई बढोतरी नहीं की गई है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति की बैठक में यह फैसला किया गया। इसमें यह भी तय किया गया कि प्रत्येक उपभोक्ता को साल में छह सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर दिये जायेंगे। नई दरें कल आधी रात से लागू हो गई हैं। दिल्ली में प्रति लीटर डीजल की कीमत अब ४७ रूपये हो गई है।
कांग्रेस ने कहा है कि सरकार ने डीजल की कीमत बढ़ाने का फैसला अनिच्छा से किया है। पार्टी प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा कि डीजल तथा अन्य पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजारों पर निर्भर करती है जहां ये कीमतें बढ़ ंरही हैं। उन्होंने कहा कि हम ७० फीसदी से भी ज्यादा कच्चा तेल आयात करते हैं। कच्चे तेल की कीमत पूरी तरह से अंतर्राष्ट्रीय बाजार पर निर्भर करती है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ रही है। यही कारण है कि सरकार को मजबूरी में डीजल की कीमत बढ़ानी पड़ी।
तृणमूल कांग्रेस ने डीजल की कीमत में बढ़ोतरी पर नाराजगी जाहिर की है। समाजवादी पार्टी ने डीजल की कीमत में बढ़ोतरी तुरंत वापस लेने की मांग की है। उधर, भारतीय जनता पार्टी ने डीजल की कीमत में बढ़ोतरी को क्रूर मजाक बताते हुए इसे आम आदमी और किसानों पर हमला बताया है। पार्टी नेता अनंत कुमार ने कहा है कि इसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि डीजल का दाम और ५ रूपये से केंद्र के कांग्रेस, यूपीए सरकार ने बढ़ाई हैं। इसका घोर विरोद्ध और निंदा करना चाहेंगे। जो पूरा देश में कोयला घोटाले का आग लगी हुई है उसमें केंद्र सरकार ने डीजल डाल दिया है। इसका कड़ी निंदा हम करते हैं।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और एआईएडीएमके ने भी डीजल की कीमत में बढ़ोतरी की आलोचना की है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अतुल अंजान ने कहा है कि डीजल की कीमत बढ़ने से कई अन्य चीजों की कीमत भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार मंहगाई कम करने का दावा कर रही है लेकिन अब डीजल के दाम बढ़ जाने से मंहगाई विकराल हो जायेगी। सब्जियों के दाम, दूध के दाम, बसों के किराये में वृद्धि ये सब एक तरीके से गरीब आदमी को जिस देश के अंदर ७७ फीसदी लोग रोज की आमदनी २० रूपये से कम हो तबाही के रास्ते पर पंहुच जायेगी।
देश भर से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से इसकी तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। देश भर में लोगों का कहना है कि चार से छः लोगों के परिवार में आखिर छः सिलेण्डर में कैसे गुजारा हो पाएगा। कम खर्च के बाद भी हर घर में कम से कम एक गैस का सिलेण्डर की खपत हो ही जाती है। इन परिस्थितियों में टाटा बिड़ला से लेकर एक गरीब रिक्शेवाले को भी साल में कम से कम छः सिलेण्डर सात सौ रूपयों की दरों से खरीदना मजबूरी ही होगा।

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