शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

अमर की जमानत पर भाजपा में जाएंगी जया


अमर की जमानत पर भाजपा में जाएंगी जया

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। गुजरे जमाने की सिने अभिनेत्री जया प्रदा पर भाजपा का दिल आ गया है। जया प्रदा अनेक साथियों सहित भारतीय जनता पार्टी की सदस्य बन सकती हैं। भाजपा तो जया प्रदा के लिए पलक पांवड़े बिछाए बैठी है, पर जया प्रदा हैं कि अपने पुराने साथी अमर सिंह के बिना भाजपा की देहरी पर जाने को राजी नहीं हैं। उधर देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी पर भी भाजपा डोरे डाल रही है।
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष नितिन गड़करी ने अब मिशन 2014 का रोड मेप बनाना आरंभ कर दिया है। इसके प्रथम चरण में गड़करी द्वारा भाजपा को नुकसान पहुंचाने वाले भाजपा से टूटकर गए क्षत्रपों की घरवापसी कर उनके धारदार हथियारों को बोथरा कर दिया है। उमा भारती इसका साक्षात उदहारण हैं जो भाजपा में वापस आने के बाद से ही खामोशी का चोला ओढ़े हुए हैं।
इसके अलावा गड़करी अब अन्य दलों के उपेक्षित नेताओं को भी टटोल रहे हैं। भाजपा में दूसरी पारी पाने वाले गड़करी ने अपने पितृ संगठन की हिदायतों को ध्यान में रखकर अब अपनी टीम और क्षेत्रीय राजनीति में संभावनाओं को जमकर टटोला जा रहा है। गड़करी के करीबी सूत्रों का कहना है कि भाजपा की नजरें अब मुलायम सिंह यादव से टूटकर अलग हुए और कांग्रेस के द्वारा बुरी तरह दुत्कारे अमर सिंह पर हैं।
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि भाजपा चाह रही है कि गुजरे जमाने की सिने अभिनेत्री जया प्रदा को भाजपा में शामिल करवाकर उन्हें यूपी के रामनगर से ही मैदान में उतारा जाए ताकि रामनगर के आसपास के क्षेत्रों में भाजपा उनकी छवि को भुना सके। उधर, जया के करीबी सूत्रों ने दावा किया है कि जया प्रदा किसी भी कीमत पर अमर सिंह को छोड़कर जाने को तैयार नहीं हैं।
गौरतलब है कि मुलायम सिंह यादव को भ्रात प्रेम या अमर प्रेम में से किसी एक को चुनना था, अंतः में घुटना पेट की ओर ही मुड़ा और अमर सिंह को बेआबरू होकर सपा के कूचे से बाहर निकलना पड़ा। इसके बाद अमर सिंह ने सूबाई राजनीति में अपनी प्रथक पार्टी बनाई पर कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पाए।
वहीं दूसरी ओर सोनिया गांधी पर व्यक्तिगत आरोप लगाने के चलते कांग्रेस ने भी अमर सिंह से पर्याप्त दूरी बना ही ली है। सोनिया के करीबी सूत्रों का कहना है कि अमर सिंह ने सोनिया के खिलाफ इसलिए मुंह खोला था, क्योंकि अहमद पटेल के प्रयासों के चलते अमर सिंह कांग्रेस में प्रवेश नहीं पा सके थे।
जब कांग्रेस से अमर सिंह की दूरी बन गई तब चतुर सुजान अमर सिंह ने गड़करी को साधा। गड़करी और अमर सिंह की अदृश्य जुगलबंदी भी यूपी में चमत्कार नहीं कर सकी। उत्तर प्रदेश में अमर सिंह को नहीं पचाने वाली इकलौती नेता हैं उमा भारती। उमा भारती के वीटो वाले विरोध के चलते अमर सिंह का भाजपा प्रवेश रूका हुआ बताया जाता है।
सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश चुनावों में औंधे मुंह गिरने के बाद अपनी ताजपोशी तक गड़करी ने अमर सिंह को खामोश रहने को कहा। कहा जा रहा है कि अब जबकि गड़करी की दूसरी पारी पर मुहर लग गई है तब किसी भी समय गड़करी अमर सिंह और जयाप्रदा को भाजपा में प्रवेश दे सकते हैं। इसके लिए शर्त रखी गई है कि अमर सिंह अपनी पार्टी का भाजपा में विलय करें।
गड़करी के करीबी सूत्रों का कहना है कि अमर सिंह और जयाप्रदा के भाजपा में प्रवेश पर मुख्तार अब्बस नकवी का भारी विरोध सामने आ रहा है। एक तरफ तो गड़करी ने अमर सिंह को आश्वासन दिया है कि जया प्रदा को अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा की टिकिट पर रामपुर से ही चुनाव लड़वाया जाएगा, वहीं दूसरी ओर गड़करी अब नकवी को मनाने में जुट गए हैं।
इसके साथ ही साथ गड़करी के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान यह भी संकेत दिए कि समाजसेवी अन्ना हजारे की सिपहसालार रहीं पूर्व आईपीएस किरण बेदी भी जल्दी ही भगवा रंग में रंगने जा रही हैं। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा उन्हें दक्षिण दिल्ली से मैदान में उतार सकती है। सूत्रों के अनुसार सब कुछ योजना के अनुसार चला तो भाजपा की इसी माह होने जा रही राष्ट्रीय कार्यकारिणी व परिषद की बैठक से पहले इन दोनों महिला नेताओं को लेकर पार्टी ऐलान कर सकती है। किरण बेदी भले ही इन बातों को अफवाह करार दे रही हों, किन्तु अंदरखाने से छन छन कर बाहर आने वाली खबरों पर अगर यकीन करें तो किरण बेदी को कहा गया है कि अगर भाजपा की सरकार दिल्ली में बनी तो वे ही अगली मुख्यमंत्री होंगीं।
जयाप्रदा को भाजपा में शामिल होने के लिए बहुत पहले ही हरी झंडी दिखाई जा चुकी है। सूत्रों का कहना है कि वह अपने साथ सपा से बाहर हो चुके नेताओं के लिए भी भाजपा के दरवाजे खुलवाने की कोशिश में लगी हैं। इनमें अमर सिंह के अलावा उत्तर प्रदेश के और भी कई नेता शामिल हैं। हालांकि भाजपा नेतृत्व ने उन्हें दो टूक कह दिया है कि वह चाहें तो खुद भाजपा में शामिल हो सकती हैं, लेकिन अमर सिंह समेत बाकी नेताओं को भगवा पार्टी में शामिल नहीं किया जाएगा।

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