शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

चला मुलायम पीएम बनने


चला मुलायम पीएम बनने

(विस्फोट डॉट काम)

नई दिल्ली (साई)। 2014 के आम चुनावों में अभी कुछ वक्त है, लेकिन सभी पार्टियों ने अभी से अपनी राजनीतिक बिसात बिछानी शुरू कर दी है। मुलायम सिंह यादव भी उन्हीं लोगों में शामिल हैं। कोलकत्ता में अपने तीन दिन के सम्मेलन में उन्होंने इस बात के संकेत दिए हैं कि जरूरी नहीं है कि चुनाव 2014 में ही हो। चुनाव उससे पहले भी हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है कि उनकी पार्टी बड़े दल के रूप में ऊभरकर सामने आएगी। वे प्रधानमंत्री की दौड़ में शामिल हैं या नहीं इस सवाल का जवाब उन्होंने एक राजनीतिज्ञ की ही तरह दिया। उन्होंने कहा कि वे प्रधानमंत्री की दौड़ में शामिल नहीं है, लेकिन मैं कोई साधु भी नहीं हूं।
इसका सीधा मतलब है कि उन्होंने इशारों ही इशारों में यह बात कह दी की भले ही वे प्रधानमंत्री की रेस में न हो लेकिन अगर समीकरण ऐसे बनते हैं या कोई उनसे कहे तो वे प्रधानमंत्री का पद संभालने को तैयार है।
उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी का प्रदर्शन देखकर उन्होंने सीधे ही कहा कि वे अकेले चुनाव लड़ेंगे। जहां तक तीसरे मोर्चे की बात है उसका फैसला चुनावों के बाद लिया जाएगा। कल ही मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि अगले आम चुनावों में समाजवादी पार्टी के बगैर कोई भी सरकार नहीं बना सकता। जहां तक तीसरे मोर्चे की बात है पिछले चुनावों में उन्होंने लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर तीसरा मोर्चा चुनावों के पहले ही बनाया था। जिसके सफल होने पर मुलायम के प्रधानमंत्री बनने की बात कही जा रही था। उनके मोर्चे की हालत ऐसी हुई की उनको किसी ने मान ही नहीं दिया। लगता है मुलायम सिंह यादव इसी वजह से चुनावों के बाद तीसरे मोर्चे के समीकरण पर विचार करने की बात कर रहे हैं।
मुलायम ने पश्चिम बंगाल की राजनीति पर बोलने से परहेज करते हुए कहा कि हम सभी पार्टियों से अच्छे रिश्ते बना कर चल रहे हैं। उन्होंने ममता बनर्जी से हुई अपनी बातचीत के बारे में कहा कि हमारी बातचीत काफी अच्छी रही। इस दोनों ही दलों ने अपने राज्यों के विधानसभा चुनावों में काफी अच्छा किया है। इस बात से भी सभी अवगत है कि भले ही ममता बनर्जी कांग्रेस के साथ हो लेकिन ममता और कांग्रेस का हर दूसरे मुद्दे पर छत्तीस का आंकड़ा रहा है। इसके साथ ही इन राष्ट्रपति चुनावों में भी दोनों की नजदीकियां सभी को देखने को मिली थी। इसके बाद अगर यह दोनों ही दल एक साथ आते हैं तो चुनावी समीकरण बदलने में ज्यादा देर नहीं लगेगी। आडवाणी ने भी अपने ब्लाग में कहा था कि अगले आम चुनावों में प्रधानमंत्री गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई होगा। भले ही उनका इशारा मुलायम की ओर न हो, लेकिन इससे मुलायम सिंह यादव की थोड़ी राहत जरूरत मिल सकती है।
कांग्रेस को समर्थन देने पर मुलायम कड़े दिखे। उन्होंने सीथे कहा की वे संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन को समर्थन नहीं करेंगे। उनकी पार्टी सांप्रदायिकता के खिलाफ है। कांग्रेस को कभी भी सांप्रदायिकता के खिलाफ उनके समर्थन की जरूरत पड़ेगी। वे समर्थन देने के लिए तैयार है। उन्होंने महंगाई के लिए कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र सरकार महंगाई रोकने में अक्षम है। महंगाई को रोकने के लिए सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है। उन्होंने कहा कि जिस तरह के राजनीतिक हालात इस समय चल रहे हैं उससे 2014 से पहले ही आम चुनाव होने की संभावना दिख रही है।
यह सभी जानते हैं कि अगर 2014 से पहले चुनाव हुए तो निश्चित ही फायदा किसी को भी हो सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को ही होगा। जिस तरह भ्रष्टाचार और महंगाई के मुद्दे पर सरकार इस समय घिरी है। उससे अगर अगले कुछ महीनों में चुनाव होते हैं तो कांग्रेस को नुकसान होना तय है। भाजपा भी यही चाहती है कि 2014 से पहले चुनाव हो। जिससे जनता जिसको भूलने की आदत है उसे कांग्रेस के भ्रष्टाचार और नाकामी को भूलने का समय न मिले और कांग्रेस सत्ता से बाहर हो जाए। बहरहाल सभी ने धीरे-धीरे अपनी बिसात बिछानी शुरू कर दी है। कांग्रेस इन सभी मसलों पर चुप है। देखनेवाली बात होगी की कांग्रेस इस बार जनता को क्या जड़ी-बूटी सुंघाती है, जिससे वे अपनी इज्जत बचा सके।

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