सोमवार, 10 सितंबर 2012

महिला निजाम के राज में महिलाएं पस्त


महिला निजाम के राज में महिलाएं पस्त

(महेंद्र देशमुख)

नई दिल्ली (साई)। देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली की निजाम श्रीमति शीला दीक्षित के राज में भी महिलाओं की बुरी स्थिति देखी जा रही है। महिलाओं की सुरक्षा के मामलों में दिल्ली पुलिस पूरी तरह से पस्त दिखायी दे रही है। पुलिस की लाख कोशिशों के बावजूद महिलाओं के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों में कोई कमी नही आ रही है। अब अपनों से भी महिलाओं को ज्यादा खतरा होने लगा है।
महिलाओं के लिए लड़ाई लड़ने वाले एक सामाजिक संगठन की रिपोर्ट की मानें तो देश में हर घंटे करीब 18 महिलाएं किसी न किसी तरह के यौन अपराधों की शिकार होती हैं। महिलाओं के लिए काम करने वाली सेंटर फॉर सोशल रिसर्च नामक एक सामाजिक संस्था ने हाल ही में महिलाओं के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों पर एक अध्ययन कराया है। इस अध्ययन में दिल्ली के दक्षिण और पश्चिम जिलों को शामिल किया गया था। इस अध्ययन के नतीजे चौंकाने वाले हैं।
संस्था की निदेशक और जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता डॉ रंजना कुमारी के मुताबिक पूरे देश में हर घंटे 18 महिलाओं के साथ यौन अपराध होने के मामले सामने आ रहे हैं। 0 से 10 साल तक की लड़कियों के साथ यौन अपराध के 13 मामले सामने आये हैं। यौन अपराध के 18 मामले स्कूल और कॉलेज की लड़कियों के साथ देखने को मिले।
यौन अपराध में शामिल रहे आरोपियों की उम्र 18 से 50 साल के बीच थी। 22 मामलों में अभियुक्त पीड़िता के पड़ोसी थे। पांच मामलों में रिश्तेदार थे। 10 मामलों में अभियुक्त पीड़िता के दोस्त निकले। कई मामलों में पिता, पति, भाई शिक्षक, प्रेमी ने इस घिनौने कार्य को अंजाम दिया। दक्षिणी जिले में बलात्कार के 21 मामलों की रिपोर्ट दर्ज की गयी। इनमें 9 मामले पीड़िता के घर में, 3 कार के अंदर, बाकी अन्य स्थानों पर हुए। 58 मामलों में से 27 में पीड़िता ने घटना वाले दिन ही पुलिस में शिकायत दर्ज करायी। 18 ने एक दिन के बाद और 12 मामलों में पीड़िता कई दिनों के बाद पुलिस तक पहुंची। 58 में से 35 मामलों में खुद पीड़िता ने शिकायत दर्ज करायी है। 20 मामलों में पीड़िता के अभिभावकों की ओर से शिकायत दर्ज हुई।
रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में रहने वाली लड़कियों और महिलाओं के साथ दिन के उजाले में भी बड़ी संख्या में यौन अपराध के मामले सामने आये हैं। सुबह 6 से 12 के दौरान सात मामले घटित हुए। 17 मामले दोपहर 12 बजे से शाम 6 बजे के बीच, जबकि 14 के साथ 6 बजे से रात 12 बजे के बीच मामले हुए हैं। इस रिसर्च ने सभ्य और सुरक्षा के बीच रहने वाले समाज और सरकार की पोल खोल कर रख दी है।
वहीं दूसरी ओर, देश के गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे महिलाओं और बच्चों के प्रति बढ़ रहे अपराधों से खासे चिंतित हैं। वह चाहते हैं इन अपराधों पर लगाम कसने के लिए फौरन सख्त कदम उठाए जाएं। इसके अलावा वह पुलिस में महिलाओं की संख्या बढ़ाए जाने के भी पक्ष में हैं।
विभिन्न राज्यों के पुलिस महानिदेशकों के सम्मेलन में शिंदे ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराधों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे अपराधों को रोकने की खातिर हमें गुनहगारों के लिए ऐसी सख्त सजा की व्यवस्था करनी होगी जिससे दूसरे सबक लें और ऐसा करने के बारे में सोचें भी नहीं। हर साल बड़ी तादाद में गायब हो रहे बच्चों को लेकर भी गृहमंत्री ने चिंता जताई।
उन्होंने कहा कि सिर्फ 2011 में ही 60 हजार बच्चे गायब हुए। इस पर हर स्तर से ध्यान दिए जाने की जरूरत है। शिंदे ने बताया कि राष्ट्रीय सूचना केंद्र (एनआईसी) ने लापता बच्चों का पता लगाने के लिए एक पोर्टल बिल विकसित किया है। पुलिस बलों में महिलाओं की संख्या को लेकर भी उन्होंने अपनी बात रखी। शिंदे ने कहा कि 1 जनवरी 2012 तक कार्यरत महिला पुलिसकर्मियों की संख्या सिर्फ 83829 थी। इसे बढ़ाए जाने की जरूरत है।
वैसे एक डरावनी हकीकत है कि दुनिया में हर 40 सेकंड में एक शख्स खुदकुशी कर लेता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकडों के मुताबिक, दुनिया भर में हर साल तकरीबन 10 लाख लोगों की जान खुदकुशी की वजह से जाती है। हर साल 10 सितंबर को आयोजित किए जाने वाले विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवसके लिए जारी अपने संदेश में वॉशिंगटन स्थित अंतरराष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम संघ (आईएएसपी) के अध्यक्ष लैनी बर्मन बताते हैं, ‘‘विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकडों के मुताबिक, दुनिया भर में हर साल तकरीबन 10 लाख लोगों की जान खुदकुशी की वजह से जाती है।’’

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