गुरुवार, 12 जनवरी 2012

राजीव शुक्ला का बढ़ रहा है कद


बजट तक शायद चलें मनमोहन. . . 72

राजीव शुक्ला का बढ़ रहा है कद

पवन बंसल की नौकरी खतरे में



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। वजीरे आजम डॉक्टर मनमोहन सिंह के लिए खतरे का सबब बना लोकपाल पर संवैधानिक संशोधन विधेयक ने संसदीय कार्यमंत्री पवन बंसल पर नजला बनकर टूट सकता है। वहीं दूसरी ओर इसका सीधा सीधा लाभ राजीव शुक्ला को मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। आने वाले समय में पवन बंसल की नौकरी भी खतरे में ही बताई जा रही है। बंसल पर आरोप लगने आरंभ हो गए हैं कि उनका फ्लोर मैनेजमेंट इतना खराब था कि वे अन्य पार्टियां तो छोड़िए खुद संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के सांसदों का समर्थन भी नहीं जुटा पाए।
गौरतलब है कि अजीत सिंह के कांग्रेस को समर्थन देने के बाद अब संप्रग में सांसदों की तादाद 277 हो गई है। इस विधेयक को पारित करवाने के लिए दो तिहाई अर्थात 272 सांसदों की जरूरत थी। सदन में पवन बंसल महज 247 सांसदों को ही जुटा पाए। समाज वादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी के वाक आउट का फायदा केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने बखूबी उठाया।
कांग्रेस के अंदरखाने में चल रही चर्चाओं में लोग इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल के एक वाक्ये से जरूर जोड़ रहे हैं। लोगों का कहना है कि जिस तरह 1989 में बोफोर्स कांड में एकजुट विपक्ष ने जमकर हंगामा काटा था, उस वक्त राजीव गांधी का पंचायती राज विधेयक के संवैधानिक संशोधन का मसला औंधे मुंह गिर गया था।
इसके बाद दबाव में आकर राजीव गांधी को मजबूरी में संसद को भंग किया। इसके बाद चुनाव में कांग्रेस को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था। वर्तमान में भी आसार वही दिखाई दे रहे हैं जिससे कांग्रेस के आला नेता सदमे में हैं। कांग्रेसियों को डर है कि घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार में आकण्ठ डूबी कांग्रेसनीत केद्र सरकार का हश्र भी कहीं पहले की ही तरह न हो जाए।

(क्रमशः जारी)

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