मंगलवार, 24 जुलाई 2012

नेशनल जियोग्राफिक में छा गया पचमढ़ी

नेशनल जियोग्राफिक में छा गया पचमढ़ी

(सोनल सूर्यवंशी)

भोपाल (साई)। विश्व प्रसिद्ध पत्रिका ‘‘नेशनल जियोग्रफिक’’ के जुलाई विशेषांक ट्रेवलर इंडिया में भारत के चुनिंदा पर्यटन-स्थलों में मध्यप्रदेश में सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी को खास स्थान दिया गया है।
यूनेस्को द्वारा पचमढ़ी को जैव संरक्षित क्षेत्र घोषित करने का उल्लेख करते हुए पत्रिका में कहा गया है कि कभी गोंड राजाओं के राज्य का हिस्सा रही पचमढ़ी मध्यप्रदेश का अनूठा पर्वतीय स्थान है। कोई बिरला ही होगा जो पचमढ़ी के प्रागैतिहासिक शैल चित्रों, किलकिलाते झरनों, तालों से प्रभावित न हो। इसके घने जंगल और घाटियों के बीच महुआ की महक, दुर्गम यात्रा करने वाले शौकीनों और कवियों को एक जैसा लुभाने वाली है। गृहासक्त (होमसिक) अँग्रेजों ने इसके प्राकृतिक दृश्यों को अपने मनपसंद रूप में ढाला था। यहाँ के चर्च, खेल क्लब और गोल्फ का मैदान इंग्लैण्ड जैसे ही बनाए गए थे।
पत्रिका में पांडव गुफाओं, धुँआधार, जटाशंकर, जम्बूद्वीप, हांडीखोह जैसे पचमढ़ी के दर्शनीय स्थानों के साथ अँग्रेजों के जमाने के बने दो सुंदर चर्च का भी उल्लेख किया गया है। पत्रिका ने कुछ स्थानों के परिवर्तित नामों का भी जिक्र किया है जैसे सांडर्स पूल का नाम सुंदर कुंड और फुलर खंड का नाम अब संगम विहार हो गया है। इंग्लैण्ड से आने वाले पर्यटकों को अब अप्सरा विहार मिलता है जो कभी फेअरी पूल कहलाता था। यह नाम इसलिए पड़ा था क्योंकि वहाँ अँग्रेजी मेमसाब नहाया करती थी। लेख में चौरागढ़ के त्रिशूल, झरने, संजय नेशनल पार्क, चर्च आदि के सुंदर चित्र भी दिए गए हैं। नेशनल जियोग्राफिक का यह अंक मुख्य रूप से हिमालय पर केन्द्रित है।

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