मंगलवार, 24 जुलाई 2012

क्या राहुल का रोड़ मैप बनाएंगे प्रणव!

क्या राहुल का रोड़ मैप बनाएंगे प्रणव!

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। अमरीका की ख्यातिलब्ध टाईम पत्रिका द्वारा भारत गणराज्य के वज़ीरे आज़म डॉ.मनमोहन सिंह को अपने मुखपृष्ठ पर अंडर एचीवर का तगमा देने के बाद अब भारत पर लंबे समय तक राज करने वाले ब्रिटेन समाचार पत्र टाईम्स ने देश के पहले नागरिक के शपथ ग्रहण के पहले ही उन पर भी टीका टिप्पणी कर दी है। यह सब होने के बाद भी भारत सरकार अभी रक्षात्मक मुद्रा में ही दिखाई दे रही है।
प्रमुख ब्रितानी अखबरा द टाईम्स ने देश के 13वें महामहिम राष्ट्रपति निर्वाचित होने वाले प्रणव मुखर्जी को फिक्सर और पावर ब्रोकर जैसे शब्दों की संज्ञा दी है। इस अखबार ने कहा है कि प्रणव मुखर्जी को जोड़ तोड़ कर रायसीना हिल्स भेजा गया है। ज्ञातव्य है कि रविवार को हुई मतगणना के बाद प्रणब मुखर्जी को भारत का तेरहवाँ राष्ट्रपति घोषित किया गया है।
प्रणव मुखर्जी कल 25 जुलाई को शपथ लेने वाले हैं। पिछले चार दशकों से केंद्र की राजनीति से जुड़े प्रणब 70 के दशक से अब तक केंद्र में कांग्रेस की या कांग्रेस के नेतृत्व में बनने वाली हर सरकार में मंत्री के पद पर रहे हैं। यूपीए-2 की सरकार में तो प्रणब मुखर्जी को नंबर दो होने के अलावा सरकार को राजनीतिक संकट से उबारने वाले संकट-मोचक के रूप में देखा जाता रहा है।
इस समाचार पत्र ने आगे लिख है कि भारत के राजनेताओं ने एक अत्यंत दक्ष फ़िक्सरको राष्ट्राध्यक्ष बनाकर, सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के लिए गांधी की पाँचवीं पीढ़ी को चुनाव में मतदाताओं के सामने उतारने का रास्ता साफ़ कर दिया है। टाइम्स ने प्रणब मुखर्जी की जीत को इन शब्दों में बयान किया है  कि एक पावरब्रोकर और पूर्व कांग्रेसी वित्तमंत्री, 76 वर्षीय प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति बनवाया गया, वह भी चतुराई से की गई जोड़-तोड़ करके।
द टाईम्स ने लिखा है कि हालाँकि राष्ट्रपति का पद एक रस्मी पद है लेकिन यदि 2014 के चुनाव में किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला, जिसकी कि पूरी संभावना है, तो प्रणब मुखर्जी गठबंधन की बातचीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। टाइम्स ने लिख है कि उससे पहले, अभी तत्काल, उनकी प्रोन्नति से कांग्रेस अपने आपको एक साल के बाद फिर से राजनीतिक तौर पर पुनर्जीवित कर सकती है, जिस साल में उसका शासन और अर्थव्यवस्था दोनों की गति धीमी पड़ गई।
इस समाचार पत्र ने इस बात की पूरी संभावना जताई है कि 42 वर्षीय राहुल गांधी को अब कोई महत्वपूर्ण पद दिया जाएगा। राहुल गांधी चुनाव में जीत दिलवा पाने वाला नेता बन सकने में नाकाम रहे हैं मगर उनके समर्थकों का मानना है कि प्रादेशिक चुनावों मे उनकी नाकामी को तब भुला दिया जाएगा जब उन्हें कांग्रेस का प्रधानमंत्री पद का युवा उम्मीदवार बनाकर उतारा जाएगा। हालाँकि आलोचकों का कहना है, इसके सिवा पार्टी के पास और विकल्प क्या है?
इस समाचार पत्र ने भी मनमोहन सिंह सरकार के कामकाज की आलोचना की चर्चा करते हुए पिछले दिनों टाइम पत्रिका में मनमोहन सिंह को अंडरऐचीवर करार दिए जाने और राष्ट्रपति ओबामा की उस टिप्पणी का ज़िक्र किया है जिसमें ओबामा ने विदेशी सुपरमार्केट को अनुमति देने जैसे आर्थिक सुधारों को लागू नहीं कर सकने के लिए भारत को झिड़का था।
वैश्विक स्तर पर एक के बाद एक भारत के संवैधानिक पदों पर हो रहे हमले के बाद भी सरकार और कांग्रेस की चुप्पी लोगों को आश्चर्य में ही डाल रही है। लोगों को लगने लगा है कि कहीं एसा तो नहीं कि सुनियोजित षणयंत्र के तहत ही भारत के शीर्ष पदों पर बैठे लोगों पर हमला कर पश्चिमी देश अपना कोई हिडन एजेंडा लागू करवाना चाह रहे हों।

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