सोमवार, 19 दिसंबर 2011

लोकपाल पर मनमोहन का रूख देखकर खफा हैं क्षत्रप


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 56

लोकपाल पर मनमोहन का रूख देखकर खफा हैं क्षत्रप

अपनी विरासत को काटों भरा ताज बनाने जा रहे हैं मनमोहन



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। इधर कांग्रेस के क्षत्रपों द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बिदाई का ताना बाना बुना जा रहा है वहीं दूसरी ओर मनमोहन सिंह द्वारा कांग्रेस की नजर में भविष्य के वजीरे आजम राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने की राह में शूल ही शूल बोए जा रहे हैं। नेहरू गांधी परिवार (महात्मा गांधी नहीं) की वर्तमान पीढ़ियों के खासुलसाखों के चेहरों पर मनमोहन सिंह द्वारा अपनाई जाने वाली अप्रत्यक्ष रणनीति से चिंता गहरा गई है।
कांग्रेस के रणनीतिकार इस वक्त राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने के मार्ग प्रशस्त करने में लगे हुए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी और राहुल गांधी को अपने काबू में रखकर उन्हें चाभी वाले खिलौने की तरह इस्तेमाल करने वाले वरिष्ठ कांग्रेसियों ने कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के इन दोनों केंद्र को पूरी तरह घेर कर रखा है। आलम यह है कि दोनों ही आला नेताओं की आम जनता और कार्यकर्ताओं से पर्याप्त दूरी बन चुकी है।
अण्णा हजारे की लोकपाल मसले पर बार बार दहाड़ से कांग्रेस बुरी तरह कांपती नजर आ रही है। उधर इसका लाभ उठाकर प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह खुद भी पूरी तरह से सक्रिय नजर आ रहे हैं। मनमोहन के करीबी सूत्रों का कहना है कि उन्होंने सरकार में अपने सहयोगियों और कांग्रेस के आला नेताओं को साफ कर दिया है कि चाहे कितना भी कड़े प्रावधानों वाला लोकपाल आए, उनकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला।
पीएम निवास के सूत्रों का दावा है कि मनमोहन ने इस बारे में अब कड़ा रूख अपनाकर आर पार की लड़ाई का मूड बना लिया है। पीएम ने साफ कह दिया है कि उनके कामकाज के तरीकों में लोकपाल के प्रावधान कतई आड़े नहीं आ रहे हैं। इस लिहाज से प्रधानमंत्री का पद लोकपाल के दायरे में रहे या बाहर उनकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता है।
वजीरे आजम डॉक्टर मनमोहन सिंह के इस स्पष्ट किन्तु अड़ियल रवैऐ से कांग्रेस पार्टी के अंदर खलबली मच गई है। पार्टी के आला नेताओं ने अब कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी और युवराज राहुल गांधी से संपर्क करने की कवायद आरंभ कर दी है ताकि उन्हें समझाया जा सके कि मनमोहन सिंह तो रूखसत हो जाएंगे पर वे राहुल बाबा के लिए कांटों भरा ताज छोड़ जाएंगे। राहुल गांधी को अभी सरकार चलाने का अनुभव नहीं है इसलिए वे कभी भी इसकी पकड़ में आ सकते हैं।

(क्रमशः जारी)

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